नीति आयोग NITI Aayog ने भारत को ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा बनाने के लिए ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर ब्राउनफील्ड ऑटो क्लस्टर के डेवलपमेंट के लिए फिस्कल इंसेंटिव का आह्वान किया है।
इस कदम का उद्देश्य भारत के ऑटो कॉम्पोनेन्ट एक्सपोर्ट्स को वर्तमान 20 बिलियन डॉलर से 2030 तक 60 बिलियन डॉलर तक तीन गुना बढ़ाना है, जबकि अगले पांच वर्षों में देश के ऑटोमोटिव कॉम्पोनेन्ट प्रोडक्शन को 145 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है। इससे 2-2.5 मिलियन नए रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिससे इस सेक्टर में कुल डायरेक्ट एम्प्लॉयमेंट 3-4 मिलियन हो जाएगा।
शुक्रवार को जारी 'ऑटोमोटिव इंडस्ट्री: ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत की पार्टिसिपेशन को सशक्त बनाना' टाइटल वाली रिपोर्ट में कहा गया है, "सरकार को मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ऑपरेशनल एक्सपेंडिचर सपोर्ट प्रदान करनी चाहिए, जिसमें टूलींग, डाई और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।"
रिपोर्ट के अनुसार ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स में ग्लोबल ट्रेड का बड़ा हिस्सा इंजन कंपोनेंट्स ड्राइव ट्रांसमिशन और स्टीयरिंग सिस्टम द्वारा संचालित होता है, लेकिन इन हाई-प्रिसिशन सेग्मेंट्स में भारत की हिस्सेदारी केवल 2-4% पर कम बनी हुई है।
ऑटोमोटिव सेक्टर में भारत की ग्लोबल कॉम्पिटिटिव को बढ़ाने के उद्देश्य से कई स्ट्रेटेजिक फिस्कल और नॉन-फिस्कल इंटरवेंशन को रेखांकित करते हुए नीति आयोग ने डेवलपमेंट को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण टैलेंट पाइपलाइन बनाने के लिए स्किल डेवलपमेंट पहलों का भी आह्वान किया।
इसमें कहा "सरकार को सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट और टेस्टिंग सेंटर्स जैसी सामान्य सुविधाओं के माध्यम से फर्मों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर डेवलपमेंट का भी समर्थन करना चाहिए।"
रिपोर्ट के अनुसार प्रोडक्ट डिफ्रेंटिएशन में सुधार और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ट्रांसफर्स के माध्यम से माइक्रो, स्माल और मीडियम इंटरप्राइजेज को सशक्त बनाने के लिए रिसर्च, डेवलपमेंट और इंटरनेशनल ब्रांडिंग के लिए इंसेंटिव प्रदान करने की आवश्यकता है।
नीति आयोग के अनुसार रेगुलेटरी प्रोसेस को सरल बनाने, वर्कर ऑवर फ्लेक्सिबिलिटी, सप्लायर डिस्कवरी और डेवलपमेंट तथा ऑटोमोटिव फर्मों के लिए बिज़नेस स्थितियों में सुधार सहित नॉन-फिस्कल इंटरवेंशन की भी आवश्यकता होगी, ताकि इस सेक्टर की कंपनियों को ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के अनुरूप आगे बढ़ने में मदद मिल सके।
इसने ग्लोबल मार्केट पहुंच का विस्तार करने के लिए जॉइंट वेंचर्स, फॉरेन कोलैबोरेशन और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को बढ़ावा देने का भी आह्वान किया।
रिपोर्ट के अनुसार एफिशिएंसी में सुधार के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजीज के इंटीग्रेशन और एनहांस्ड मैन्युफैक्चरिंग स्टैंडर्ड्स को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
2023 में ग्लोबल ऑटोमोबाइल प्रोडक्शन लगभग 94 मिलियन यूनिट तक पहुंच गया, जिसमें ग्लोबल ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स मार्केट का वैल्यू $2 ट्रिलियन और एक्सपोर्ट का हिस्सा $700 बिलियन था।
नीति आयोग के अनुसार हालांकि भारत चीन, अमेरिका और जापान के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल उत्पादक है, जिसका एनुअल प्रोडक्शन लगभग छह मिलियन व्हीकल्स का है, लेकिन इसके ऑटोमोटिव सेक्टर को ऑपरेशनल कॉस्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी, ग्लोबल वैल्यू चेन में मध्यम इंटीग्रेशन, अपर्याप्त रिसर्च और डेवलपमेंट एक्सपेंडिचर आदि के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो ग्लोबल ट्रेड में इसकी कॉम्पिटिटिव में बाधा डालते हैं।
नीति आयोग ने कहा "भारत में ऑटोमोटिव इंडस्टी में ग्लोबल लीडर बनने की महत्वपूर्ण क्षमता है। मौजूदा चुनौतियों का समाधान करके और प्रस्तावित हस्तक्षेपों का लाभ उठाकर भारत अपनी कॉम्पिटिटिव बढ़ा सकता है, निवेश आकर्षित कर सकता है, और ग्लोबल वैल्यू चेन का नेतृत्व करने में सक्षम एक मजबूत ऑटोमोटिव सेक्टर का निर्माण कर सकता है।"