Apple अपने iPhone प्रोडक्शन को चाइना से भारत में स्थानांतरित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, जिसका लक्ष्य अगले साल के अंत तक अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश iPhone को भारत से इम्पोर्ट करना है। यह स्ट्रेटेजिक कदम टैरिफ और जीओपलिटिकल टेंशन से जुड़े रिस्क को कम करने के Apple के ब्रॉडर एफर्ट का हिस्सा है। कंपनी भारत में अपने एनुअल iPhone प्रोडक्शन को दोगुना करके 80 मिलियन यूनिट से अधिक करने की योजना बना रही है, जो मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में दक्षिण एशियाई नेशन पर बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है।
Apple की महत्वाकांक्षी योजना में भारत में अपने iPhone प्रोडक्शन को मार्च 2025 को समाप्त होने वाले फाइनेंसियल ईयर में 40 मिलियन यूनिट से बढ़ाकर सालाना 80 मिलियन यूनिट से अधिक करना शामिल है। यह बदलाव तब हुआ है, जब Apple अमेरिका में हर साल 60 मिलियन से अधिक iPhone बेचता है। भारत में कंपनी के प्रतिनिधियों ने अभी तक इन घटनाक्रमों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। रिपोर्ट्स से पता चलता है, कि Apple का लक्ष्य 2026 के अंत तक अमेरिका में बेचे जाने वाले सभी iPhones को भारत से मंगाना है। यह कदम हाल की जीओपलिटिकल चुनौतियों और ट्रेड ट्रैरिफ के मद्देनजर कंपनियों द्वारा अपनी सप्लाई चेन का रिवैल्युएशन करने की एक बड़ी ट्रेंड का हिस्सा है।
भारत में प्रोडक्शन बढ़ाने का निर्णय विभिन्न कारकों से प्रभावित है, जिसमें चाइना में कठोर COVID-19 लॉकडाउन शामिल है, जिसने Apple के सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में प्रोडक्शन को बाधित किया। इसके अतिरिक्त ट्रम्प प्रशासन के दौरान लगाए गए टैरिफ ने Apple को चाइनीज़ मैन्युफैक्चरिंग पर निर्भरता से दूर जाने के लिए प्रेरित किया है। कंपनी ने पहले ही भारत में प्रोडक्शन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, पिछले वर्ष देश में $22 बिलियन वैल्यू के iPhone असेंबल किए गए हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
भारत में उत्पादित अधिकांश iPhones को दक्षिण भारत में Foxconn Technology Group के कारखाने में असेंबल किया जाता है। इसके अतिरिक्त Tata Group की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग शाखा Apple की सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसने Wistron Corp. के लोकल बिज़नेस का अधिग्रहण किया है, और इस क्षेत्र में Pegatron Corp. के ऑपरेशन का मैनेज किया है। Foxconn और Tata दोनों ही दक्षिण भारत में अपनी प्रोडक्शन क्षमताओं का विस्तार कर रहे हैं, जिससे Apple की मैन्युफैक्चरिंग स्ट्रेटेजी में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में देश की स्थिति और मजबूत हो रही है।
भारत में Apple के प्रोडक्शन से एक्सपोर्ट में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, कंपनी ने मार्च 2025 को समाप्त होने वाले फाइनेंसियल ईयर में इस क्षेत्र से लगभग 1.5 ट्रिलियन रुपये (लगभग $17.5 बिलियन) वैल्यू के iPhone एक्सपोर्ट किए हैं। ट्रम्प प्रशासन द्वारा पारस्परिक टैरिफ की घोषणा के बाद यू.एस. को शिपमेंट में तेज़ी आई है। हालाँकि स्मार्टफ़ोन सहित इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों के लिए हाल ही में दी गई छूट से कुछ राहत मिली है, लेकिन ओवरआल टैरिफ लैंडस्केप काम्प्लेक्स बना हुआ है, विशेष रूप से चाइनीज़ इम्पोर्ट पर चल रहे शुल्कों के साथ। भारत में Apple के सफल मैन्युफैक्चरिंग प्रयासों को राज्य सब्सिडी द्वारा बढ़ावा दिया जाता है, जिसका उद्देश्य देश को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलना है, जो इकनोमिक ग्रोथ के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप है।