मानवता की भावना को जगाता है विश्व मानवता दिवस

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19 Aug 2021
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हमें चाहिए कि हम अपने मानव कर्तव्यों को समझें और समाज में मानवता के लिए काम करें। दुनिया में मानवता की भावना को स्थापित करने के लिए एक सामूहिक प्रयास किया जाना चाहिए। विकसित देशों में जहां मानवता के लिए चुनौतियां थोड़ी कम हैं, उन्हे विकासशील, गरीब और छोटे देशों का हाथ थामकर उन्हें आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए। जिससे हर एक देश मानवता की दिशा में कुशलता पूर्वक काम कर सके। 

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पृथ्वी पर जन्म लेने वाले इंसानों को काफी सौभाग्यशाली माना जाता है, कहा जाता है कि मानव के रूप में जन्म मिलना सबसे बड़ा सौभाग्य है। देवता भी इस दुर्लभ जन्म के लिए तरसते हैं। यदि पूरे विश्व की जनसंख्या को गिना जाए तो विश्व में कुल 7.9 बिलियन लोग हैं। इस जनसंख्या में अकेले भारत में 1.39 बिलियन लोग हैं। मानव जन्म के प्रति सबके कई कर्तव्य भी होते हैं, मानवों को इन्ही कर्तव्यों को याद दिलाने के लिए विश्व मानवतावाद दिवस मनाया जाता है। आज के समय में जिस प्रकार से अमानवीय कृत्य बढ़ते ही जा रहे हैं, उसके लिहाज से विश्व मानवतावाद दिवस काफी अहम है। हमारा देश भारत तो आज भी मानवता के दुश्मन आतंकवादियों से संघर्ष कर रहा है। 

सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2008 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की थी। इसके बाद पूरे विश्व में 19 अगस्त 2013 से विश्व मानवतावादी दिवस मनाया जाने लगा। इसे मनाए जाने के पीछे के खास वजह भी है। दरअसल 19 अगस्त 2003 को इराक की राजधानी बगदाद में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर बम से हमला किया गया था। इस हमले में 22 लोगों की मौत हुई थी। मानवता के खिलाफ हुए इस हमले के कारण ही विश्व मानवतावाद दिवस मनाया जाता है। 

मानवता को शर्मसार करने वाली कुछ प्रमुख चीजें- 

आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है। समय-समय पर आतंकवाद ने मानवता को झकझोरता रहा है। भारत में हुआ मुंबई हमला जिसे 26/11 के नाम से भी जाना जाता है, इस हमले ने सबको हिलाकर रख दिया था। इस आतंकी हमले में 150 से ज्यादा लोग मारे गए थे, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हमले के बाद सुरक्षाबलों ने नौ आतंकियों को ढेर किया था, जबकि कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था। 

वर्ष 1990 में कश्मीरी हिंदुओं पर हुए अत्याचार से भी पूरी दुनिया का दिल दहल गया था। अमेरिका में 9/11 हुए आतंकी हमले से भी पूरी दुनिया वाकिफ है। यह दुनिया के सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक था। इस हमले में करीब तीन हजार निर्दोष लोगों की जान गई थी। हालांकि अमेरिका ने खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन को मारकर अपना बदला पूरा किया था। हाल ही में हुए इजराइल और फिलिस्तीन के युद्ध में भी कई निर्दोष नागरिक मारे गए थे। अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों का कब्जा होने के बाद वहां भी मानवता को पैरों तले कुचला जा रहा है। 

इन सबके अलावा रेप, बलात्कार, हत्या जैसे शर्मनाक कार्यों द्वारा हर रोज दुनिया के किसी ना किसी कोने में रोज मानवता का गला घोंटा जाता है। बीमारी, भुखमरी से भी मानवता को खतरा है। हमें चाहिए कि हम अपने मानव कर्तव्यों को समझें और समाज में मानवता के लिए काम करें। दुनिया में मानवता की भावना को स्थापित करने के लिए एक सामूहिक प्रयास किया जाना चाहिए। विकसित देशों में जहां मानवता के लिए चुनौतियां थोड़ी कम हैं, उन्हे विकासशील, गरीब और छोटे देशों का हाथ थामकर उन्हें आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए। जिससे हर एक देश मानवता की दिशा में कुशलता पूर्वक काम कर सके। 

अलग-अलग जाति, मजहब, धर्म, पंथ, लिंग, ऊँच नीच के आधार पर बंटे हुए समाज को मानवता को अपना प्रथम धर्म समझना चाहिए। लोगों को अपने मन से ईर्ष्या, द्वेष, नफरत, घृणा आदि कि भावना को निकालकर मानवता की भावना का सृजन करना चाहिए। ऐसा करके ही इंसान समाज में शांति स्थापित कर सकता है। मानवता की डोरी में बँधा हुआ समाज ही  विश्व को उन्नति और समृद्धि के रास्ते पर ले जा सकता है। बिना मानवता के इंसान का जीवन ठीक वैसा ही है, जैसे बिन रोशनी के सूर्य, बिन चाँदनी के चाँद, बिन चमक का हीरा। मानवता के इस सपने को साकार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बहुत बड़ी क्रांति, एक बड़े जन आंदोलन की आवश्यकता है। 

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