Trade deficit कैसे बदलता देश का भविष्य

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15 Dec 2021
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Trade Deficit देश में बेरोज़गारी की दर को प्रभावित करता है। यह देश के विकास दर को नियंत्रित करता है। यदि व्यापार संतुलन में यह घाटा निरंतर बढ़ता रहता है तो इससे देश में आर्थिक संकट गंभीर होते जाते हैं। Trade Deficit विश्व पटल पर यह दिखाता है कि एक देश अपनी उत्पादक क्षमता को बढ़ाने में असमर्थ है। जो वैश्विक बाज़ार में उसकी छवि को धूमिल करता है।

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दुनिया कई महाद्वीपों में बंटी है और ये महाद्वीप कई देशों में। सभ्यता, संस्कृति, भाषा तथा स्थान की दशा के अनुरूप बंटे ये देश अनेक मामलों में धनी होते हैं। परन्तु यह आवश्यक नहीं कि प्रत्येक देश एक ही उत्पाद की अधिकता रखता हो, हर एक देश भिन्न-भिन्न गुणों से परिपूर्ण होते हैं। यह गुणवत्ता भूमि की महत्ता के साथ आती है, देश की उत्पादकता के आधार पर आती है तथा हम कह सकते हैं कि यह उस देश की विचारधारा, विकासधारा पर भी निर्भर करता है। ज़रूरत मनुष्य के जीवन का आधार है, किसी न किसी परिपेक्ष में उसे किसी न किसी चीज़ की आवश्यकता ज़रूर होती है। देश उन्हीं ज़रूरतों की आपूर्ति करने के लिए अन्य देशों के साथ आदान-प्रदान की प्रक्रिया करता है, जिसे हम सामान्य भाषा में आयात-निर्यात Import-Export कहते हैं। इसी आधार पर ही कोई देश Trade Deficit या Trade Surplus की श्रेणी में आता है। वह कोई भी उत्पाद अधिक देता है या अधिक लेता है, इस तथ्य पर उस देश की अर्थव्यवस्था Economy का एक बड़ा हिस्सा निर्भर करता है। देश का रूप कैसा है या कैसा होगा यह Deficit तथा Surplus पर बताता है। व्यापार घाटा Business-Loss किसी देश की स्थिति को भली-भांति आंकलित करता है।

व्यापार घाटा Trade Deficit उस दशा में होता है जब कोई देश निर्यात करने की अपेक्षाकृत अन्य देशों से वस्तुओं का अधिक आयात करता है अर्थात उत्पाद को दूसरे देशों को बेचने से ज़्यादा खरीदता है तो वह व्यापार घाटा की श्रेणी में आता है। 

Trade deficit किसी भी देश की गिरती हुई अर्थव्यवस्था को प्रदर्शित करता है। यदि कोई देश अन्य देशों से आयात करने की मात्रा को अधिक रखता है तथा उतनी मात्रा में वह निर्यात नहीं कर पा रहा तो यह उस देश के प्रत्येक क्षेत्र को नकारात्मक परिवेश में प्रदर्शित करता है अर्थात उसकी अर्थव्यवस्था गिरते हुए स्केल पर है।

व्यापार घाटा इस तथ्य पर भी निर्भर करता है कि आप किस उत्पाद का आयात कर रहे हैं तथा किस देश से उत्पाद कर रहे हैं। प्रत्येक देश की अपनी एक मुद्रा होती है, उसका बाज़ार में क्या प्रभाव है यह आयात पर प्रभाव डालता है। उत्पाद की कितनी महत्ता है, यह आयात में लगने वाली पूंजी को प्रभावित करता है।

Trade Deficit देश में बेरोज़गारी की दर को प्रभावित करता है। यह देश के विकास दर को नियंत्रित करता है। यदि व्यापार संतुलन में यह घाटा निरंतर बढ़ता रहता है तो इससे देश में आर्थिक संकट गंभीर होते जाते हैं। Trade Deficit विश्व पटल पर यह दिखाता है कि एक देश अपनी उत्पादक क्षमता को बढ़ाने में असमर्थ है। जो वैश्विक बाज़ार global market में उसकी छवि को धूमिल करता है।

यदि व्यापार घाटे को नियंत्रित किया जाए कदाचित यदि कोई देश अपनी उत्पादक क्षमता को बढ़ाकर निर्यात की मात्रा अधिक कर दे तथा उस निर्यात का निवेश सही जगह करे तो कोई भी देश एक निर्यातक देश की पंक्ति में आ सकता है, जिसके सहारे भविष्य में वह देश की अर्थव्यवस्था को अधिक मजबूती दे पाएगा तथा विश्व के साथ विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ेगा।

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