युवा पीढ़ी को प्रभावित करते आधुनिक उपकरण

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25 Oct 2021
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युवाओं को यह सीखने की ज़रूरत है कि वह जिन चीज़ों पर समय बिताते हैं उनमें संयम कैसे बरता जाए। साथ ही यह माता-पिता की भी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह अपने बच्चों को इसकी लत होने से रोकें और इन उपकरणों पर कम से कम समय व्यतीत करें। ज़ाहिर है कि किशोरों के लिए प्रौद्योगिकी मजेदार है और उन्हें अपने दोस्तों और परिवार से जुड़े रहने का मौका देता है, जो महत्वपूर्ण भी है। लेकिन हर चीज़ की सीमा अवश्य होनी चाहिए।

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हर गुजरते दिन के साथ प्रौद्योगिकी बढ़ रही है और सभी के जीवन को खुशहाल और सुविधाजनक बना रही है। खासकर युवा पीढ़ी के लिए, जो इस टेक्नोलॉजी से पूरी तरह से बंध चुकी है। यह इस पर इतना निर्भर हो चुकी है कि इसके बिना कोई भी काम आसान नहीं है। लेकिन एक आवश्यकता के अलावा यह आज की पीढ़ी की लत बन चुकी है। इसके प्रति युवाओं और बच्चों की लत उनके शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट पैदा करता है। नींद न आना, ऑंखों में समस्या, चिंता आदि इस लत के कारण कारण जन्म लेते हैं। अतः इनका सीमा में उपयोग आवश्यक है।

युवा पीढ़ी और मोबाइल फोन

वर्तमान समय में प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) हम सभी के रोज-मर्रा के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है। हम में से प्रत्येक व्यक्ति प्रौद्योगिकी पर इतना अधिक निर्भर है कि इसके बिना हम कुछ भी आसानी से नहीं कर सकते। आज कोई भी टैक्नोलॉजी से दूर नहीं है। ईमेल के माध्यम से संचार, मल्टी-मीडिया साइटों का उपयोग करना, जानकारी खोजना या ऑनलाइन खरीदारी करना आज प्रत्येक घर की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन चुकी है। हाल के दिनों में बच्चे और युवा वर्गों में इसकी लोकप्रियता बहुत ही बढ़ गई है। इनमें भी ख़ासकर सोशल नेटवर्किंग साइट् का पागलपन अपनी चरम सीमा पर है। लोग अपने मोबाइल उपकरणों और कम्प्यूटर ‌के माध्यम से आसपास की दुनिया से तेजी से जुड़ रहे हैं। हालांकि टेक्नोलॉजी ने प्रत्येक वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है लेकिन उनमें भी टेक्नोलॉजी ने युवा वर्ग और बच्चों के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला है। आज देखा जाए तो 30 प्रतिशत से अधिक इंटरनेट उपभोक्ता बीस वर्ष ‌तक की आयु के होते हैं। आज इंटरनेट ने मानों युवा वर्ग को अपना दीवाना कर दिया है।

हालांकि यह सत्य‌ है कि मोबाइल फोन जैसे आविष्कार जीवन को आसान बनाते हैं लेकिन साथ ही चल रहे इस तकनीकी परिवर्तन से दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैैं यह भी‌ एक विचार करने का विषय बन गया है। 

मोबाइल उपकरणों के दुष्प्रभाव

युवा पीढ़ी का इन उपकरणों के प्रति सनक मस्तिष्क को ‌बुरी तरह प्रभावित कर‌ता है। यह लत उनके काम और घरेलू काम जैसी जिम्मेदारियों में हस्तक्षेप करती‌ है। ऑकड़ो से पता चलता है कि 72 प्रतिशत युवा सोशल मीडिया पर संदेशों और अन्य सूचनाओं का तुरंत जवाब देने की आवश्यकता महसूस करते हैं और लगभग 78 प्रतिशत युवा प्रति घंटे अपने मोबाइल को चेक करते हैं। इसके अलावा यह उनके स्वास्थ्य पर भी इसके कारण असर होता है। आज हर घर में देखा जा सकता है कि बच्चे पूरा दिन अपने मोबाइल फोन से चिपके रहते हैं जिसके कारण उनकी शारीरिक क्षमता में कमी आती है। शारीरिक गतिविधियों में कमी, कम उम्र के बच्चों में मोटापे का कारण बन रही है। इसके साथ-साथ ये दृष्टि विकार और अनिद्रा की भी समस्या को जन्म देते हैं। स्मार्टफोन से निकलने वाले हानिकारक विकिरण ऑंखों पर दुष्प्रभाव डालते हैं। कुछ मोबाइल गेम्स ऐसे होते हैं जो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव डालते हैं जिनकी उन्हें लत हो जाती है और वह उससे अलग नहीं हो पाते। इस कारण उनके व्यवहार में नकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। हद से ज्यादा इंटरनेट और स्मार्टफोन की लत अवसाद (डिप्रेशन) और चिंता के साथ-साथ आपके व्यवहार का भी कारण बनती है। बच्चे अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ समय बिताने के बजाय सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए खुद को अपने कमरों में बंद कर लेते हैं। इससे बच्चे भावनात्मक और सामाजिक विकास के एक बड़े हिस्से से चूक जाते हैं।

संतुलन आवश्यक है‌‌

यह निश्चित ही गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि ‌युवा ही हमारे आने वाले भविष्य के स्तंभ हैं। अतः युवाओं को यह सीखने की ज़रूरत है कि वह जिन चीज़ों पर समय बिताते हैं उनमें संयम कैसे बरता जाए। साथ ही यह माता-पिता की भी जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह अपने बच्चों को इसकी लत होने से रोकें और इन उपकरणों पर कम से कम समय व्यतीत करें। ज़ाहिर है कि किशोरों के लिए प्रौद्योगिकी मजेदार है और उन्हें अपने दोस्तों और परिवार से जुड़े रहने का मौका देता है, जो महत्वपूर्ण भी है। लेकिन हर चीज़ की सीमा अवश्य होनी चाहिए। हम सभी ने ‌एक लोकप्रिय कहावत‌ अवश्य सुनी‌ है, कि "आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है"। कोई भी आविष्कार मानव‌ जीवन की सहुलियत के लिए किए जाते है, लेकिन उसका अपव्यय अवश्य ही बुरा होता है। इसलिए हर एक चीज़ का संतुलन बनाए रखना चाहिए।

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