शाकाहारी भोजन के क्या हैं प्रभाव

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06 Dec 2021
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शाकाहारी आहार का पालन करना हाल के कुछ वर्षों में लोगों के लिए एक नई जीवनशैली के रूप में उभर रहा है। लोग उन सभी उत्पादों का सेवन बंद कर रहे हैं जो पशुओं से आधारित होते हैं। इसके कारण उन लोगों में अनेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव पड़ते हैं।

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शाकाहारी आहार का पालन करना हाल के कुछ वर्षों में लोगों के लिए एक नई जीवनशैली के रूप में उभर रहा है। लोग उन सभी उत्पादों का सेवन बंद कर रहे हैं जो पशुओं से आधारित होते हैं। इसके कारण उन लोगों में अनेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव पड़ते हैं। इस लेख में हमने उन सभी दुष्प्रभाव के बारे में चर्चा की है।

शाकाहारी आहार क्या है?

शाकाहारी आहार vegan diet पिछले कुछ वर्षों में सबसे लोकप्रिय जीवन शैलियों में से एक रहा है। इसके अंतर्गत लोगों ने सभी पशु उत्पादों का सेवन बंद कर दिया है, जिसे आमतौर पर बहुत ही नैतिक और स्थिर ethical and sustainable आहार माना जाता है। लोगों के अनुसार शाकाहारी आहार का सेवन करना नैतिकता को दर्शाता है, जिसकी वजह से लोग उन सभी पशु उत्पादों के सेवन को बंद कर देते हैं, फिर चाहे वह मांस meat, डेयरी उत्पाद dairy products, मेकअप makeup या साबुन soap हो, जो पशु उत्पादों और उनके परीक्षण द्वारा बनाए जाते हैं। शाकाहारी उत्पादों का सेवन करने वाले लोग सिर्फ पौधों से आधारित खाद्य पदार्थों पर निर्भर रहते हैं। लेकिन ऐसा करना पूरी तरह से सही नहीं है। कई शोधों में ऐसा देखा गया है कि सिर्फ़ शाकाहारी भोजन का सेवन करने वाले लोगों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य इस क्रिया से प्रभावित होता है। इसके कई दुष्प्रभाव सामने आए हैं।

1.कम शारीरिक ऊर्जा और वजन की समस्या

पशु आधारित आहार से पौधे आधारित आहार पर स्विच करने से हमारी कैलोरी (calorie) को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शाकाहारी भोजन मांसाहार की तुलना में उतने समृद्ध नहीं होते हैं। इसलिए यह प्रक्रिया हमारी शारीरिक ऊर्जा को कम करता है। ज़्यादातर लोग अपने खाने की मात्रा को भी कम कर देते हैं, जिसके कारण उनके पोषण में कमी आती है और उनके वजन पर इसका प्रभाव पड़ता है। पौधे आधारित आहारों में पशु प्रोटीन के सभी स्रोत शामिल नहीं होते, जिसकी वजह से उनके लिए पशु आधारित आहार का सेवन आवश्यक हो जाता है। 

2. हार्मोन की गड़बड़ी

अक्सर शाकाहार का पालन करने वाले लोग सोया के सेवन पर जोर करते हैं, जिसे प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत माना जाता है। वे सोया का सेवन सोया दूध और टोफू के रूप में भी करते हैं। सोया के सभी रूपों में भारी मात्रा में फाइटोएस्ट्रोजेन phytoestrogens शामिल होते हैं, जिनका अधिक सेवन शरीर के हार्मोन स्तर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। हार्मोनल असंतुलन से त्वचा पर ब्रेकआउट, बालों के झड़ने, अनियमित मासिक धर्म, त्वचा के रंजकता की समस्या skin pigmentation problems आदि जैसी समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है।

3. आयरन iron और विटामिन बी-12 vitamin B-12 की कमी

हालांकि शाकाहारी आहारों में आयरन शामिल होता है लेकिन यह "लो-हीम" low-heme किस्म का होता है, जो शरीर में सही तरीके से अवशोषित absorbed नहीं होता। इसलिए शाकाहारी लोगों में आयरन की कमी का खतरा अधिक होता है। शरीर में आयरन की कमी होने से थकान और अनीमिया जैसे लक्षण हो सकते हैं। वहीं विटामिन बी-12 भी शरीर के लिए एक आवश्यक विटामिन है। चूंकि विटामिन बी-12 मुख्य रूप से पशु आधारित आहारों से आता है, इसलिए शाकाहारी आहार का पालन करने वाले लोगों में इसकी कमी का खतरा अधिक होता है। हालांकि इनकी कमी को खुराकों supplements के माध्यम से पूरा किया जा सकता है, लेकिन इनका दुष्प्रभाव भी हो सकता है।

4. अवसाद depression का खतरा

शाकाहारी आहार का पालन करने वाले लोगों में अवसाद का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि उनके आहार में ओमेगा 3 फैटी एसिड omega-3 fatty acid की कमी होती है, जो आमतौर पर मछली के तेल और मछली के सेवन से पूरा किया जाता है। 

5. खाने के विकार eating disorder में वृद्धि

जो लोग शाकाहार का पालन करते हैं, वे ऑर्थोरेक्सिया Orthorexia से पीड़ित होते हैं। स्वस्थ खाने के पैटर्न के जुनून में वह अपने खानपान पर अधिक प्रबंधन लगाते हैं, जिसके कारण उनमें खाने के विकार का जन्म होता है। जो डॉक्टर ऑर्थोरेक्सिया का इलाज करते हैं वे लोगों को शाकाहार जैसे आहार पर निर्भर रहने की सलाह नहीं देते।

शाकाहारी होने के इन प्रभावों को देखते हुए पूरी तरह से पौधे आधारित आहारों पर निर्भर रहना स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए कुछ हद तक पशु आधारित आहारों पर भी निर्भर रहना आवश्यक है।

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