उद्यमिता का प्रेम, अजीम प्रेम

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उद्यमिता का प्रेम, अजीम प्रेम
06 Nov 2021
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अजीम प्रेम जी को विश्व के कुछ चुनिंदा सफल उद्यमियों में से एक माना जाता है। जिन्होंने ने कई वर्षों तक देश के सबसे अमीर व्यक्ति होने का भी खिताब अपने नाम किया। अपनी सफलता को उन्होंने उन लोगों के साथ बांटा जो खुद को उद्यमिता के क्षेत्र में आजमाना चाहते हैं। यही कारण है कि उन्होंने 2001 में अपने नाम से एक ऐसे फाउंडेशन को शुरू किया, जिसमें मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है। अपनी होने वाली कमाई का आधा हिस्सा दान कर देने वाले अजीम प्रेम जी ने अपने इस कार्य से समाज को यह भी उदाहरण पेश किया कि हम सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपनों के लिए भी कमाते हैं और हमारे यह अपने यह पूरा समाज है।

मनुष्य अपने जीवन में बहुत कुछ करने का सोचता है, परन्तु वास्तविकता में जब उसे क्रियान्वित करने की बारी आती है, तो उसकी हिम्मत उसका साथ नहीं देती है। कोई भी बड़ा काम केवल एक कदम चल के ही पूरा हो जाये ऐसा संभव नहीं होता है। परन्तु यही छोटे-छोटे कदम आगे बढ़ने में लोग सकुचाते हैं, उनके मन में यही चलता रहता है कि कहीं एक कदम आगे चलने के बाद वह दो कदम पीछे ना चले जाएं। यही डर कई लोगों को उनके सपनों से उन्हें हमेशा के लिए दूर कर देता है। उद्यमिता के क्षेत्र में हर एक इंसान अपने पैर जमा पाए, ऐसा कम ही होता है, इसका कारण लोगों के मन में बैठा यही डर होता है। लोगों के भीतर क्षमता होने के बाद भी वह प्रबंधन को सही आकार देकर एक सफल उद्यमी नहीं बन पाते हैं। अपनी क्षमता का सही रूप से प्रयोग करके खुद को दुनिया की भीड़ में अलग पहचान देने वाले भी इस दुनिया में बहुत हैं, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि डर और आलस को पीछे छोड़कर ही हम आगे बढ़ सकते हैं और अपने नाम को इतिहास के पन्नों पर लिख सकते हैं। भारत के वेस्टर्न इंडिया प्रोडक्ट के चैयरपर्सन अजीम प्रेमजी ने भी कुछ इस तरह ही अपने नाम को लोगों के ज़हन में बिठाया है। 

अपने दम पर अपने हुनर को अपना रास्ता बनाकर चलने वाले अजीम प्रेमजी उद्यमिता क्षेत्र का वह नाम हैं, जिसके बारे में शायद ही ऐसा कोई होगा जो नहीं जानता। जिसने यह साबित किया है कि एक सफल उद्यमी बनना आसान नहीं, परन्तु यह मुश्किल भी नहीं है। मेहनत और लगन किसी भी काम को आसान कर देती है। जिनकी क्षमता और स्वभाव का लोहा पूरी दुनिया में माना जाता है। जिसने दुनिया को यह बताया कि भारत भी सफल उद्यमियों को सहेजे है, जो लम्बे समय तक संघ में अपनी धाक बनाये रख सकता है और एक स्थिर व्यवसाय का प्रेरक बन सकता है। साबुन का व्यवसाय करने वाले पिताजी के व्यवसाय को अजीम जी ने एक नए क्षेत्र में ना केवल मोड़ा बल्कि उसे नियमित रूप में क्रियान्वित भी किया है।

वैसे तो पिता की मृत्यु के कारण उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छूट गयी, परन्तु इसका असर उनके इरादे पर नहीं  पड़ा और उन्होंने अपनी कंपनी को आईटी सेक्टर की इस सहजता और रफ़्तार से मोड़ा कि उनकी कंपनी में विप्रो ने दुनिया में खुद की अपनी एक पहचान बना ली। अपने हुनर को सही समय पर सही दिशा देकर उन्होंने अपने पिताजी की कंपनी को एक नया नाम और नयी पहचान दी।

अजीम प्रेम जी को विश्व के कुछ चुनिंदा सफल उद्यमियों में से एक माना जाता है। जिन्होंने ने कई वर्षों तक देश के सबसे अमीर व्यक्ति होने का भी खिताब अपने नाम किया। अपनी सफलता को उन्होंने उन लोगों के साथ बांटा जो खुद को उद्यमिता के क्षेत्र में आजमाना चाहते हैं। यही कारण है कि उन्होंने 2001 में अपने नाम से एक ऐसे फाउंडेशन को शुरू किया, जिसमें मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है। अपनी होने वाली कमाई का आधा हिस्सा दान कर देने वाले अजीम प्रेम जी ने अपने इस कार्य से समाज को यह भी उदाहरण पेश किया कि हम सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपनों के लिए भी कमाते हैं और हमारे यह अपने यह पूरा समाज है।