आरबीआई ने किया रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण , जाने क्या है इसके मायने

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14 Jul 2022
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News Synopsis

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया Reserve Bank of India ने रूपए का अंतरराष्ट्रीयकरण Internationalization of Rupee कर दिया है। यह तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है। हालांकि, किसी देश की मुद्रा को आम तौर पर 'अंतरराष्ट्रीय' तब माना जाता है जब उसे दुनिया भर में व्यापार के आदान-प्रदान के माध्यम के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है। इस दिशा में देखें तो अमेरिकी डॉलर US Dollar अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत मुद्रा है, इसके बाद यूरोपीय यूरो European Euro का स्थान आता है। गौरतलब है कि इससे पहले 1960 के दशक में कतर, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और ओमान Qatar, United Arab Emirates, Kuwait and Oman जैसे खाड़ी देशों में रुपया स्वीकार किया गया था। भारत के पूर्वी यूरोप के साथ भुगतान समझौते भी थे और इन भुगतान समझौतों के तहत रुपये को खाते की एक इकाई के रूप में इस्तेमाल किया गया था। 

इस बारे में आरबीआई ने कहा कि भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ वैश्विक व्यापार Global trade के विकास को बढ़ावा देने के लिए और INR में वैश्विक व्यापारिक समुदाय के बढ़ते हित का समर्थन करने के लिए, चालान, भुगतान और निर्यात के सेटिलमेंट के लिए एक अतिरिक्त व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया है कि आयात भी भारतीय मुद्रा यानी कि रुपये में किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय व्यापार को सक्षम करने के लिए या इसे एक संपत्ति के रूप में रखने के लिए रुपये को एक स्थिर मुद्रा बनाकर एक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है। अगर हम इसको आसान भाषा में समझें तो हम कह सकते हैं कि रुपये को एक मुद्रा बनने की जरूरत है। 

रुपये के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने से भारत का व्यापार घाटा India's trade deficit कम होने की संभावना है। इसके साथ ही वैश्विक बाजार में रुपया मजबूत होगा। अन्य देश रुपये को अपनी व्यापारिक मुद्रा के रूप में अपनाना शुरू कर सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री Bank of Baroda Chief Economist मदन सबनवीस Madan Sabnavis ने कहा कि इस व्यवस्था से रुपये पर दबाव कम होगा क्योंकि आयात के लिए डॉलर की मांग नहीं रह जाएगी। 

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