Airtel ने 5G ट्रैफिक के लिए मिड-बैंड स्पेक्ट्रम को फिर से तैयार किया

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Airtel ने 5G ट्रैफिक के लिए मिड-बैंड स्पेक्ट्रम को फिर से तैयार किया
30 Jul 2024
8 min read

News Synopsis

टेलीकॉम ऑपरेटर ने कहा कि 5जी कस्टमर्स की संख्या बढ़ने के साथ भारती एयरटेल Bharti Airtel ने 5जी ट्रैफिक में बड़ी वृद्धि को पूरा करने के लिए अपने मिड-बैंड स्पेक्ट्रम को फिर से तैयार करना शुरू कर दिया है।

देशभर में एयरटेल के मिड-बैंड जैसे 1800, 2100 और 2300 मेगाहर्ट्ज में मौजूद स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल 5G सर्विस प्रदान करने के लिए किया जाएगा। इस कदम से बेहतर इनडोर कवरेज के अलावा ब्राउज़िंग स्पीड में भी बढ़ोतरी होगी।

मिड-बैंड स्पेक्ट्रम या 1 गीगाहर्ट्ज और 6 गीगाहर्ट्ज के बीच के स्पेक्ट्रम को 5G के लिए एकदम सही माना जाता है, क्योंकि यह काफी दूरी तय करते हुए भी बहुत सारा डेटा ले जा सकता है। यह भारत में चर्चा में आया है, जहाँ टेलीकॉम कंपनियाँ सरकार से मिड-बैंड और खास तौर पर 6 गीगाहर्ट्ज बैंड में कम से कम 2 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम खाली करने की माँग कर रही हैं।

पिछले महीने की स्पेक्ट्रम नीलामी में 1,800 मेगाहर्ट्ज बैंड में सभी टेलीकॉम कम्पनियों की ओर से अधिकतम मांग देखी गई और यह एकमात्र बैंड था, जहां जियो ने स्पेक्ट्रम हासिल किया।

एयरटेल और जियो दोनों के 5G सब्सक्राइबर बेस में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है। मार्च के अंत तक एयरटेल के पास लगभग 72 मिलियन 5G सब्सक्राइबर थे, जबकि प्रतिद्वंद्वी जियो के पास 108 मिलियन सब्सक्राइबर थे। तब से जून के अंत तक जियो के सब्सक्राइबर बेस में 130 मिलियन की बढ़ोतरी हुई है, जबकि एयरटेल के लेटेस्ट आंकड़ों का इंतज़ार है।

एयरटेल ने कहा कि वह इस कदम से टेलीकॉम कंपनी को अपने 5G डिप्लॉयमेंट को तेजी से बढ़ाने में मदद करेगा, साथ ही वह स्टैंडअलोन टेक्नोलॉजी पर 5G सर्विस शुरू करने के लिए भी तैयार है। अब तक जियो SA टेक्नोलॉजी के माध्यम से 5G की ऑफरिंग कर रहा है, जबकि एयरटेल नॉन स्टैंडअलोन-बेस्ड  नेटवर्क का उपयोग कर रहा है। SA मोड में नेटवर्क केवल 5G पर बनाया जाता है, जबकि NSA मोड में 5G नेटवर्क 4G और 3G रेडियो नेटवर्क की मौजूदा परत पर टॉप-अप के रूप में बनाया जाता है।

भारती एयरटेल के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर रणदीप सेखों Randeep Sekhon Chief Technology Officer at Bharti Airtel ने कहा "हम स्टैंडअलोन टेक्नोलॉजी शुरू करने के लिए भी तैयार हैं। इसका मतलब यह होगा कि एयरटेल नेटवर्क भारत में पहला ऐसा नेटवर्क होगा जो स्टैंड-अलोन और नॉन-स्टैंडअलोन दोनों मोड में चलेगा, जिससे हम मार्केट में सबसे अच्छा अनुभव दे पाएंगे।"

एयरटेल ने कहा कि एसए और एनएसए स्विच पर पायलट रेवाड़ी, चेन्नई और भुवनेश्वर में आयोजित किया गया है, और परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। 5जी नेटवर्क पर यह क्षमता एयरटेल को ओपन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस, डिफ्रेंटिएटेड कनेक्टिविटी और सर्विस-बेस्ड आर्किटेक्चर के माध्यम से नए इनोवेटिव एप्लिकेशन, सर्विस और सलूशन पेश करने में सक्षम बनाएगी।