जानिये पद्मश्री कवि हलधर नाग के बारे में

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जानिये पद्मश्री कवि हलधर नाग के बारे में
19 Jan 2022
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कवि हलधर नाग पढ़े लिखे नहीं हैं पर उन्होंने जो किया है वो एक पढ़ा लिखा इंसान भी नहीं कर सकता है। शायद आपको इस बात पर विश्वास नहीं होगा लेकिन उन्होंने कुछ ऐसा किया है कि ज्ञान की एक नयी परिभाषा ही लिख डाली। उन्होंने अपने अंदर छुपे जन्मजात ज्ञान को ही अपनी लेखनी के माध्यम से प्रकट किया। वह अब तक कई कविताएं और 20 महाकाव्य लिख चुके हैं और साल 2016 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान समारोह में पद्मश्री से सम्मानित हुए। कवि हलधर नाग से हमें एक बात सीखने को मिलती है कि ज्ञान वो नहीं है जो सिर्फ किताब के पन्नों तक सीमित हो, असली ज्ञान तो वो है जो हमारे अंदर है और जरुरत है उस ज्ञान को प्रकट करने की।

हम अक्सर हर किसी के मुँह से यही सुनते हैं कि जीवन में यदि आपको सफल होना है तो आपको पढ़ना लिखना होगा। अगर आप पढ़ते लिखते नहीं हो तो आपका जीवन व्यर्थ है। लेकिन सोचिये जिस शख़्स ने स्कूली शिक्षा प्राप्त नहीं की और सिर्फ तीसरी कक्षा तक पढ़ाई की है, उन्होंने एक कवि बनकर ये तो बता दिया कि ज्ञान केवल स्कूल जाकर और किताबों को पढ़कर ही प्राप्त नहीं होता है बल्कि यह जन्मजात होता है। कवि हलधर Poet Haldhar की प्रतिभा किसी किताबी ज्ञान bookish knowledge की मोहताज नहीं है। कवि हलधर नाग एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं इसलिए वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए थे। चलिए जानते हैं उनके गरीबी से लेकर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री highest civilian award Padmashree तक पहुँचने के सफर के बारे में कि कैसे वह ओडिशा Odisha में लोक कवि रत्न folk poet ratna के नाम से प्रसिद्ध हुए। 

हलधर नागी की जीवनी Biography of Haldhar Nag

आज हम एक ऐसी शख्सियत कवि हलधर नाग Poet Haldhar Nag के बारे में जानेंगे जो खुद में एक ज्ञान का भंडार store of knowledge हैं। भले ही उन्होंने स्कूली शिक्षा नहीं प्राप्त की लेकिन जितना ज्ञान उन्हें है, उतना ज्ञान शायद किसी इंसान को उच्च शिक्षा Higher education प्राप्त करने के बाद भी नहीं होगा। जी हाँ कवि हलधर नाग आज एक प्रसिद्ध लोक कवि रत्न के नाम से लोगों के बीच जाने जाते हैं। कवि हलधर नाग का जन्म ओडिशा Odisha के बाड़गढ़ जिले Bargarh District के घेंस गांव Ghens Village में हुआ था। वह एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। दरअसल जब हलधर नाग सिर्फ 10 साल के थे उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी इसलिए उनके सिर पर जिम्मेदारियों का बोझ बचपन से ही आ गया था। बचपन में ही उन्होंने बहुत मुश्किलों का सामना किया है, जिस वजह से वह पढ़ाई भी नहीं कर पाये। छोटी सी उम्र में ही वह एक मिठाई की दुकान में बर्तन धोने का काम करने लगे और जीविका चलाने लगे। इसके कुछ समय के पश्चात ही हलधर ने एक स्कूल में रसोइया बनकर काम करना शुरू किया और काफी वर्षों तक यही काम किया। इसके बाद उन्होंने एक छोटी सी दुकान खोली, जिसमें बच्चों से जुड़ी चीज़ें होती थी। बस इसी के बाद से उनका उनका कविताएं लिखने का सफर शुरू हुआ और वह अपने अंदर छिपी हुई प्रतिभा hidden talent को पहचान पाए। 

सादा जीवन उच्च विचार के धनी 

हलधर नाग बहुत ही साधारण जीवन जीते हैं। जितना ही उनका जीवन साधारण है उतने ही उनके विचार उच्च हैं। वह बहुत ही सादगीपूर्ण जीवन simple life जीते हैं। यहाँ तक कि वो कभी पैरों में चप्पल भी नहीं पहनते हैं। बस वह एक सफेद धोती और एक बनियान में ही रहते हैं। कोई विश्वास भी नहीं कर सकता है कि इतने उच्च प्रतिभा के धनी व्यक्ति इतनी साधारण ज़िंदगी जीते हैं। ये वो व्यक्ति हैं जो आज हर किसी के लिए प्रेरणा से कम नहीं हैं। इनसे हम एक बात सीख सकते हैं कि चाहे वक्त कैसा भी हो अगर आप अपनी अंदर की प्रतिभा को पहचानने में सक्षम हो तो एक दिन आप जरूर प्रसिद्धि के शिखर पर विराजमान होंगे, बस जरुरत है ख़ुद पर विश्वास करने की और अपने अंदर छुपी पहचान को बाहर निकालने की। वे अपनी लेखनी से समाज में छुपी बुराईयों को खत्म कर एक अच्छे समाज good society का निर्माण करना चाहते हैं। आज उनकी प्रतिभा किताबी ज्ञान की मोहताज नहीं है। यहाँ तक कि आज उन पर शोधार्थियों द्वारा पीएचडी भी की जा चुकी है। 

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कविताओं और लेखनी से प्रेम 

हलधर नाग कौसली भाषा kasauli language के कवि हैं। उनके कवि प्रेम से आज हर कोई वाकिफ है। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वो जो कुछ भी लिखते हैं, वो सब कुछ उन्हें याद रहता है। एक बार लिखने के बाद वो उसे भूलते नहीं हैं। वो ओडिशा Odisha में लोक कवि रत्न के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने 1990 में अपनी पहली कविता ‘धोड़ो बरगच‘ (द ओल्ड बनयान ट्री) The Old Banyan Tree की रचना की। लोगों ने उनकी कविताओं को बहुत सराहा। फिर उन्होंने अपने आसपास के गांवों में कविताएं सुनाना शुरू किया और इसके लिए उन्हें सराहना भी मिली। उनकी कविताओं का विषय प्रकृति और समाज nature and society से संबंधित होता है। साथ ही पौराणिक कथाओं और धर्म पर आधारित होते हैं। उनकी रचनाओं की मुख्य भाषा कौसली है। उनका कहना है कि कविता का वास्तविक जीवन से जुड़ाव होना जरुरी है। उनकी रचनाओं में समाजिक सन्देश social message भी होता है। हलधर कहते हैं कि उन्हें इस बात की ख़ुशी होती है कि लोग उनकी कौसली भाषा में लिखी गई कविताओं में खासा दिलचस्पी रखते हैं। इससे उन्हें और अधिक लिखने का प्रोत्साहन मिलता है। हलधर नाग अब तक कई कविताएं और 20 महाकाव्य लिख चुके हैं। इसके लिए उन्हें साल 2016 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी Former President Pranab Mukherjee द्वारा राष्ट्रपति भवन में आयोजित देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान समारोह में पद्मश्री Padma Shri से सम्मानित भी किया गया।