भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने इतिहास के सबसे बड़े रेगुलेटरी रिफॉर्म की घोषणा कर दी है, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर शिरिष चंद्रा मुरमु ने बताया कि रिज़र्व बैंक ने अब तक जारी हजारों सर्कुलरों और गाइडलाइंस को मिलाकर कुल 244 Consolidated Master Directions तैयार कर ली हैं, इसमें डिजिटल बैंकिंग गाइडलाइंस भी शामिल होंगी, जिनका लंबे समय से इंतज़ार किया जा रहा था।
यह कदम न सिर्फ भारतीय बैंकिंग सिस्टम को आधुनिक और सरल बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, बल्कि रेगुलेटेड एंटिटीज़ के लिए कंम्प्लायंस कॉस्ट कम करने और Ease of Doing Business बढ़ाने की दिशा में भी अहम है, RBI ने इस पूरे काम को एक माइलस्टोन बताया है।
डिप्टी गवर्नर मुरमु ने बताया कि पिछले कई दशकों में RBI ने हजारों दिशा-निर्देश, सर्कुलर और नोटिफिकेशन जारी किए थे, जिनमें से कई दोहराव वाले थे, कई ओवरलैप कर रहे थे, और कई समय के साथ अप्रासंगिक हो गए थे, इसी को देखते हुए 5–6 महीनों के लंबे और विस्तृत अध्ययन के बाद RBI ने इन सभी निर्देशों को एक व्यवस्थित और उपयोगी फार्मेट में रीऑर्गनाइज किया है।
उनके अनुसार कुल 9445 सर्कुलरों को समीक्षा के बाद या तो मास्टर डायरेक्शन में शामिल किया गया या अप्रासंगिक मानकर हटाया गया, इनमें से 3809 निर्देशों को 244 मास्टर डायरेक्शंस में शामिल किया गया, जबकि बाकी 5673 सर्कुलर obsolete घोषित करके हटाए गए।
RBI के अनुसार यह बदलाव केवल फॉर्मेटिंग और स्ट्रक्चरिंग के स्तर पर है, यानी किसी भी रेगुलेशन के कंटेंट में कोई बदलाव नहीं किया गया है, बल्कि केवल दोहराव हटाया गया है।
RBI Deputy Governor ने कहा कि इस पहल से रेगुलेटेड एंटिटीज़, जैसे बैंक, NBFCs, पेमेंट बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, ग्रामीण बैंक आदि का कंम्प्लायंस बोझ काफी कम होगा, अभी तक बैंकों और अन्य संस्थानों को किसी भी रेगुलेटरी निर्देश की तलाश में अलग-अलग पुराने सर्कुलरों और सालों पुराने अपडेट्स को खंगालना पड़ता था, कई बार अलग-अलग नोटिफिकेशन एक-दूसरे से टकराते थे, अब 244 Master Directions ही सभी गाइडलाइंस का एकमात्र लाइब्रेरी होंगी, जिसे कोई भी आसानी से एक्सेस कर सकेगा।
RBI ने इसे वन-टाइम एक्टिविटी बताया है, हालांकि आगे इन Consolidated Directions में समय-समय पर संशोधन होते रहेंगे, लेकिन दिलचस्प यह है, कि RBI अब ‘सर्कुलर’ शब्द का इस्तेमाल भी पूरी तरह बंद कर देगा, यानी आगे कोई भी नया निर्देश इन्हीं Consolidated Master Directions में संशोधन के रूप में आएगा।
डिप्टी गवर्नर मुरमु ने पुष्टि की कि जारी होने वाले Consolidated Directions में डिजिटल बैंकिंग से जुड़े 7 नए Master Directions भी शामिल होंगे, आपका अपलोड किया गया दस्तावेज़ भी इसकी पुष्टि करता है, कि रिलीज़ में 7 Digital Banking Channels Authorisation Master Directions शामिल हैं, इससे यह साफ है, कि RBI डिजिटल पेमेंट्स और डिजिटल बैंकिंग के बढ़ते महत्व को देखते हुए अपने रेगुलेटरी ढांचे को भी उसी के अनुरूप अपडेट कर रहा है।
UPI, नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, डिजिटल लेंडिंग और पेमेंट सर्विसेज़ को लेकर विस्तार से दिशानिर्देश जारी होने की उम्मीद है, जिससे डिजिटल इकोनॉमी और सुरक्षित, पारदर्शी और मजबूत होगी।
RBI Deputy Governor ने बताया कि समीक्षा प्रक्रिया इतनी व्यापक थी, कि रिज़र्व बैंक ने ऐसे सर्कुलरों तक की जांच की जिन्हें 70–80 साल पहले जारी किया गया था, उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अप्रैल 22, 1944 का “Advance against Government Securities” नाम का सर्कुलर भी इस समीक्षा का हिस्सा था।
इससे यह दिखता है, कि RBI ने केवल हाल के निर्देशों पर ही नहीं, बल्कि अपने पूरे रेगुलेटरी इतिहास की छंटनी कर एक आधुनिक, अद्यतित और साफ-सुथरा regulatory framework तैयार किया है।
स्टेकहोल्डर्स से भी ली राय
इस Consolidation Exercise को पहले ड्राफ्ट के रूप में अक्टूबर 2025 में RBI की वेबसाइट पर डाल दिया गया था, अपलोड की गई रिलीज़ के अनुसार RBI को 770 से ज्यादा comments मिले थे, जिनमें से कई सुझावों को अंतिम मास्टर डायरेक्शन को फाइनल करते समय शामिल किया गया है।
हालांकि कई टिप्पणियां ऐसी थीं, जो मूल रेगुलेशन बदलने से संबंधित थीं, चूंकि यह एक्सरसाइज केवल consolidation की थी, इसलिए ऐसे सुझावों पर कार्रवाई नहीं की गई।
RBI के इस विशाल consolidation के बाद 244 Master Directions निम्नलिखित 11 प्रकार की एंटिटीज़ के लिए बनाई गई हैं:
⦁ Commercial Banks
⦁ Small Finance Banks
⦁ Payments Banks
⦁ Local Area Banks
⦁ Regional Rural Banks
⦁ Urban Co-operative Banks
⦁ Rural Co-operative Banks
⦁ All India Financial Institutions
⦁ NBFCs
⦁ Asset Reconstruction Companies
⦁ Credit Information Companies
इन सभी पर अब एक ही सेट के मास्टर डायरेक्शन लागू होंगे, जिससे रेगुलेशन का ढांचा एकरूप, स्पष्ट और सरल होगा।
यह कदम सिर्फ बैंकों के लिए ही नहीं, बल्कि आम ग्राहकों के लिए भी अहम है, अब बैंकिंग सिस्टम में नियमों की समझ बेहतर होगी, प्रोसेस अधिक पारदर्शी होंगे और डिजिटल बैंकिंग अनुभव और सुरक्षित बनाया जा सकेगा, इसके साथ ही बैंकों का कंम्प्लायंस खर्च घटने से उनकी कार्यक्षमता और कस्टमर सर्विस में सुधार देखने को मिल सकता है।
लंबे समय से विधान और प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने की मांग उठती रही थी, RBI के इस कदम से भारत के बैंकिंग और फाइनेंशियल सिस्टम को नई गति मिलेगी।