कोई भी रिश्ता किसी समझौते से बड़ा होता है। कुछ ऐसा ही देखने को तब मिला जब फ्रांस ने अपना राजदूत ऑस्ट्रेलिया भेजने का मन बना लिया है। और उससे भी ज्यादा अच्छी बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री इस्कॉट जॉनसन ने इस फैसले के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। दरअसल 2016 में ऑस्ट्रेलिया ने लगभग 60 अरब डॉलर का परमाणु समझौता तोड़ दिया था। और इस फैसले के बाद ही फ्रांस ने अपने राजदूत को वापस अपने देश में बुला लिया था। लेकिन ऐसा लगता है समय के साथ-साथ इन दोनों देशों के बीच में खटास कम होती हुई दिख रही है। और दोनों देशों ने एक बार फिर से एक नई शुरुआत करने की पहल की है, जो कि काबिले तारीफ है।