बाइक टैक्सी एग्रीगेटर Rapido ने राज्य में ऑपरेशन बंद कर दिया। ऐप पर अपने कस्टमर्स को एक नोटिफिकेशन में रैपिडो ने कहा "16 जून 2025 से कर्नाटक में हमारी बाइक टैक्सी सर्विस हाल ही में उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में रोक दी जाएँगी। हालाँकि हम बाइक टैक्सियों द्वारा डेली पैसेंजर्स को मिलने वाले वैल्यू में गहराई से विश्वास करते हैं, हम कानून का सम्मान करते हैं, और निर्देश का पूरी तरह से पालन करेंगे।"
इसमें कहा गया है "हम उन कम्युनिटीज के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिनकी हम सेवा करते हैं, और एक ऐसे भविष्य की आशा करते हैं, जहाँ सभी के लिए कनविनिएंट, अफोर्डेबल मोबिलिटी एक्सेसिबल हो। हम आपकी पसंदीदा बाइक टैक्सियों को जल्द ही सड़क पर वापस लाने के लिए सरकार के साथ आगे की राह पर आगे बढ़ रहे हैं।"
इस बीच Motor Vehicles Act की धारा 93 के तहत नियमों के निर्माण तक कर्नाटक में बाइक टैक्सी ऑपरेशन को निलंबित करने के उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद उबर और ओला ऐप बाइक टैक्सी सर्विस देना जारी रखते दिखाई दिए।
प्रतिबंध लागू होने के साथ ही, पैसेंजर्स को पहले से ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, कुछ लोगों ने ऑटोरिक्शा किराए पर लेने के लिए ज़्यादा पैसे खर्च करने की शिकायत की है। आकाश कोल्लूर ने कहा "मैं थिप्पासांद्रा से इंदिरानगर तक अपने ऑफिस जाने के लिए हर रोज़ बाइक टैक्सी के लिए अधिकतम 55 रुपये का पेमेंट कर रहा था। वर्तमान में मुझे ऑटोरिक्शा के लिए 85 रुपये देने पड़ते हैं। ऑफ़लाइन ऑटोरिक्शा किराए पर लेना बेंगलुरु में आईपीएल नीलामी जैसा होगा।"
यह प्रतिबंध कर्नाटक उच्च न्यायालय की एक बेंच द्वारा 2 अप्रैल को सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करने के बाद लगाया गया है, जिसमें सभी बाइक टैक्सी ऑपरेटरों को छह सप्ताह के भीतर ऑपरेशन सस्पेंड करने का निर्देश दिया गया था, जिसे बाद में कुछ और सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया था।
एक्टिंग चीफ जस्टिस वी कामेश्वर राव ने 13 जून को कहा कि एग्रीगेटर्स को अंतरिम राहत दी जा सकती थी, बशर्ते राज्य सरकार बाइक टैक्सी पॉलिसी का मसौदा तैयार करने पर विचार करती। उन्होंने कहा "हालांकि इस मामले में राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से पॉलिसी निर्णय (बाइक टैक्सी पॉलिसी तैयार करने में रुचि नहीं रखने का) लिया है।"
स्टेट ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रामलिंगा रेड्डी Ramalinga Reddy ने कहा कि सरकार बाइक टैक्सी पॉलिसी का मसौदा तैयार करने के लिए इच्छुक नहीं है, और व्हाइट-बोर्ड टू-व्हीलर का उपयोग कमर्शियल उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता है।
कई बाइक टैक्सी ऑपरेटरों और नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (नैसकॉम) और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) जैसे इंडस्ट्री निकायों ने राज्य सरकार से प्रतिबंध हटाने का रिक्वेस्ट किया और ऐसे ऑपरेशन पर निर्भर लाखों ड्राइवरों की सहायता के लिए एक कम्प्रेहैन्सिव बाइक टैक्सी पॉलिसी बनाने की मांग की।
नम्मा बाइक टैक्सी एसोसिएशन ने चीफ मिनिस्टर सिद्धारमैया कहा "बेंगलुरू और पूरे कर्नाटक में 1,00,000 से अधिक गिग वर्कर बाइक टैक्सी सर्विस पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण कमाने और अपने परिवारों को खिलाने का अधिकार खो रहे हैं। हममें से कुछ लोग अपने परिवारों को खिलाने के लिए पूरे 7 दिन काम करते हैं, दिन में 10-12 घंटे काम करते हैं। हम शहर को चलाने के लिए तपती धूप, भारी बारिश और ट्रैफिक में सवारी करते हैं।"
इसमें कहा गया "पैसेंजर्स को भी परेशानी होती है। कई लोग क्विक, कम लागत वाली राइड के लिए बाइक टैक्सी का उपयोग करते हैं। ये हजारों लोगों के लिए एकमात्र सस्ती राइड हैं, खासकर जहां बसें कम हैं। हम एक साल में लगभग 8 करोड़ ट्रिप्स करते हैं। अब इन राइडर्स की मदद कौन करेगा?"
इस बीच रैपिडो ने पहले तर्क दिया था, कि रेगुलेशन के अभाव में पूर्ण प्रतिबंध से कर्नाटक भर में 6 लाख से अधिक लोगों की आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा।
कंपनी ने कहा कि उसने पिछले वर्षों में कैप्टन को 700 करोड़ रुपये से अधिक वितरित किए हैं, और बेंगलुरु में विभिन्न कैटेगरी में 100 करोड़ रुपये से अधिक का जीएसटी योगदान दिया है।
रैपिडो ने कहा था, कि 75 प्रतिशत से अधिक बाइक टैक्सी राइडर्स इस प्लेटफॉर्म को अपनी आजीविका के चीफ सोर्स के रूप में उपयोग करते हैं, जिससे उन्हें एवरेज 35,000 रुपये प्रति माह की कमाई होती है।
कंपनी ने यह भी कहा कि Motor Vehicle Act 1988 की शुरुआत से ही टू-व्हीलर का कॉन्ट्रैक्ट ट्रांसपोर्ट वैलिड है, और केंद्र द्वारा इस आशय की एक सलाह जारी की गई है, जिसमें कानून में इस स्थिति को दोहराया गया है।