यहाँ सीधी उँगली से भी घी निकलता है

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31 Jul 2021
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जिला औरैया जो कि प्रसिद्द है, देसी घी उत्पादन के लिए। जिला औरैया दूध की धारा बहाते हुए कई राज्यों को अपने शहर का बना देसी घी बाँट रहा है। जिला औरैया का मुख्य व्यवसाय देसी घी है यहाँ के देसी घी का स्वाद कई राज्यों के घरों की रोटी को मिल रहा है।

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जिला औरैया जो कि प्रसिद्द है, देसी घी उत्पादन के लिए। जिला औरैया, दूध की धारा बहाते हुए कई राज्यों को अपने शहर का बना देसी घी बाँट रहा है। जिला औरैया का मुख्य व्यवसाय देसी घी है यहाँ के देसी घी का स्वाद कई राज्यों के घरों की रोटी को 

मिल रहा है। 

17 सितंबर 1997 को इटावा जनपद से दो तहसीलें औरैया और बिधूना अलग की गयीं और औरैया जनपद की स्थापना की गई। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चिन्हित औद्योगिक रूप से पिछड़े जनपदों में औरैया भी शामिल है। इस जनपद में मात्र दो कस्बे ऐसे हैं जहाँ पर मुख्य उद्योग स्थापित हैं, वे हैं डिबियापुर और औरैया। इस क्षेत्र के और इलाक़े निकटवर्ती जनपदों फर्रूखाबाद , मैनपुरी, आगरा , ग्वालियर और कानपुर के साथ बहुत पुराने समय से कार्यरत हैं। घी के बहुतायत उत्पादन के साथ-साथ डिबियापुर में दाल मिलें व चावल मिलें बहुतायत में हैं। इन मिलों के अतिरिक्त यहाँ कुछ लघु उद्योगों के साथ-साथ स्टील फ़र्नीचर तथा सीमेंट उद्योग भी स्थित हैं। इन मिलों के लिए कच्चा माल आगरा व कानपुर से आयात किया जाता है । मुख्य तौर पर यहाँ से चावल, दालें तथा देशी घी अन्य नगरों व राज्यों को निर्यात किया जाता है।

औरैया नगर में लकड़ी के फ़र्नीचर का काम बड़े पैमाने पर किया जाता है। अपनी गुणवत्ता और मूल्य के कारण यहाँ के फ़र्नीचर नें अपनी माँग बाज़ारों में ही नहीं वरन आस-पास के जनपदों में भी स्थापित कर ली है। औरैया जनपद प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है। यहाँ पर पशुपालन एक मुख्य व्यवसाय है। यह जनपद देशी घी का एक प्रमुख उत्पादक है। अन्य राज्यों मे यहाँ का तैयार घी भेजा जाता है।

जिस तरह औरैया जिले में घी उत्पादन होता है उस उत्पादन के पीछे कई और उत्पादन भी उसका सहारा बनते हैं। साथ ही साथ कई और व्यवसाय पनपते हैं।  जिस प्रकार घी के लिए दूध की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार दूध के लिए डेयरी की आवशयकता होती है, डेयरी वालों को गाय और भैंस की जरूरत होती है।, उसके लिए बड़ी-बड़ी आढ़त लगती है गाय-भैंस के लिए चारा, चोकर और उनकी देख भाल के लिए कर्मचारी भी रखने पड़ते हैं। कहने का मतलब एक विशेष व्यवसाय के साथ-साथ कई और व्यवसाय एक शृंखला की भांति कार्य करते हैं और सबसे मजे की बात ये है कि, किसी भी व्यवसाय का किसी भी व्यवसाय के बिना कोई अस्तित्व नहीं। अब सोचिये हम घी को खाते वक्त ये ख्याल भी नहीं करते होंगे, बस घी रोटी में लगाया रोटी को उठाया और चाव से खाया।

घी खाना है तो औरैया आइये 

भारत में दुग्ध क्रांति से एक बहुत बड़े स्तर पर दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी हुई  इसको स्वेत क्रांति भी कहते हैं इसका श्रेय डॉ॰ वर्गीज़ कुरियन को जाता है। इनका जन्म  26 नवम्बर 1921 तथ इनका स्वर्गवास 9 सितंबर 2012को हुआ, एक प्रसिद्ध भारतीय सामाजिक उद्यमी थे। 

"सफ़ेद क्रान्ति का जनक"( 'फादर ऑफ़ द वाइट रेवोलुशन') के नाम से अपने 'बिलियन लीटर आईडिया' (ऑपरेशन फ्लड) - विश्व का सबसे बड़ा कृषि विकास कार्यक्रम - के लिए आज भी मशहूर हैं।  इस ऑपरेशन ने 1998 में भारत को अमरीका से भी ज़यादा तरक्की दी। और दूध अपूर्ण देश से दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया। 

जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि दूध के बहुत सारे प्रोडक्ट बनते हैं मगर घी सबसे उत्तम और लम्बे समय तक चलने वाला प्रोडक्ट है, जिसको आप वर्षों तक भी रख सकते हैं। और फिर जहाँ बात हो औरैया के घी की तो आप इसको इसका गढ़ ही समझें। औरैया जिले में में घी के लिए दूध की सप्लाई और दूसरे राज्यों से भी होती है।

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