2021 के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में, जिसे COP26 के रूप में भी जाना जाता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लिए 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की रूपरेखा तैयार की। इसके साथ ही, भारत 2030 तक अपनी निम्न-कार्बन बिजली क्षमता को 500 गीगावाट (GW) तक बढ़ाने और 2030 तक अक्षय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत पूरा करने का लक्ष्य बना रहा है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक अभी की तुलना में भारत की जीडीपी में 406 बिलियन अमरीकी डालर की वृद्धि होगी और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की ओर छलांग लगाकर 43 मिलियन से अधिक नौकरियों का सृजन करेगी।