टीवीएस मोटर कंपनी ने कहा कि इस दशक के अंत तक हैवी थ्री-व्हीलर सेल में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की हिस्सेदारी 60% होगी। कंपनी ने अर्बन और सेमी-अर्बन लॉजिस्टिक्स को ध्यान में रखते हुए टीवीएस किंग कार्गो एचडी ईवी के लॉन्च के साथ इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर कार्गो क्षेत्र में प्रवेश किया है।
शुरुआत में TVS King Kargo HD EV चुनिंदा मार्केट्स में उपलब्ध होगी, जिनमें दिल्ली, NCR - फरीदाबाद, नोएडा, गुड़गांव और गाजियाबाद के साथ-साथ राजस्थान और बेंगलुरु के कुछ हिस्से शामिल हैं। दिल्ली में इसकी एक्स-शोरूम कीमत ₹3.85 लाख रखी गई है। टीवीएस ने अपने अपकमिंग किंग कार्गो एचडी सीएनजी वेरिएंट का भी प्रदर्शन किया, जिसे कंपनी 2025 के अंत से पहले लॉन्च करने की योजना बना रही है।
टीवीएस मोटर में कमर्शियल मोबिलिटी के बिजनेस हेड रजत गुप्ता Rajat Gupta ने कहा "कुल मिलाकर मार्केट में वृद्धि जारी रहेगी। हमें उम्मीद है, कि 2030 तक मार्केट का 60% हिस्सा इलेक्ट्रिक होगा। पैसेंजर थ्री-व्हीलर सेगेमेंट तेजी से विस्तार कर रहा है, जबकि कार्गो की वृद्धि लॉजिस्टिक्स मांग पर निर्भर करेगी।"
FY25 में अनुमानित 7.2 लाख कुल थ्री-व्हीलर में से लगभग 1.6 लाख इलेक्ट्रिक L5 थ्री-व्हीलर बेचे गए, जिनमें पैसेंजर व्हीकल्स का योगदान 80% से अधिक था। पैसेंजर और कार्गो दोनों केटेगरी में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की पहुँच लगभग 23% रही।
इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर अर्बन मोबिलिटी के एक प्रमुख साधन के रूप में उभरे हैं, खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में जो किफायती और पर्यावरण के अनुकूल लास्ट-मील कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। भारत L3 मॉडल सहित इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर के लिए दुनिया का सबसे बड़ा मार्केट बना हुआ है, और इस क्षेत्र में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को सबसे तेज़ी से अपनाया जा रहा है।
महिंद्रा लास्ट माइल मोबिलिटी और बजाज ऑटो इलेक्ट्रिक L5 मार्केट में अग्रणी हैं। टीवीएस ने जनवरी में किंग ईवी मैक्स पैसेंजर व्हीकल के साथ इस क्षेत्र में प्रवेश किया और कॉम्पिटिटर्स पियाजियो, मोंटारा, ओमेगा सेकी, अतुल ऑटो और यूलर के साथ शामिल हो गया।
अब तक पीएम ई-ड्राइव स्कीम और PLI स्कीम के तहत सरकारी इंसेंटिव ने सेल बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। वर्तमान में इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर पर प्रति व्हीकल ₹25,000 तक की सब्सिडी मिलती है। इस फाइनेंसियल ईयर के अंत तक इस इंसेंटिव को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिए जाने की उम्मीद है।
हालांकि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के स्वामित्व की कुल लागत कम है, लेकिन हाई अपफ्रंट कॉस्ट एक बाधा बनी हुई है।
रजत गुप्ता ने कहा "वर्तमान में मार्केट सब्सिडी पर निर्भर है। जब इसे चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाएगा, तो हर कोई इसके लिए तैयार होगा।"
इस बीच ट्रेडिशनल ओईएम एल3 कैटेगरी पर नज़र गड़ाए हुए हैं, जिसमें कम गति वाले ई-रिक्शा और ई-कार्ट शामिल हैं, जो लास्ट-मील कनेक्टिविटी पर हावी हैं। यह सेगमेंट काफी हद तक असंगठित है, हालाँकि महिंद्रा ने इसमें प्रवेश किया है, और बजाज द्वारा इस तिमाही में अपना पहला मॉडल लॉन्च करने की उम्मीद है।