Insurance Amendment Bill 2025: साल 2025 बीमा सेक्टर के लिए बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है, केंद्र सरकार ने पुराने बीमा कानूनों को नए जमाने के हिसाब से ढालने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है, बीते शुक्रवार केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘सबका बीमा, सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) विधेयक, 2025’ को मंजूरी दी और अब मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे लोकसभा में पेश कर दिया है, सरकार का दावा है, कि इस बिल से बीमा का दायरा बढ़ेगा, निवेश आएगा और ग्राहकों के हितों को बेहतर सुरक्षा मिलेगी, जानिए इस बिल में क्या है, खास:-
इस बिल का सबसे बड़ा और चर्चा में रहने वाला प्रावधान बीमा सेक्टर में 100 फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की अनुमति है, फिलहाल बीमा कंपनियों में FDI की सीमा 74 फीसदी है, अगर ये सीमा 100 फीसदी कर दी जाती है, तो विदेशी बीमा कंपनियों के लिए भारत में सीधी एंट्री आसान हो जाएगी, एक्सपर्ट्स का मानना है, कि इससे घरेलू बीमा कंपनियों, खासकर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों पर दबाव बढ़ सकता है, हालांकि सरकार ये भी देखेगी कि बोर्ड और मैनेजमेंट में भारतीयों की भूमिका कितनी रहेगी।
बिल में बीमा कंपनी को किसी नॉन-इंश्योरेंस कंपनी में मर्ज करने की अनुमति का भी प्रावधान है, ये बदलाव खासतौर पर Max Financial Services के लिए पॉजिटिव माना जा रहा है, इससे Max Life Insurance के Max Financial में मर्ज होने का रास्ता साफ हो सकता है।
पॉलिसीधारकों के हितों को मजबूत करने के लिए सरकार रेगुलेटर IRDAI को पहले से ज्यादा ताकतवर बनाने की तैयारी है, प्रस्तावित बिल में SEBI की तरह IRDAI के पास भी ये पावर दी गई है, कि वो नियम तोड़ने वाली बीमा कंपनियों से गलत तरीके से कमाया गया मुनाफा वापस वसूल सके, इससे बीमा सेक्टर में मनमानी पर लगाम लगेगी और ग्राहकों का भरोसा मजबूत होगा।
वहीं देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC के लिए भी ये बिल राहत लेकर आया है, सरकार एलआईसी को ज्यादा आज़ादी देना चाहती है, ताकि वह अपने कामकाज के फैसले खुद ले सके, नए बदलावों में एलआईसी बोर्ड खुद तय करेगा कि कौन-सी शाखा कहां खोलनी है, कितने लोगों की भर्ती करनी है, ग्राहकों की सुविधा को सबसे पहले रखकर काम करना, सरकार का मानना है, कि इससे एलआईसी का काम और तेज और आसान हो जाएगा।
> बीमा सेक्टर में 100 फीसदी विदेशी निवेश की इजाजत मिलने से आम ग्राहकों को सीधे तौर पर कई फायदे मिल सकते हैं, नई-नई बीमा कंपनियों के आने से बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिसका असर प्रीमियम दरों पर पड़ेगा और बीमा पहले के मुकाबले सस्ता हो सकता है।
> इसके साथ ही क्लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया तेज और ज्यादा पारदर्शी होने की उम्मीद है, विदेशी निवेश से कंपनियों के पास ज्यादा पूंजी होगी, जिससे वो गांवों और छोटे शहरों तक भी बीमा सेवाओं का दायरा बढ़ा सकेंगी।
> इतना ही नहीं, कंपनियां ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से बेहतर और इनोवेटिव बीमा प्लान भी लॉन्च कर पाएंगी, सरकार का साफ लक्ष्य है, कि साल 2047 तक देश के हर नागरिक को बीमा सुरक्षा के दायरे में लाया जाए, और ये बदलाव उस दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
> बिल में कॉम्पोजिट इंश्योरेंस लाइसेंस का प्रावधान भी शामिल नहीं किया गया है, इस लाइसेंस के जरिए कोई कंपनी लाइफ, जनरल और हेल्थ तीनों तरह का बीमा एक साथ बेच सकती थी।
> इस बिल में ओपन आर्किटेक्चर को शामिल नहीं किया गया है, ओपन आर्किटेक्चर के तहत बीमा एजेंटों को एक से ज्यादा कंपनियों के प्रोडक्ट बेचने की आज़ादी मिलती।
> इसके साथ ही छोटे इंश्योरेंस कंपनियों के लिए नेट वर्थ कम करनी की मंज़ूरी नहीं दी गई है।