रिश्वत देकर काम कराना और लेकर काम करना तो अब एक आम बात हो गयी है। आज की व्यवस्था का हाल यह है कि यदि हम कोई काम करने जाते हैं तो मन में मुख्य खर्च के आलावा अतिरिक्त खर्च (घूस) को भी जोड़ के जाते हैं। यह आज आम बात हो गयी है। जिनके पास ज्यादा मात्रा में पैसे होते हैं उनके लिए तो यह सामान्य है, परन्तु इससे मध्यम और निचले वर्ग के लोगों का हाल बुरा हो जाता है। अक्सर इससे जुड़े मामले हमें सुनने को मिल जाते हैं। अमेरिकी कंपनी डब्ल्यूपीपी ने भारत में रिश्वतखोरी के मामलों के निपटान हेतु एसईसी को 1.9 करोड़ डॉलर देने का फैसला किया है, जिस पर अनुचित ढंग से पैसे कमाने का आरोप एसईसी ने लगाया है। हालाँकि कि कंपनी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार नहीं किया है। इस फैसले से एसईसी को बहुत मदद मिलेगी।