बैंक खत्म कर रहे एनबीएफसी का एकाधिकार, घट रही हिस्सेदारी

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बैंक खत्म कर रहे एनबीएफसी का एकाधिकार, घट रही हिस्सेदारी
14 Jul 2022
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News Synopsis

पिछले कई सालों से सोने के बदले कर्ज देने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों Non banking financial company (एनबीएफसी) की हिस्सेदारी अब घटती नजर आ रही है। इसके उलट बैंक इस क्षेत्र में तेजी से अपना कारोबार बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं। 2019-20 से 2021-22 में जहां मुथूट और मणापुरम Muthoot and Manappuram की कर्ज वृद्धि में भारी गिरावट आई है।

जबकि, इसी अवधि के दौरान एचडीएफसी और केनरा बैंकों HDFC and Canara Banks के कर्ज में भारी तेजी देखने को मिली है। केनरा बैंक में गोल्ड लोन Gold Loans के मुख्य महाप्रबंधक Chief General Manager (सीजीएम) भावेंद्र कुमार Bhavendra Kumar ने बताया है कि, बैंकों का कर्ज इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि उनकी ब्याज दरें Interest Rates एनबीएफसी की तुलना में कम है।

बैंक 7.4 फीसदी की दर से जबकि एनबीएफसी 12 से 24 फीसदी के बीच में दे रहे हैं। बड़ी एनबीएफसी के कर्ज की वृद्धि में गिरावट आ रही है। वित्तवर्ष 2019-20 में मुथूट Muthoot का असेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 40,800 करोड़ था। 2020-21 में 27 फीसदी बढ़कर यह 51,900 करोड़ था। 2021-22 में केवल 11 फीसदी बढ़कर 57,500 करोड़ रहा।

मणापुरम का कारोबार 2019-20 में 31 फीसदी बढ़कर 17,000 करोड़, 2020-21 में 12 फीसदी बढकर 19,100 और 2021-22 में केवल चार फीसदी बढ़कर 19,900 करोड़ रुपए रहा।