जानिये Biocon की संस्थापक किरण मजूमदार के बारे में

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जानिये Biocon की संस्थापक किरण मजूमदार के बारे में
24 Dec 2021
8 min read

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यदि आप भीड़ से बाहर निकल कर कही पहुंचना चाहते हैं और आपकी नजर अपनी मंजिल पर टिकी है तो आप भीड़ में भी बिना किसी से टकराए अपनी मंजिल तक पहुँच जायेंगे और अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे। ऐसे ही मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ी Biocon की संस्थापक किरण मजूमदार। देश के सबसे बड़े बायो फार्मा कंपनी की संस्थापक किरण मजूमदार ने कंपनी की शुरुआत कभी 1200 रुपये से की थी और अपने संघर्षों से आज वह 50 हजार करोड़ रुपए की मालकिन हैं।

कहते हैं कि अगर आप अपने लक्ष्य और मंजिल के प्रति समर्पित हैं तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है। क्योंकि लक्ष्य के प्रति समर्पित होने से आप सुनियोजित सोच के साथ आगे बढ़ोगे और आपकी सोच और भावनाएं भी उसी के अनुसार रहेंगी साथ ही आपके अंदर कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बायोकॉन की फाउंडर और चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ Founder and Chairperson Kiran Mazumdar Shaw ने। किरण के सपने बड़े बनने और आगे बढ़ने के थे, जो उन्होंने हर कीमत पर पूरे किए। उन्होंने मात्र 1200 रुपये में अपनी कंपनी खोली और आज यही कंपनी 50 हजार करोड़ रुपये की हो गई है। जानते हैं हम उनकी सक्सेस स्टोरी के बारे में, जो कि बेहद ही प्रेरणादायी है।

महिला होने के कारण झेली परेशानी 

आज दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं की फोर्ब्स लिस्ट में शामिल किरण मजूमदार शॉ को अपने करियर की शुरुआत में सिर्फ ‘महिला’ होने के कारण नौकरी नहीं मिली थी। वे भारत की एक मात्र महिला हैं, जो अपने दम पर अरबपति billionaire बनीं। उनका जन्म बेंगलुरू Bangalore के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। किरण मजूमदार बताती हैं कि वे नौकरी की तलाश कर रही थीं, तब सभी ने उन्हें महिला होने के कारण मना कर दिया था। दरअसल जब वह ऑस्ट्रेलिया Australia से ब्रूइंग (किण्वन की प्रक्रिया fermentation process, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर शराब बनाने में होता है) में मास्टर्स की डिग्री लेकर भारत India लौंटी तो यहाँ पर महिला होने की वजह से कई कंपनियों ने नौकरी देने से मना कर दिया था। कंपनियों के इस रवैये के कारण उन्होंने बस 1200 रुपये लगाकर खुद का कारोबार शुरू कर दिया। 

बायोकॉन की स्थापना

भारत के कई बीयर उत्पादकों ने जब उन्हें महिला होने की वजह से नौकरी देने से मना कर दिया था तब वह सिर्फ 25 साल की थीं और जब भारत में उन्हें नौकरी नहीं मिली तब वह स्कॉटलैंड Scotland चली गईं। भारत में कहीं काम नहीं मिलने पर उन्हें विदेश का रुख करना पड़ा था। उन्होंने वहाँ पर ब्रूवर की नौकरी की। यहीं से उनकी किस्मत बदली और कुछ सालों बाद फार्मास्युटिकल्स कंपनी pharmaceuticals company ‘बायोकॉन’ की स्थापना हुई। दरअसल जब वह स्कॉटलैंड काम कर रही थी तब उनकी मुलाकात आइरिश उद्यमी लेस्ली औचिनक्लॉस Irish Entrepreneur Leslie Auchincloss से हुई। लेस्ली भारत में फार्मास्युटिकल्स कारोबार शुरू करना चाहती थीं। उन्होंने मजूमदार से उनका पार्टनर बनने को कहा। किरण ने पहले तो मना किया लेकिन फिर वह मान गयी और 1978 में बायोकॉन Biocon अस्तित्व में आयी और इस तरह से कंपनी बायोकॉन का जन्म हुआ।

कारोबार के लिए पूंजी जुटाना रहा मुश्किल 

किरण मजूमदार ने अपने बिज़नेस business की शुरुआत गैरेज से की। उन्होंने 1200 रुपये से बिज़नेस की शुरुआत की। पहले की तरह एक बार फिर से उन्हें एक महिला होने की वजह से परेशानियाँ झेलनी पड़ी। क्योंकि कोई भी एक महिला के साथ काम करना नहीं चाहता था। इसके बाद उन्हें और भी कई मुश्किलों का सामना पड़ा। उनके लिए बिज़नेस के लिए पूंजी जुटाना भी बहुत मुश्किल था। यह उनके लिए एक चुनौती की तरह था। कोई भी बैंक बिज़नेस शुरू करने के लिए लोन देने को तैयार नहीं था। मतलब उनका जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा है। बावजूद इसके उन्होंने अकेले दम पर बायोकॉन को फार्मा क्षेत्र pharma sector की एक बड़ी कंपनी बना दिया। आज किरण मजूमदार शॉ को उनकी उपलब्धियों के लिए देश-विदेश के कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री एवं पद्म भूषण अवॉर्ड Padma Shri and Padma Bhushan Award से सम्मानित किया है। कोविड-19 महामारी covid-19 pandemic के दौरान किरण मजूमदार शॉ ने इसकी रोकथाम के लिए काफी काम किए और कई तरह से लोगों की मदद भी की।