जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में आयोजित होगी। इस बैठक में स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर टैक्स में राहत और 100 से अधिक वस्तुओं पर जीएसटी दरों में बदलाव पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक पहले नवंबर में होनी थी, लेकिन झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के कारण इसे स्थगित कर दिया गया।
सितंबर 9 को हुई बैठक में, जीएसटी काउंसिल ने दो मंत्रिसमूह (GoM) पैनल बनाए:
पहला पैनल: जीएसटी दरों की समीक्षा के लिए।
दूसरा पैनल: स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर टैक्स तय करने के लिए।
दोनों पैनल अपनी रिपोर्ट काउंसिल को प्रस्तुत करेंगे, जिसके आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
19 अक्टूबर को, बीमा टैक्स समीक्षा पैनल ने सुझाव दिया:
टर्म लाइफ इंश्योरेंस पर कोई जीएसटी न हो।
रु. 5 लाख तक के स्वास्थ्य बीमा पर टैक्स में राहत।
60 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए बीमा प्रीमियम पर छूट।
हालांकि, स्वास्थ्य बीमा पर पूरी तरह से टैक्स माफी नहीं दी जाएगी, जो वर्तमान में 18% है।
टर्म लाइफ इंश्योरेंस पर टैक्स माफी से सरकार को सालाना लगभग 200 करोड़ रु. का नुकसान होगा।
वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य बीमा पर टैक्स माफी से 3,000 करोड़ रु. का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
वित्तीय वर्ष 2022 से 2024 के बीच स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से 21,000 करोड़ रु. जीएसटी एकत्रित हुआ।
जीएसटी काउंसिल का दूसरा पैनल 100 वस्तुओं पर जीएसटी दरों में बदलाव का सुझाव देगा।
दरें बढ़ाने और घटाने दोनों पर चर्चा होगी।
सरकार को इससे सालाना 22,000 करोड़ रु. का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।
यह राशि केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से बांटी जाएगी।
जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में बीमा टैक्स में राहत और दरों के पुनर्गठन पर बड़े फैसले लिए जाने की संभावना है। ये बदलाव न केवल आम लोगों को राहत देंगे, बल्कि सरकार के राजस्व को भी संतुलित करेंगे।
जीएसटी काउंसिल (GST Council) भारत सरकार का एक संवैधानिक निकाय है, जो वस्तु एवं सेवा कर (GST) से संबंधित मामलों पर निर्णय लेने और नीतियां बनाने के लिए जिम्मेदार है। इसकी स्थापना संविधान (122वें संशोधन) अधिनियम, 2016 के तहत की गई थी।
जीएसटी दरों का निर्धारण:
विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरें तय करना।
करों की छूट:
किन वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स छूट दी जानी चाहिए, इसका निर्णय।
राजस्व वितरण:
केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स राजस्व के वितरण के नियम तय करना।
जीएसटी नियमों में बदलाव:
समय-समय पर टैक्स सिस्टम में बदलाव और सुधार की सिफारिश करना।
विवाद समाधान:
टैक्स से जुड़े मुद्दों पर राज्यों और केंद्र के बीच विवादों का समाधान करना।
जीएसटी काउंसिल में निम्नलिखित सदस्य होते हैं:
अध्यक्ष: भारत के वित्त मंत्री।
सदस्य:
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री या टैक्स मंत्री।
केंद्रीय राजस्व सचिव।
काउंसिल के निर्णय के लिए कम से कम तीन-चौथाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
काउंसिल नियमित अंतराल पर बैठक करती है, जिसमें टैक्स संबंधित नीतियों और नियमों पर चर्चा की जाती है। बैठक के दौरान लिए गए निर्णय पूरे देश में लागू किए जाते हैं।
समान टैक्स प्रणाली:
यह केंद्र और राज्यों के बीच एक समान टैक्स ढांचा बनाने में मदद करता है।
राज्यों का सशक्तिकरण:
राज्यों को टैक्स दरें और नीतियों पर सुझाव देने का अधिकार देता है।
व्यापार के लिए लाभकारी:
व्यापारियों और उद्योगों को पूरे देश में एक समान टैक्स प्रणाली का लाभ मिलता है।
जीएसटी काउंसिल भारत में कर सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान है। यह टैक्स प्रणाली को सरल, पारदर्शी और व्यापार-हितैषी बनाने में मदद करता है। इसके निर्णय न केवल सरकार के राजस्व को स्थिर रखते हैं, बल्कि नागरिकों और व्यापारियों के लिए भी लाभकारी होते हैं।