Forbes Philanthropy List: गौतम अडाणी एशिया के टॉप तीन 'दानवीरों' में शामिल

Share Us

708
Forbes Philanthropy List: गौतम अडाणी एशिया के टॉप तीन 'दानवीरों' में शामिल
06 Dec 2022
min read

News Synopsis

Forbes Philanthropy List: दुनिया के सबसे रईस आदमियों की लिस्ट में शुमार भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी Gautam Adani परोपकार के मामले में भी पीछे नहीं हैं। गौतम अडाणी का नाम फाेर्ब्स की ओर से प्रकाशित एशियाई दानवीरों की सूची Forbes Asian Philanthropists List के 16 वें संस्करण में टॉप थ्री शामिल किया है। उनके अलावा फोर्ब्स की इस लिस्ट में एचसीएल टेक्नोलॉजीज HCL Technologies के शिव नादर Shiv Nadar, हैप्पीएस्ट माइंड्स टेक्नोलाॅजीज Happiest Minds Technologies के अशोक सूटा Ashok Soota का नाम भी शामिल है। एशिया के टाॅप दानवीरों Asia's Top Philanthropists की यह सूची मंगलवार को जारी की गई। अडाणी ग्रुप Adani Group के मुखिया गौतम अडाणी को इस लिस्ट में पिछले वर्ष जून में अपने 60वें जन्मदिन के मौके पर 60,000 करोड़ रुपए का दान करने के बाद जगह मिली है।

इतनी बड़ी राशि परोपकार के लिए खर्च करने का ऐलान कर वे भारत के सबसे बड़े दानवीर बन गए। यह राशि स्वास्थ्य Health, शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट Education & Skill Development पर खर्च होनी है। इस राशि को अडाणी परिवार के फाउंडेशन की ओर से ये राशि खर्च की जाएगी, जिसकी स्थापना वर्ष 1996 में की गई थी। 60 वर्षीय गौतम अडाणी अडाणी ग्रुप के संस्थापक हैं। यह ग्रुप भारत का सबसे बड़ा पोर्ट ऑपरेटर Largest Port Operator है। यह ग्रुप आधारभूत संरचना, उपभोक्ता वस्तुओं, बिजली उत्पादन Power Generation व संचरण व रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़ा है। गौतम अडाणी की संपत्ति Gautam Adani Property  में वर्ष 2022 में बड़ा इजाफा देखने को मिला है। वे कुछ समय के लिए दुनिया के दूसरे सबसे धनवान उद्योगपति भी रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इस लिस्ट में दूसरा भारतीय नाम शिव नादर का है।

पिछले कुछ दशकों के दौरान शिव नादर फाउंडेशन Shiv Nadar Foundation के माध्यम से वे अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा परोपकारी कार्यों पर खर्च कर चुके हैं। इस वर्ष भी वे करीब 11,600 करोड़ रुपए शिव नादर फाउंडेशन को दान कर चुके हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने 1994 में की थी। इसका उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से लोगों को सशक्त करते हुए एक न्यायसंगत और योग्यता आधारित समाज बनाना था।