जानिए चाय का इतिहास किसने दिया इसे ये नाम

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23 Feb 2022
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आज चाय हमारे जीवन में पेट्रोल की तरह हो गई है जब तक कोई इसकी चुस्कियां नहीं ले लेता तब तक हमारा दिन शुरू नहीं होता इसलिए चाय की तलब क्या होती है ये हम सब जानते है,शायद आपको भी होगी।लेकिन क्या आपको चाय या टी के इतिहास, और किसने दिया इसे ये नाम के बारे में पता है? या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर कैसे बनाई हर चाय ने हर घर के डब्बे में अपनी अहम जगह यदि नहीं तो जानते तो आज आप चाय से जुड़ी सारी जानकारी को जान जाएंगे।

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हर घर में सुबह की शुरुआत चाय से होती फिर चाहे ख़ुशी का माहौल हो या दुःख  हो हर मूड में चाय हमारा साथी बनती है। इसलिए हर घर में सुबह से शाम तक चुस्कियों भरी चाय (tea) तो हम सब पीते है लेकिन क्या कभी ऐसे ही चाय पीते-पीते आपके मन में ये ख़्याल आया कि आखिर कब और कैसे ये हमारी जिंदगी में रोज़ की दिनचर्या में शामिल हो गई? शायद आया भी होगा और आप में से कुछ ने गूगल (google) भी किया होगा जहां आपने ये जाने की कोशिश कि होगी कि कहाँ से हुई चाय की शुरुआत और किस व्यक्ति ने दिया इसे ये नाम? अगर हमारी तरह आप भी ये जानने में बहुत उत्सुक हैं तो चलो आज चाय का कप हाथ में लिए बात करते है चाय के इतिहास के बारे में।

चाय का इतिहास (history of tea):-

चाय का इतिहास बहुत पुराना है जो चीन से शुरू हुआ था। आज से लगभग 500 साल पहले,  इसके पीछे बहुत दिलचस्प कहानी है। इस कहानी के अनुसार चीन (china) के सम्राट शैन नुंग (Emperor Shen Nung) अपने गार्डन में बैठे थे। उन्हें हमेशा गर्म पानी पीने की आदत थी एक दिन उनके गर्म पानी के कप में पेड़ से कुछ पत्तियां गिर गई जिन्होंने हल्का हल्का रंग छोड़ दिया और उसमें से ऐसी खुश्बू आने लगी कि सम्राट शैन नुंग उसके स्वाद को चखे बिना रह ही नहीं पाए और उन्होंने उस पानी को पी लिया। जब उन्होंने उस पानी को पीया तो उन्हें कुछ अलग सी ताजगी (refresh tea) का एहसास हुआ। सम्राट शैन नुंग ने इसे फिर रोज पीना शुरू कर दिया।

कैसे पड़ा चाय का ये नाम

सम्राट शैन नुंग ने जब इसे रोज इसे पीना शुरू किया तब उन्होंने सोचा कि इसे क्या नाम दिया जाए तो उन्होंने काफ़ी सोच समझकर इसे “ch’a” का नाम दिया जिसका चाइनीज भाषा में अर्थ होता है- चेक करना, इन्वेस्टीगेट करना। तो इसका सारा का सारा श्रये सम्राट शैन नुंग को दिया जाता है।

ये तो आप भी जानते है कि चाय में ऐसी एनर्जी होती है जो आपको रिफ़्रेश कर देती है। चीन ने ये राज नौंवी शताब्दी तक किसी को नहीं बताया लेकिन ये महकती हुई खुश्बू और ताजगी भरा पेय पदार्थ आखिर कब तक किसी से छुपा रहता, चीनियो के इस राज से पर्दा उठाया बौद्ध भिक्षुओं ने इन्होंने जपान में जाकर चाय के बारे में सबको बता दिया। ऐसे धीरे-धीरे 1610 में यूरोप (Europe) को भी इसकी ख़बर हो गई और कुछ डच व्यापारी चीन से चाय को यूरोप ले गए। फिर एक दिन लन्दन की अखबार (London newspaper) में इस चाय पर एक आर्टिकल छपा जिसके बाद ये दुनियाभर में फ़ेमस हो गई।

भारतीयों के जीवन में कैसे हुई इसकी शुरुआत 

लेकिन अब सवाल ये है कि भारतीयों को कैसे हुआ इस चाय की ताजगी का एहसास तो दोस्तों भारत में सन 1815 में जब अंग्रेजों का राज था तब कुछ अंग्रेजों ने असम में उगने वाले चाय की झाड़ियों को देखा जिसे वहां के लोकल कबाइली लोग पानी मे उबालकर पीते थे। इस पर भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने काफी विचार किया और 1834 में भारत में चाय के उत्पादन के लिए कमेटी बनाई और 1835 में असम में चाय की खेती का बिज़नेस (tea farming business) की शुरू कर दिया। आज भारत में वर्ड फ़ेमस चाय (world's famous tea)का उत्पादन होता है। भारत की फ़ेमस चाय (India's famous tea) जैसे दार्जिलिंग टी (Darjeeling tea),असम टी (Asam tea) का पूरी दुनियां में निर्यात किया जाता हैl 

चीन से एक लंबे समय से सफर करती आई चाय पहले तो केवल ऊँचे वर्ग के लोगों का पेय पदार्थ था लेकिन धीरे-धीरे आज हर वर्ग तक इसका स्वाद सब की पसन्द बन गया है। आज के समय में चाय एक ऐसा प्रसिद्ध पेय पदार्थ (famous drink) बन गया है यही नहीं आज हमारे पास चाय की कई वेरिटीएस (varieties of tea) आ गई है जैसे:-ब्लैक टी (black tea),ग्रीन टी (green tea) और लेमन टी (lemon tea) आदि जिसे दुनियां के हर लोगों को के दिलों में उनकी अपनी पसंद के अनुसार राज कर लिया है।

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