भारत सरकार GST 2.0 सुधार पैकेज लाने की तैयारी कर रही है। इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए 50% टैरिफ से प्रभावित क्षेत्रों को राहत देना है। इन सुधारों से खासकर वस्त्र (Textiles) और उर्वरक (Fertilisers) उद्योग को सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है।
कपड़ा उद्योग लंबे समय से इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (Inverted Duty Structure) की समस्या झेल रहा है। कच्चे माल पर टैक्स ज्यादा और तैयार माल पर टैक्स कम होने से छोटे बुनकरों, पावरलूम ऑपरेटरों और गारमेंट निर्माताओं की पूंजी फंस जाती है।
फ़िटमेंट कमेटी ने सुझाव दिया है कि निम्न वस्तुओं पर GST घटाकर सिर्फ 5% कर दिया जाए:
सूती, ऊनी और मैन-मेड फाइबर के बुने कपड़े।
रेडीमेड गारमेंट्स और होजरी प्रोडक्ट्स।
मिश्रित वस्त्र (Blended textiles)।
कार्यशील पूंजी (Working capital) पर दबाव घटेगा।
अमेरिकी टैरिफ के बीच भारतीय वस्त्र वैश्विक स्तर पर और प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
सरकार उर्वरक उद्योग पर भी ध्यान दे रही है। प्रस्ताव है कि निम्न इनपुट्स पर GST दर 12% से घटाकर 5% कर दी जाए:
यूरिया (Urea)
डायमोनियम फॉस्फेट (DAP)
म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP)
सिंगल सुपर फॉस्फेट (SSP)
कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर्स
संभावित लाभ / Expected Outcomes
उर्वरक कंपनियों के उत्पादन खर्च कम होंगे।
किसानों को सस्ते दामों पर खाद मिलेगी।
सरकार पर सब्सिडी का बोझ घटेगा।
इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या का हल मिलेगा।
3–4 सितंबर 2025 को दिल्ली में होने वाली GST काउंसिल की 56वीं बैठक में कई उपभोक्ता-केंद्रित फैसले लिए जा सकते हैं।
निल-रेट (Zero GST) का दायरा बढ़ेगा।
12% और 18% स्लैब की दरें घटाई जा सकती हैं।
UHT दूध, पनीर, पिज़्ज़ा ब्रेड, खाखरा, चपाती और रोटी को Zero GST में लाने का प्रस्ताव।
पराठा और परोट्टा, जो पहले 18% टैक्स में थे, अब निल-रेट में शामिल किए जा सकते हैं।
नक्शे, एटलस, ग्लोब, चार्ट।
अभ्यास पुस्तिकाएं, ग्राफ बुक्स, लैब नोटबुक्स।
पेंसिल, क्रेयॉन, शार्पनर, टेलर चॉक आदि।
इन सुधारों से छात्रों और परिवारों का खर्च घटेगा।
निर्यात प्रतिस्पर्धा मजबूत होगी।
उर्वरक कंपनियों और किसानों को सीधा फायदा होगा।
उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ घटेगा।
GST प्रणाली और अधिक सरल और पारदर्शी बनेगी।
GST काउंसिल GST Council की बैठक में इन सुधारों पर अंतिम मुहर लगेगी। अगर मंजूर हो जाते हैं तो यह सुधार छोटे कारोबारियों, किसानों और उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देंगे। साथ ही, यह सरकार की आर्थिक विकास और सेक्टर-विशेष सहयोग की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेंगे।
GST 2.0 सुधार भारत की अर्थव्यवस्था और विशेषकर वस्त्र एवं उर्वरक उद्योग के लिए एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। लंबे समय से चली आ रही इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की समस्या जहां छोटे बुनकरों, पावरलूम ऑपरेटरों और गारमेंट निर्माताओं को परेशान कर रही थी, वहीं अब प्रस्तावित 5% GST दर से उनकी पूंजी और नकदी प्रवाह पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
इससे भारतीय वस्त्र उद्योग अमेरिकी टैरिफ चुनौतियों के बावजूद वैश्विक स्तर पर और प्रतिस्पर्धी बन सकेगा। दूसरी ओर, उर्वरक पर GST घटने से उत्पादन लागत कम होगी, किसानों को सस्ते दामों पर खाद उपलब्ध होगी और सरकार का सब्सिडी बोझ भी घटेगा।
उपभोक्ता वस्तुओं और शिक्षा सामग्री पर कर छूट आम परिवारों और छात्रों के खर्च को कम करेगी। यदि ये सुधार GST काउंसिल की बैठक में पारित होते हैं, तो यह न केवल उद्योग और किसानों को राहत देंगे बल्कि समग्र रूप से अर्थव्यवस्था में स्थिरता और विकास को भी बढ़ावा देंगे।