जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे, भारत के सच्चे दोस्त और एक परिवर्तनकारी नेता

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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे, भारत के सच्चे दोस्त और एक परिवर्तनकारी नेता
09 Jul 2022
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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे Former Japanese PM Shinzo Abe का शुक्रवार को निधन हो गया। आबे पर यह हमला उस वक्त हुआ जब नारा शहर में शिंजो आबे भाषण दे रहे थे। हमलावर ने पीछे से उन पर दो गोलियां दागीं, जिसके बाद शिंजो आबे जमीन पर गिर पड़े। शिंजो आबे की गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना को हर किसी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया। शिंजो आबे की हत्या पर पूरा विश्व उनके परिवार और जापान के लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त कर रहा है। भारत ने एक करीबी दोस्त खो दिया है जिसने भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आबे भारत-जापान संबंधों India-Japan Relations को एक विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के स्तर तक ले जाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। शिंजो आबे फुमिमारो कोनो के बाद जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री रहे और सबसे लंबे समय तक जापान के PM पद पर रहने वाले नेता भी रहे हैं। आबे पहली बार वह 2006 से 2007 तक प्रधानमंत्री रहे थे और फिर 2012 से 2020 तक शिंजो आबे प्रधानमंत्री पद पर रहे थे। शिंजो आबे को भारत सरकार की ओर से 25 जनवरी, 2021 को पद्म विभूषण से नवाजा गया था। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के निधन पर भारत में शनिवार यानी आज राष्ट्रीय शोक National Mourning रखा गया है। वह एक महान वैश्विक राजनेता, प्रशासक थे। उन्होंने जापान और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को  Think With Niche की तरफ से भावभीनी श्रधांजलि। 

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जापान के सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधान मंत्री Japan's Longest-Serving Prime Minister और जापानी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने वाले थे शिंजो आबे। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री Former Prime Minister of Japan और पीएम मोदी के बहुत अच्छे दोस्त शिंजो आबे Shinzo Abe का शुक्रवार को निधन हो गया था, इस घटना के बाद दुनियाभर में शोक की लहर दौड़ गई है। उनका इस तरह चले जाना हर किसी के लिए स्तब्ध करने वाला है। आबे पर हमला किया गया और यह हमला उस वक्त हुआ जब वह नारा शहर Nara City में भाषण दे रहे थे। हमलावर ने पीछे से उन पर दो गोलियां दागीं, जिसके बाद शिंजो आबे जमीन पर गिर पड़े और हॉस्पिटल ले जाने के बाद उनका निधन हो गया। इसके साथ ही भारत ने अपना विश्वसनीय दोस्त भी खो दिया। उनकी मौत से होने वाली अपूरणीय क्षति और असहनीय पीड़ा का वो दिन संपूर्ण राष्ट्र को गमगीन कर गया। क्योंकि वह प्रत्येक देश के साथ जापानी संबंधों के लिए एक परिवर्तनकारी नेता Transformational Leader थे और भारत के साथ तो उनके दोस्ताना संबंध friendly relations थे। शिंजो आबे अपनी तेजतर्रार विदेश नीति Hawkish Foreign Policy और एक हस्ताक्षर आर्थिक रणनीति a signature economic strategy के लिए जाने जाते थे, जिसे लोकप्रिय रूप से "एबेनॉमिक्स" "Abenomics" के रूप में जाना जाने लगा। एक बेहद लोकप्रिय राजनेता, 67 वर्षीय आबे ने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी Liberal Democratic Party (एलडीपी) को दो बार जीत दिलाई। जापानी अर्थव्यवस्था को बदलने वाले थे जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे। चलिए इस आर्टिकल में उनके राजनीतिक सफर और उनकी उपलब्धियों के बारे में जानते हैं। 

शिंजो आबे के निधन पर राष्ट्रीय शोक

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के निधन पर हर देश की तरह अमेरिका America ने भी शोक जताया। व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, शिंजो आबे के निधन पर शोक जताते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन President Joe Biden ने 10 जुलाई को अमेरिकी झंडे को आधा झुकाकर रखने का आदेश दिया है। नेपाल ने 9 जुलाई को एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की।

ऐसे ही शिजों आबे की हत्या के बाद भारत में एक दिन के राष्ट्रीय शोक National mourning की घोषणा की गई है। वह काफी मिलनसार, लोकप्रिय नेता Friendly, Popular Leader थे और भारत के सच्चे मित्र True Friends of India रहे हैं। भारत से उनका विशेष लगाव था। शिंजो आबे के निधन पर राष्ट्रीय शोक में राष्ट्रपति भवन समेत सभी महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालयों All important government offices including Rashtrapati Bhavan में राष्ट्रीय ध्वज National flag आधा झुका दिया गया है। इसकी घोषणा शुक्रवार को पीएम मोदी PM MODI ने की थी। देश ही नहीं विदेशों में भी भारतीय दूतावासों Indian Embassies और उच्चायोगों High Commissions में भी तिरंगा आधा झुकाया गया है। ध्यान देने वाली बात ये है कि इस दौरान किसी भी तरह के औपचारिक और सरकारी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाता है। शिंजो आबे ने सत्ता में रहते हुए भारत के पक्ष में कई फैसले लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिंजो आबे के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट में लिखा, "मैं अपने सबसे प्यारे दोस्तों में से एक शिंजो आबे के दुखद निधन पर स्तब्ध और दुखी हूं। आबे एक महान वैश्विक राजनेता, प्रशासक Great Global Politician, Administrator थे। उन्होंने जापान और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।'

पीएम मोदी ने याद किये शिंजो आबे के साथ बिताए पल 

 पीएम मोदी के बहुत अच्छे दोस्त शिंजो आबे के चले जाने से मोदी काफी व्यथित हैं। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने घटना पर शोक संवेदना जताई और शुक्रवार शाम को शिंजो आबे की याद में एक ब्‍लाग लिखा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Prime Minister Narendra Modi ने शिंजो आबे को याद करते हुए कहा कि वह जापान के एक उत्कृष्ट राजनेता, एक महान वैश्विक राजनेता और भारत-जापान मित्रता Indo-Japan Friendship के प्रबल हिमायती शिंजो अब हमारे बीच नहीं हैं। जापान और पूरी दुनिया ने एक महान दूरदर्शी राजनेता Visionary Politician और मैंने अपने एक अत्यंत प्रिय मित्र को खो दिया है। मैं वर्ष 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी जापान यात्रा के दौरान पहली बार उनसे मिला था। उस पहली मुलाकात के बाद से ही हमारी दोस्ती कार्यालय की समस्त औपचारिकताओं और आधिकारिक प्रोटोकाल के बंधनों से कहीं आगे निकल गई थी।

पीएम मोदी ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि क्योटो में तोजी मंदिर Toji Temple in Kyoto का दर्शन करना, शिंकानसेन पर हमारी ट्रेन यात्रा, अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की हमारी यात्रा, काशी में गंगा आरती Ganga Aarti in Kashi टोक्यो में विस्तृत चाय समारोह, हमारी यादों की सूची बेहद लंबी है। इसके साथ ही हमारा व्यक्तिगत जुड़ाव हमेशा की तरह अत्यंत मजबूत बना रहा। आगे मोदी ने कहा कि भारत और जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी में अभूतपूर्व परिवर्तन लाने के लिए उनके साथ काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी। पीएम पद्म विभूषण का जिक्र करना नहीं भूले उन्होंने कहा कि भारत-जापान संबंधों में उनके योगदान के लिए 2021 में उन्हें प्रतिष्ठित पद्म विभूषण Padma Vibhushan से सम्मानित किया गया था। पीएम ने आगे कहा मैं उनकी गर्मजोशी और बुद्धिमत्ता, दोस्ती और मार्गदर्शन के लिए हमेशा ऋणी रहूंगा। उन्होंने उनके परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना भी व्यक्त की। 

विदेश मंत्री एसजयशंकर ने भी शोक जताया

विदेश मंत्री एस जयशंकर External Affairs Minister S Jaishankar ने शुक्रवार को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह जापान और दुनिया के लिए बेहद बुरा दिन है। जयशंकर ने ट्वीट किया कि जापान, भारत, दुनिया और व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए यह दुखद दिन है।

आबे की सत्ता में वृद्धि कैसे हुई 

पूर्व विदेश मंत्री शिंटारो आबे Former Foreign Minister Shintaro Abe के बेटे और पूर्व प्रधान मंत्री नोबुसुके किशी के पोते के रूप में, आबे का जन्म एक राजनीतिक राजवंश में हुआ था। उन्होंने महसूस किया कि उनका मिशन अपने पूर्वजों के कार्य को जारी रखना था - जापान को मजबूत, महान और अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक ताकत के रूप में स्थापित करना था।

उन्होंने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) Liberal Democratic Party (LDP) के राजनीतिक प्रभुत्व को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आबे पहली बार 1993 में संसद के लिए चुने गए थे और 2005 में वे मुख्य कैबिनेट सचिव Chief Cabinet Secretary बने। 2006 में युद्ध के बाद जापान के सबसे कम उम्र के प्रधान मंत्री बनने के बाद शीर्ष पर उनका उदय तेजी से हुआ और वह एक लोकप्रिय नेता के रूप में प्रसिद्ध हुए।

जुलाई 2007 में ऊपरी सदन के चुनावों upper house elections में एलडीपी LDP के लिए भारी नुकसान हुआ, और उसी वर्ष सितंबर में उन्होंने अल्सरेटिव कोलाइटिस ulcerative colitis के कारण इस्तीफा दे दिया। लेकिन फिर 2012 में आबे ने यह कहते हुए प्रधानमंत्री के रूप में वापसी की कि उन्होंने दवा की मदद से इस बीमारी पर काबू पा लिया he had overcome the disease with the help of medication है। इसके बाद में वह 2014 और 2017 में फिर से चुने गए, जो जापान के सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधान मंत्री Japan's longest-serving prime minister बने।

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अबेनॉमिक्स क्या था? What was Abenomics?

दरअसल आबे का हस्ताक्षर वाला आर्थिक कार्यक्रम उन नीतियों का समूह था, जिन्हें उन्होंने 2012 से शुरू किया था। उनकी योजना एबेनॉमिक्स के तथाकथित तीन "एरो" Three "Arrows" का उपयोग करके जापान की अर्थव्यवस्था को दो दशकों के ठहराव से बाहर निकालने की थी और उनका लक्ष्य अर्थव्यवस्था को बदलने का था। उन्होंने "एबेनॉमिक्स" नीतियों "Abenomics" policies, का नेतृत्व किया, एक व्यापक नीति पैकेज जिसका उद्देश्य राजकोषीय अनुशासन को बनाए रखते हुए अर्थव्यवस्था को अपस्फीति की उदासी से पुनर्जीवित करके जापान को मजबूत बनाना है।

मौद्रिक नीति: जापान की अति-आसान मौद्रिक नीति नकारात्मक अल्पकालिक ब्याज दरों के रूप में उपभोक्ताओं और कंपनियों के लिए पैसे उधार लेने और खर्च करने के लिए इसे सस्ता बनाने के लिए लागू की गई थी।

राजकोषीय प्रोत्साहन: अर्थव्यवस्था में पैसा डालना, जिसका अर्थ है कि सरकार बुनियादी ढांचे जैसी चीजों पर अधिक पैसा खर्च कर रही है या टैक्स ब्रेक जैसी कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन दे रही है।

संरचनात्मक सुधार: कॉर्पोरेट सुधार, कार्यबल में अधिक महिलाओं को जोड़ना, श्रम उदारीकरण, और अधिक प्रवासियों को कार्यबल में अनुमति देना जिससे श्रम दबाव को कम करने और आर्थिक विकास में मदद मिल सके।

इन नीतियों की लोकप्रियता के कारण 2012 में आबे और एलडीपी की सत्ता में वापसी हुई। लेकिन उनके प्रयासों को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा जब देश फिर से 2020 में मंदी में चला गया। 

क्या अबेनॉमिक्स ने काम किया?

उनके समय की सबसे हाई प्रोफाइल नीति "एबेनॉमिक्स" Abenomics थी जो उनके नाम पर है। आबे ने 2012 में ऐसे समय में पदभार ग्रहण किया था जब जापान मंदी में था और अबेनॉमिक्स को अपने पहले कार्यकाल के दौरान विकास में वापस आने में मदद के रूप में देखा गया था। राजनीतिक ब्रांडिंग में एक अभ्यास के रूप में, एबेनॉमिक्स निश्चित रूप से एक सफलता थी, हालांकि यह आबे के अपने प्रमुख आर्थिक लक्ष्य से कम थी। जब उनकी सरकार ने पदभार संभाला तो जापान की एक बार गतिशील अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के कठिन कार्य का सामना करना पड़ा, जो अभी भी बड़ी मंदी में था। एबेनॉमिक्स ने विकास को गति देने में मदद की, हालांकि उस गति से नहीं जो देश ने युद्ध के बाद के अपने उछाल के दौरान देखी थी। लेकिन जैसे ही उन्होंने पद छोड़ा, कई अर्थशास्त्रियों ने आबे को देश को महामारी जैसे आर्थिक झटकों का सामना करने के लिए अधिक मजबूत स्थिति में रखने का श्रेय दिया।

शिंजो आबे के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें 

शिंजो आबे का जन्म जापान की राजधानी टोक्यो Tokyo, the capital of Japan में 21 सितंबर, 1964 को हुआ था। शिंजो आबे फुमिमारो कोनो के बाद जापान के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री Youngest Prime Minister रहे और सबसे लंबे समय तक जापान के PM पद पर रहने वाले नेता भी रहे हैं। पहली बार वह 2006 से 2007 तक प्रधानमंत्री रहे थे और फिर 2012 से 2020 तक शिंजो आबे प्रधानमंत्री पद पर रहे थे। 26 सितंबर, 2006 को 52 साल की उम्र में जापान के प्रधानमंत्री बने। शिंजो आबे जापान के सबसे लोकप्रिय PM भी रहे। शिंजो आबे के कार्यकाल में भारत-जापान के संबंध नई ऊंचाईयों पर पहुंचे। उनकी भारत यात्रा की बात करें तो शिंजो आबे अपने पहले पहले कार्यकाल में भी भारत यात्रा पर आए थे और फिर दूसरे कार्यकाल में वो तीन बार भारत पहुंचे। इससे पहले कोई भी जापानी प्रधानमंत्री अपने कार्यकाल में इतनी बार भारत नहीं आया था। शिंजो आबे 2014 में गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि Chief Guest at Republic Day Parade बनने वाले पहले जापानी पीएम थे। शिंजो आबे को भारत सरकार की ओर से 25 जनवरी, 2021 को पद्म विभूषण Padma Vibhushan से नवाजा गया था। शिंजो आबे ने साल 2020 में अस्वस्थ रहने के कारण प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने हाल ही में जापान-भारत एसोसिएशन के अध्यक्ष President of Japan-India Association के रूप में पदभार संभाला था।

आबे के कार्यकाल में भारत के साथ सबसे चर्चित समझौतों में से एक है फ्री और ओपन इंडो-पैसिफिक बनाने का। इसकी शुरुआत के लिए जब पहली बार आबे भारत आए थे तो उन्होंने 'दो महासागरों के संगम' की बात कर भारत का दिल जीत लिया था। आबे के खाते में जापान में आर्थिक सुधार लागू करने के अलावा दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार जापानी सैनिकों को विदेशी सरजमीं पर लड़ने के लिए भेजने की मंजूरी देने का काम भी दर्ज है। आबे ने साल 2007 में जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता Quadrilateral Security Dialogue शुरू की थी।

जापान को क्यों कहा जाता है शांत देश? Why is Japan called a peaceful country?

जापान में किसी भी नागरिक को बंदूक का लाइसेंस लेने के लिए कड़ी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। शांत देश quiet country होने के कारण और हिंसक वारदातों के कम होने के कारण लोग बहुत कम संख्या में ही आत्मरक्षा के लिए बंदूक का लाइसेंस लेते हैं लेकिन जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या के बाद पूरी दुनिया सदमे में है। लोग इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि जापान जैसे शांत देश में कोई ऐसी वारदात को भी अंजाम दे सकता है। शिंजो आबे वहां के सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय राजनेता थे इसलिए हर कोई सदमे में है। 

जापान एक ऐसा देश है, जहां रहने वाले ज्यादातर लोग अपनी पूरी जिंदगी बंदूक देखे बिना ही गुजार देते हैं।दरअसल जापान के लोग शांत जीवन व्यतीत करने में यकीन रखते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक 12.58 करोड़ की आबादी वाले जापान में पिछले साल बंदूक से संबंधित सिर्फ और सिर्फ 10 आपराधिक मामले थे। इन घटनाओं में सिर्फ एक व्यक्ति की मौत हुई थी और चार घायल हुए थे। इनमें से आठ मामले गिरोह से जुड़े हुए थे। 

2022 में तो राजधानी टोक्यो में बंदूक से संबंधित घटनाओं, चोटों या मौत का कोई भी मामला दर्ज नहीं हुआ था। ऐसे में देश के सबसे बड़े चहेते राजनेता की हत्या ने जापान सहित पूरे विश्व को अचंभित कर दिया है।