रुपये में 10% की गिरावट, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के संकेत, विश्व बैंक ने ये कहा

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रुपये में 10% की गिरावट, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के संकेत, विश्व बैंक ने ये कहा
06 Dec 2022
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News Synopsis

वर्ल्ड बैंक World Bank के सीनियर इकोनॉमिस्ट ध्रुव शर्मा Senior Economist Dhruv Sharma ने अपने बयान में कहा है कि भारतीय रुपए Indian Rupee में इस वर्ष अब तक महज 10 फीसदी की गिरावट आई है। दूसरे उभरते बाजारों  से अगर तुलना की जाए तो रुपया तुलनात्मक रूप से मजबूत बना हुआ है। ध्रुव शर्मा के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था Indian Economy में अधिक लचीलापन देखने को मिला है। वहीं गुजरे वर्षों में जो कदम उठाए गए हैं, उनसे वैश्विक संकटों Global Crisis के समय में चुनौतियों से निपटने में मदद मिली है। वहीं भारत ने कोरोना महामारी Corona Pandemic के दौरान सामने आईं चुनौतियों को प्रभावशाली तरीके से निपटा है। कोरोना महामारी के दौरान हुए नुकसान की भरपाई घरेलू स्तर पर बड़े पैमाने पर मांग बढ़ने से हो पाई है।

ध्रुव शर्मा ने ये बातें मंगलवार को विश्व बैंक की ओर से भारतीय जीडीपी Indian GDP के अनुमान को संशोधित कर 6.9 फीसदी करने के बाद आया है। शर्मा ने ये बातें विश्व बैंक के इंडिया डेवलपमेंट अपडेड जुड़े कार्यक्रम जिसका नाम "नेविगेटिंग द स्टॉर्म" Navigating the Storm है की लॉन्चिंग के बाद हुई एक प्रेसवार्ता के दौरान कही है। विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने अपने बयान में कहा है कि हालांकि, मुद्रास्फीति Inflation रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया Reserve Bank of India (RBI) की सीमा से थोड़ी अधिक है। हमें उम्मीद है कि अगले साल तक मुद्रास्फीति कम हो जाएगी और यह आरबीआई के 2-6 फीसदी के दायरे में आ जाएगी। हम अगले वित्त वर्ष में इसके 5.1 फीसदी तक रहने की उम्मीद करते हैं।

जबकि दूसरी तरफ, विश्व बैंक के एक अन्य अर्थशास्त्री अगस्ते तानो काउमे ने अपने बयान में कहा है कि भारत बहुत महत्वाकांक्षी है। सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लचीला बनाने के लिए कई जरूरी कदम उठाए हैं। सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। गौर करने वाली बात ये है कि, भारतीय कैरेंसी Indian Currency में इस वर्ष बड़ी गिरावट देखने को मिली है। फिलहाल यह डॉलर के मुकाबले 82 रुपए के लेवल पर कारोबार कर रहा है।

अक्तूबर महीने के मध्य में यह अपने निम्नतम स्तर 83 रुपए के पार पहुंच गया है। ऐसा अमेरिकी फेडरल रिजर्व US Federal Reserve की ओर से अपनी मौद्रिक नीति सख्त करने और अन्य विकसित देशों की ओर से भी ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी की वजह से हुआ था।