पूजा में क्यों होता है आसन का उपयोग?

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01 Nov 2021
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कहा जाता है कि आसन पर बैठकर पूजा करने से ही आपकी पूजा पूर्ण रुप से सफल मानी जाती है। पूजा-पाठ को लेकर हमारे मन में कई बार विचित्र सवाल उत्पन्न होने लगते हैं, जिसका जवाब हम बड़े होने के बाद भी नहीं जान पाते।आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों पूजा करते वक्त आसन बहुमूल्य है।

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पूजा-पाठ को लेकर हमारे मन में कई बार विचित्र सवाल उत्पन्न होने लगते हैं, जिसका जवाब हम बड़े होने के बाद भी नहीं जान पाते। फिलहाल त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है। पूजा-पाठ को लेकर सभी उत्सुक हैं। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को लेकर कई नियम कायदे बनाए गए हैं। जिनका पालन करते हुए ही पूजा-अर्चना करनी चाहिए। जिससे आपको अच्छी फल प्राप्ति होती है। इसी में एक सवाल यह भी उत्पन्न होता है कि आखिर पूजा में आसन पर बैठकर ही पूजा क्यों की जाती है। 

यह सवाल बच्चों से लेकर बड़ों के मन में भी जरूर उत्पन्न होता है। कई लोगों में देखा जाता है कि वह जमीन पर बैठकर भी पूजा कर लेते हैं, लेकिन जमीन पर बैठकर पूजा करने को सही नहीं माना जाता। कहा जाता है कि आसन पर बैठकर पूजा करने से ही आपकी पूजा पूर्ण रुप से सफल मानी जाती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बताने की कोशिश करेंगे कि आखिर क्यों पूजा करते वक्त आसन बहुमूल्य है।

आसन के उपयोग की वजह

आखिर आसन पर बैठकर पूजा क्यों की जाती है, इसे लेकर हमने कई गुरुओं से बातचीत की, इसमें हमने ज्योतिषियों को भी शामिल किया और हम सबसे आसान उत्तर आप सभी तक पहुंचा रहे है। विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी पूजा या मंत्र जाप को करते समय आसन की आवश्यकता बेहद जरूरी है। विशेषज्ञों ने इस बात को तरजीह दी है। विशेषज्ञों ने आगे की जानकारी में बताया कि किसी भी शुभ कार्य को करते वक्त हमारे शरीर के अंदर सकारात्मक तथा अच्छी ऊर्जा का संचार बढ़ने लगता है और अगर आप बिना आसन के पूजा पर बैठ जाएंगे तो आपकी सकारात्मक और ताकतवर ऊर्जा जमीन में चली जाएगी। आसन हमारे शरीर और जमीन के बीच ऊर्जा को ना जाने देने की प्रक्रिया निभाता है। यह बहुत पवित्र प्रक्रिया है। आगे से आप जब भी पूजा करें तो आसन का इस्तेमाल जरूर करें।

पूजा के अनुसार आसन

विशेषज्ञों ने हमे पूजा के अनुसार असान इस्तेमाल करने के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि कंबल या ऊनी आसन पर बैठकर पूजा करना सबसे सर्वोत्तम होता है।

अगर माता लक्ष्मी, हनुमान जी, या माता दुर्गा की पूजा की जा रही हो तो लाल रंग के कंबल रूपी आसन पर बैठकर पूजा करना उत्तम होता है।

अगर पूजा अर्चना मंत्र सिद्धि को लेकर की जा रही हो तो कुशा से बने आसन का प्रयोग किया जा सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुशा का अर्थ, वनस्पति या घास या फिर रस्सी होता है यानी कि इन चीजों से बने आसन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

इसके अलावा अगर श्रद्धा कर्म से जुड़ा कोई कार्य हो रहा हो तो कुशा का आसन वर्जित माना जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की पूजा में आप किसी अन्य आसन या फिर सामान्य आसन का इस्तेमाल सकते हैं।

क्या है आसन के लिए नियम

विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी दूसरे व्यक्ति का आसन उपयोग में नहीं लेना चाहिए। पूजा में आसन के इस्तेमाल हो जाने के बाद उसे साफ-सुथरी और सही जगह पर वापस रख देना चाहिए। आसन का निराधार भी कभी नहीं करना चाहिए। जो असान आप पूजा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं उस का इस्तेमाल किसी और कार्य के लिए कभी नहीं करना चाहिए।

यह जरूरी बात भी जान लें 

आसन को लेकर विशेषज्ञों ने एक विशेष बात भी बताई और कहा कि कभी भी आसन से अचानक नहीं उठना चाहिए। पहले थोड़े से पानी से आचमन कर भूमि को चढ़ाना चाहिए, फिर प्रणाम करना चाहिए और अपने आराध्य देवी-देवताओं को याद करते हुए ही आसन से उठाना चाहिए।

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