सोशल मीडिया भी एक अलग दुनिया है, जिसमें हम एक दूसरे से कोसो दूर होते हुए भी पास महसूस करते हैं। इसी कारण साक्षात सामने बैठे हुए भी लोगों से मीलों दूर हो जाते हैं। कोई भी चीज बेहद उपयोग करने पर, उसका परिणाम सदैव नकारात्मक ही मिलता है। मनुष्य में संवेदनाएं केवल सोशल मीडिया पर दिखती हैं। किसी को दान देना ,किसी की सहायता करना यह सब सोशल मीडिया पर दिखावे के रूप में लोग करने लगे हैं जिससे उनकी छवि हमेशा सफ़ेद रहे। असल ज़िन्दगी में कम ही ऐसा होता है। मनुष्य के द्वारा बनाये इस दुनिया के जाल में मनुष्य ही फँसता जा रहा है। सोशल मीडिया के सदुपयोग के बारे में दलील देने वालों को यह समझना चाहिए कि अति उपयोग और दुरूपयोग के कारण सोशल मीडिया का विरोध होना ज़रूरी है और उसके लिए सुधार करना चाहिए।