विमानों में क्षमता के अनुरूप यात्रियों की संख्या को यात्रा के लिए लागू ना करने के कारण कंपनियों को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ईंधन की खपत के आधार पर यात्रियों की संख्या में कमी रहती थी। इसका असर केवल विमान कंपनियों पर ही नहीं बल्कि यात्रियों पर भी किराये के वृद्धि के रूप में पड़ रहा था। जो भी कंपनी निर्धारित क्षमता से अधिक यात्रियों की सवारी करता था उस पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया था। अब इस समस्या से कंपनी और यात्रियों दोनों को छुटकारा मिलेगा। क्योंकि अब विमान पूरी क्षमता के साथ उड़ सकेंगे, इससे किराये में भी कमी आएगी।