भारतीय खिलौनों में मिलती विविधता

7219
24 Sep 2021
9 min read

Post Highlight

भारतीय खिलौने विविधताओं का संगम है। दुर्भाग्यवश विश्व में इसे जो गरिमा प्राप्त होनी चाहिए वह अभी तक नहीं प्राप्त हुई है। संतोष इस बात का है कि यह क्षेत्र तेज गति और स्थिर मन से आगे को बढ़ रहा है। कम समय में इसने विश्व में जो स्थान बनाया वह सराहनीय है। जिस प्रकार देश भारतीय खिलौनों के प्रति जागरूक हो रहे हैं और इसे अपने लिए उद्योग का अच्छा विकल्प मान रहे, विश्वास है कि आने वाले समय में भारत जल्द खिलौना आयात करने वाले देश से खिलौना निर्यात करने वाला देश बन जायेगा।         

Podcast

Continue Reading..

विश्व में भारतीय खिलौनों का स्थान 

दुनिया भर में खिलौनों को लेकर लोगों के मन में एक अलग ही प्रभाव रहता है। खिलौनों के प्रति प्रत्येक व्यक्ति के मन में रूचि रहती है। हाँ यह अलग बात है कि बदलते वक़्त के साथ खिलौनों का रूप जरूर बदला है परन्तु इनके लिए उत्पन्न होती जिज्ञासा आज भी वही परिवेश लिए हुए है। लोगों का मानना है कि खिलौने केवल बच्चों के ले रूचि की ही वस्तु होती है, परन्तु अगर देखा जाये तो पसंद उम्र देखकर नहीं जन्म लेती। बड़ी उम्र के लोगों में भी ऐसे कई लोग होते हैं, जिन्हें खिलौनों से बहुत प्यार होता है। वह केवल उसे अपने पास रखते ही नहीं बल्कि उनके साथ खेलते भी हैं। कुछ लोग तो अपने खिलौनों के नाम भी रखते हैं, खासकर टेडी जैसे खिलौनों के। हां बस फर्क यह होता है कि बड़ों के पास जिम्मेदारियां और समझदारी अधिक होने के कारण उनकी व्यवस्तता अधिक हो जाती है। उनका ध्यान खिलौनों से ज्यादा कुछ और कार्यों में लग जाता है। बच्चों के साथ यह समस्या नहीं रहती, शायद इसीलिए वह अपने खिलौनों को अधिक वक़्त दे पाते हैं और उनके साथ मनोरंजित होते हैं। भारत में भी खिलौनों का बहुत पुराना इतिहास रहा है। 

खिलौनों का बदला स्वरुप 

पहले के जमाने में लोग घर पर अनेक प्रकार के खिलौनें बनाते थे और वही बच्चों को खेलने के लिए दिए जाता था। पहले तो लकड़ी के खिलौने बनाये जाते, जिसमें मनुष्यों के प्रतिरूप जैसे अनेक खिलौने बनाये जाते थे। अब समय बदल गया है, तो खिलौनों के भी रूप भी बदल गए। आज के समय में तो खिलौनों की मांग कुछ अधिक ही है। व्यक्ति तोहफे देने के लिए भी कई प्रकार के खिलौनों को सबसे अच्छा विकल्प मानता है। यही कारण है कि व्यवसाय की दुनिया में खिलौनों का एक बाजार खड़ा हो गया है। आज कई लोग खिलौनों को बनाने और बेचने का काम शुरू करके अपने लिए काम के रास्ते निकाल रहे और दूसरों को भी रोजगार का मौका देने की कोशिश कर रहे।

विश्व में भारतीय खिलौनों का कम प्रभाव 

विश्व में भारतीय खिलौनों का उतना अधिक प्रभाव नहीं रहा है। आज के समय में भारत विदेशों से 85 प्रतिशत खिलौनों का आयात करता है। विश्व में 100 बिलियन डॉलर का खिलौनों का बाजार है, किन्तु भारत की इसमें बहुत कम हिस्सेदारी रही है। अब विदेशी बाजार में भी भारत के खिलौनों की मांग बढ़ रही है। लोग अब इस क्षेत्र में रुचि लेने लगे हैं। लोगों को भारतीय खिलौनों की विभिन्न परिपेक्ष में महत्ता समझ आने लगी है। अब लोग यह समझने की कोशिश कर रहे कि यदि हम चाहें तो भारतीय खिलौनों को वैश्विक बाजार में अच्छे स्तर तक पहुंचा सकते हैं। 

भारतीय खिलौनों में मिलती विविधता  

भारतीय बाजार खिलौनों के लिए अच्छा बाजार है जहां पर खिलौनों की अच्छी खरीद-बिक्री होती है। केवल देश में ही नहीं विदेशों में भी अब भारतीय खिलौनों की अच्छी-खासी बिक्री होना शुरू हो गयी है। कारण यह है कि भारतीय खिलौनों में ऐसे भी खिलौने शामिल रहते हैं, जो अनेक सभ्यताओं से जुड़े रहते हैं। भारतीय खिलौनों में लकड़ी, मिट्टी, कपड़े आदि पदार्थ से बने खिलौने होते हैं। खिलौनों में विविधता लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं तथा यह अधिक समय तक बिना ख़राब हुए सहेज कर रखे जा सकते हैं। भारतीय खिलौनों का एक खासियत यह भी रहता है कि वह पर्यावरण के अनुकूल रहते हैं। इनमें प्रयोग किये जाने वाले अधिकतम पदार्थ प्राकृतिक होते हैं। 

अधिकतम खिलौने आयत करने वाला देश 

वर्तमान समय में भारत वह देश है, जो खिलौनों को अधिकतम आयात करता है। जिसके कारण देश की अधिकतम मुद्रा विदेशी खिलौनों का साथ पकड़कर विदेशी हाथों में चली जा रही हैं। भारत में कई आधुनिक खिलौनों का निर्माण करने की क्षमता है, क्योंकि देश के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो किस तरह के खिलौनों बनाये जाएं इसकी विविधता बताते हैं। यदि खिलौनों को रोजगार से जोड़कर देखा जाये तो यह एक ऐसा व्यवसाय बन सकता है, जिसकी बाजार में हमेशा जरूरत रहती है। भारत के पास वह क्षमता है जिससे वह ऐसे खिलौनों का निर्माण कर सकता है, जो पूरी तरह से नए रूप में हो और व्यक्तियों के मन को मोह लेने वाले हों।  

देशी खिलौनों की अधिक उत्पादकता के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। देश के प्रत्येक उस तबके को जिसके पास कोई रोजगार नहीं है या जो खिलौने बनाने में दिलचस्पी रखते हैं परन्तु उन्हें तरीका नहीं पता, ऐसे लोगों को कार्य कुशलता के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं तथा उन्हें लघु उद्योग शुरू करने के लिए कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। 

विदेशी बाजार में भारतीय खिलौनों के अधिक खपत की उम्मीद 

द इंटरनेशनल मार्केट रिसर्च एनालिसिस एंड कंसल्टिंग की रिपोर्ट के अनुसार पहले की तुलना में अब भारतीय खिलौनों का बाजार 12,000 करोड़ तक हो गया है, जिसको अनुमानन 2024 तक इसका दोगुना 24,000 करोड़ तक होने की उम्मीद जताई जा रही है। भारतीय खिलौनों के बढ़ते बाजार के कारण अब केंद्रीय और राज्य व्यवस्थाओं के द्वारा भी इस उद्योग को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि अधिकतम लोग इस कार्य से जुड़ पाएं। भारतीय खिलौनों का बाजार केवल खरीदने और बेचने तक ही सीमित नहीं है। इसमें कोई खिलौना कैसे बनाया जाय इसको सिखाने के लिए भी कई तरह की मुहीम चलायी जा रही है, ताकि जो लोग इस क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं, उसमें कुशलता हांसिल कर सकें। यदि मनुष्य खिलौनों के रोजगार के प्रति जागरूक हो जाये तो वह आयात करने वाले देश को खिलौना निर्यात करने वाला देश बना सकता है।

TWN Ideas