कर्नाटक सरकार की ड्राफ्ट नोटिफिकेशन, जिसमें सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में सभी लैंग्वेज के लिए फिल्म टिकटों की कीमत ₹200 (टैक्स इंक्लूसिव) निर्धारित करने का प्रस्ताव है, और भारत के सबसे बड़े फिल्म एक्सहिबिटर PVR Inox के रेवेनुए और प्रोफिटेबिलिटी पर असर पड़ने की आशंका है।
इलारा सिक्योरिटीज के सीनियर वाईस प्रेजिडेंट करण तौरानी Karan Taurani ने कहा कि पीवीआर आइनॉक्स के कुल स्क्रीन पोर्टफोलियो में कर्नाटक की हिस्सेदारी 12.3% है, जिसमें मई 2025 तक 1,743 में से 215 स्क्रीन शामिल हैं।
यह साउथर्न स्टेट हिंदी बॉक्स ऑफिस में लगभग 8% और कुल कलेक्शन में लगभग 10% का योगदान देता है, जहाँ औसत टिकट की कीमत ₹260 है। करण करण तौरानी ने कहा कि ₹200 की प्रस्तावित सीमा का अर्थ राज्य स्तर पर एवरेज टिकट की कीमत में 30% की कमी है।
करण तौरानी ने कहा कि कर्नाटक के 12.3% स्क्रीन शेयर को देखते हुए, मूल्य सीमा से समेकित एवरेज टिकट प्राइस में 3.7% की गिरावट आने का अनुमान है, जिससे FY26-28E के दौरान हेडलाइन रेवेनुए और ईबीआईटीडीए पर क्रमशः लगभग 2.2% और 1.8% का प्रभाव पड़ सकता है।
फिल्म टिकटों पर यह प्रस्तावित मूल्य सीमा आठ साल पहले कर्नाटक सरकार द्वारा अप्रैल 2017 में लागू किए गए इसी तरह के उपाय के बाद आई है, जब उसने मल्टीप्लेक्स सहित सभी सिनेमाघरों में फिल्म टिकटों की कीमतों पर ₹200 की सीमा लागू की थी।
हालांकि फिल्म एग्जीबिशन इंडस्ट्री ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी और 2021 में उच्च न्यायालय से अनुकूल फैसला प्राप्त किया, जिसने स्पेशल और लक्जरी फॉर्मेट के लिए असाधारण प्राइसिंग की अनुमति दी।
करण तौरानी ने कहा "बेंगलुरू में IMAX और 4DX जैसे प्रीमियम फॉर्मेट की सप्ताहांत टिकट कीमतें आमतौर पर ₹600-1,000 के बीच होती हैं, एक समान प्राइस कैप इन कैपेक्स-इंटेंसिव फॉर्मेट के लिए पेमेंट पीरियड बढ़ा सकती है।"
उन्होंने कहा कि यदि यह कदम लागू किया जाता है, तो प्राइस कैप फ्रैंचाइज़ी पार्टनर की भावनाओं और निवेश पर लाभ (आरओआई) की चिंताओं को ठेस पहुँचाकर पीवीआर-आईनॉक्स के फ्रैंचाइज़ी-led एक्सपेंशन को संरचनात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
करण तौरानी ने कहा कि चूँकि डिस्ट्रीब्यूटर का रेवेनुए नेट टिकट कलेक्शन से जुड़ा होता है, इसलिए 30% की प्राइस कटौती सीधे तौर पर एक्सहिबिटर की आय को प्रभावित करेगी, खासकर प्रीमियम मॉल्स में जहाँ हाई किराया और कम टिकट प्राइसिंग के कारण प्रति शो ऑक्यूपेंसी की सीमा मौजूदा 18-20% से ऊपर हो सकती है। परिणामस्वरूप एक्सहिबिटर को यूनिट-लेवल प्रोफिटेबिलिटी को बनाए रखने के लिए फ़ूड और बेवरेज (F&B) अपसेलिंग पर अधिक निर्भर रहना पड़ सकता है।
कर्नाटक सरकार द्वारा जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन वर्तमान में 15 दिनों की अवधि के लिए पब्लिक फीडबैक और ऑब्जेक्शन के लिए खुली है, जिसके बाद सरकार को फाइनल गजट नोटिफिकेशन जारी करने से पहले सभी सबमिशन की रिव्यू करनी होगी।
करण तौरानी ने कहा "एक्सहिबिटर पोटेंशियल इंप्लीमेंटेशन के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई पर विचार कर सकते हैं। पिछले उदाहरणों से पता चलता है, कि एक अनुकूल परिणाम संभव है, क्योंकि प्रीमियम फ़ॉर्मेट और अलग-अलग कंस्यूमर अनुभवों में निवेश का इस्तेमाल अदालत में ऊँची टिकट कीमतों को उचित ठहराने के लिए किया जा सकता है।"
हालांकि सरकार का इरादा सिनेमा को और अधिक किफायती बनाना और लोकल भाषा की फ़िल्मों को बढ़ावा देना है, लेकिन ऐतिहासिक रुझान बताते हैं, कि ऑडियंस की संख्या बढ़ाने में टिकट की कीमतों की तुलना में कंटेंट क्वालिटी ज़्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, करण तौरानी ने कहा।