भारत रीयल-टाइम डिजिटल पेमेंट में ग्लोबल लीडर बनकर उभरा है, जिसका मुख्य कारण यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस का तीव्र विकास है। International Monetary Fund की एक हालिया रिपोर्ट देश के पेमेंट लैंडस्केप पर UPI के परिवर्तनकारी प्रभाव को उजागर करती है। 2016 में अपनी शुरुआत के बाद से UPI ने लाखों लोगों के लिए सेअमलेस ट्रांज़ैक्शन को संभव बनाया है, फाइनेंसियल इन्क्लूश़न को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दिया है, और इंडिवीडुअल्स और स्माल बिज़नेस दोनों के लिए पेमेंट प्रोसेस को सरल बनाया है।
National Payments Corporation of India द्वारा 2016 में शुरू किए गए UPI ने भारत में ट्रांज़ैक्शन के तरीके को मौलिक रूप से बदल दिया है। UPI यूजर्स को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन से कई बैंक अकाउंट को जोड़ने की सुविधा देता है, जिससे क्विक और परेशानी मुक्त ट्रांज़ैक्शन संभव हो जाता है। इस इनोवेशन ने न केवल पीयर-टू-पीयर पेमेंट को सुव्यवस्थित किया है, बल्कि लाखों स्माल बिज़नेस को न्यूनतम लागत पर डिजिटल पेमेंट स्वीकार करने में भी सक्षम बनाया है। UPI मंथली रूप से 18 अरब से अधिक ट्रांज़ैक्शन प्रोसेस करता है, जो भारत के कुल डिजिटल पेमेंट का 85% है। अकेले जून में UPI ने ₹24.03 लाख करोड़ वैल्यू के 18.39 अरब ट्रांज़ैक्शन दर्ज किए, जो पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 32% अधिक है।
यूपीआई का प्रभाव केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रगति कर रहा है। यह प्लेटफ़ॉर्म अब UAE, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस सहित सात देशों में चालू है। फ्रांस में इसका हालिया लॉन्च यूरोपीय मार्केट में यूपीआई के पहले प्रवेश का प्रतीक है, जिससे इंडियन ट्रेवलर्स फॉरेन ट्रांज़ैक्शन से जुड़ी सामान्य कॉम्प्लिकेशन के बिना पेमेंट कर सकते हैं। इसके अलावा भारत ब्रिक्स देशों में यूपीआई को अपनाने की वकालत कर रहा है, जिनका हाल ही में विस्तार हुआ है, और जिनमें छह नए मेंबर शामिल हुए हैं। इस पहल का उद्देश्य रेमिटेंस को बढ़ाना, फाइनेंसियल इन्क्लूश़न को बढ़ावा देना और डिजिटल पेमेंट में भारत की ग्लोबल लीडर स्थिति को मज़बूत करना है।
यूपीआई की सफलता फाइनेंसियल इन्क्लूश़न पहलों, विशेष रूप से जन धन योजना की मज़बूत नींव पर टिकी है। इस प्रोग्राम ने 9 जुलाई तक 55.83 करोड़ से ज़्यादा लोगों को फॉर्मल बैंकिंग सिस्टम से सफलतापूर्वक जोड़ा है। ये अकाउंट न केवल वेलफेयर बेनिफिट्स प्राप्त करने का एक सुरक्षित माध्यम प्रदान करते हैं, बल्कि बचत की आदतों और डिजिटल फाइनेंसियल लिटरेसी को भी प्रोत्साहित करते हैं। कि ये आँकड़े केवल संख्याओं से कहीं अधिक दर्शाते हैं, ये पेमेंट इकोसिस्टम में बढ़ते विश्वास, कन्वेनैंस और स्पीड को दर्शाते हैं। हर महीने बढ़ती संख्या में इंडिवीडुअल्स और बिज़नेस यूपीआई का ऑप्शन चुन रहे हैं, जो भारत में कैशलेस इकॉनमी की ओर एक स्थिर बदलाव का संकेत है।
यूपीआई का तेज़ी से अपनाया जाना भारत के डिजिटल-फर्स्ट इकॉनमी की ओर ट्रांजीशन का एक स्पष्ट संकेत है। कि लाखों इंडिवीडुअल्स और स्माल इंटरप्राइजेज अब सुरक्षित और किफ़ायती ट्रांज़ैक्शन के लिए यूपीआई पर निर्भर हैं। जैसे-जैसे यूपीआई का विकास जारी है, फाइनेंसियल इन्क्लूश़न को बढ़ावा देने और ओवरआल इकनोमिक लैंडस्केप को बेहतर बनाने की इसकी क्षमता महत्वपूर्ण बनी हुई है। यूपीआई के ग्लोबल फुटप्रिंट और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मार्केट्स में इसके इंटीग्रेशन से डिजिटल पेमेंट सेक्टर में अग्रणी के रूप में भारत की स्थिति और मज़बूत हो सकती है, जिससे एक अधिक परस्पर जुड़ी और एफ्फिसिएंट ग्लोबल इकॉनमी का मार्ग प्रशस्त होगा।