भारत की कॉर्पोरेट दुनिया हमेशा से अपनी महत्वाकांक्षा, नवाचार और बड़े-बड़े रिकॉर्ड बनाने के लिए जानी जाती है। आमतौर पर कंपनियों की मार्केट कैप और रेवेन्यू ग्रोथ सुर्खियों में रहती है, लेकिन एक और दिलचस्प पहलू है – देश के टॉप सीईओ की कमाई।
वित्त वर्ष 2025 में कई भारतीय सीईओ ने इतनी बड़ी सैलरी पैकेज हासिल किए हैं कि वे चर्चा का विषय बन गए हैं। कुछ सीईओ की कमाई 50 करोड़ रुपये से भी ज्यादा रही, वहीं कुछ ने 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है।
ये केवल सैलरी नहीं है, बल्कि इसमें परफॉर्मेंस बोनस, स्टॉक ऑप्शन और लंबे समय तक कंपनी की सफलता से जुड़े रिवार्ड्स भी शामिल हैं।
इस ब्लॉग में हम आपको 2025 के भारत के सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले सीईओ India's highest paid CEOs के बारे में बताएंगे। यहां आप जानेंगे कि किस तरह उनकी लीडरशिप, इंडस्ट्री की स्थिति और कंपनी के प्रदर्शन ने उन्हें इतना बड़ा पैकेज दिलाया।
आईटी से लेकर ऑटोमोबाइल, वित्तीय सेवाओं से लेकर फार्मा सेक्टर तक – हम उन बड़े सीईओ पर नजर डालेंगे जो भारत की कॉर्पोरेट दुनिया के असली किंग माने जाते हैं और जिनकी सैलरी ने नए मानक स्थापित किए हैं।
भारत की कॉरपोरेट दुनिया हमेशा से तेज़ी से बढ़ते विकास और नए-नए रिकॉर्ड बनाने के लिए जानी जाती है। कंपनियों का मार्केट कैप और रेवेन्यू अक्सर सुर्खियों में रहता है, लेकिन उतना ही दिलचस्प पहलू है – इन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को मिलने वाला इनाम।
वित्त वर्ष 2025 में कई भारतीय सीईओ ने इतनी बड़ी कमाई की है कि यह चर्चा का बड़ा विषय बन गया है। उनकी कमाई केवल सैलरी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें बोनस, स्टॉक-आधारित इंसेंटिव और लंबे समय के प्रदर्शन पर आधारित रिवार्ड्स भी शामिल हैं।
आईटी, ऑटोमोबाइल, फार्मा और फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे क्षेत्रों में कई सीईओ की कमाई 50 करोड़ रुपये से ऊपर रही है, जबकि कुछ ने 100 करोड़ रुपये का आंकड़ा भी पार कर लिया है। आइए जानते हैं 2025 में भारत के सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले टॉप सीईओ के बारे में।
इस सूची में सबसे ऊपर हैं संदीप कलरा, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ। वित्त वर्ष 2025 में उन्होंने लगभग ₹150 करोड़ कमाए और वे भारत की लिस्टेड कंपनियों में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले सीईओ बन गए।
यह बड़ी कमाई कंपनी के शानदार प्रदर्शन का नतीजा है। पर्सिस्टेंट सिस्टम्स के शेयरों में 2024 में 75% और 2023 में 91% की जबरदस्त बढ़त देखने को मिली। संदीप कलरा की अगुवाई में कंपनी ने $1 बिलियन (अरब डॉलर) का रेवेन्यू माइलस्टोन पार कर लिया, जो आईटी सर्विस सेक्टर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
उनका पे पैकेज सैलरी, परफॉर्मेंस इंसेंटिव और स्टॉक ऑप्शंस का मिश्रण था। इससे यह साफ झलकता है कि भारत की कॉरपोरेट दुनिया में इक्विटी-आधारित रिवार्ड्स (शेयर से जुड़ी कमाई) अब काफी अहम हो गए हैं। कलरा की रणनीति डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और ग्लोबल क्लाइंट हासिल करने पर केंद्रित रही, जिससे पर्सिस्टेंट सिस्टम्स मिड-टियर आईटी कंपनियों में सबसे गतिशील कंपनियों में से एक बन गई है।
भारत के आईटी सेक्टर में सीईओ की सैलरी तेजी से बढ़ रही है। खासकर उन कंपनियों में जो डिजिटल सर्विसेज, क्लाउड माइग्रेशन और एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर जैसे क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन करती हैं। यहां स्टॉक-आधारित इंसेंटिव सीईओ की कमाई का बड़ा हिस्सा बनते जा रहे हैं।
2. डॉ. पवन मुंजाल | हीरो मोटोकॉर्प | ₹109.41 करोड़ (Dr. Pawan Munjal | Hero MotoCorp | ₹109.41 Crore)
ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले सीईओ बने हुए हैं डॉ. पवन मुंजाल, जो हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। वित्त वर्ष 2025 में उनकी कुल कमाई ₹109.41 करोड़ रही, जो 2024 के बराबर थी।
हीरो मोटोकॉर्प भारत की सबसे बड़ी टू-व्हीलर निर्माता कंपनी है। मुंजाल की लगातार और स्थिर लीडरशिप ने कंपनी को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत बनाए रखा है। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा परफॉर्मेंस-लिंक्ड इंसेंटिव से आता है, जो कंपनी की प्रॉफिट ग्रोथ और मार्केट शेयर बढ़ाने पर आधारित है।
भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर उन सीईओ को ज्यादा रिवार्ड देता है जो मार्केट में लीड बनाए रखते हैं, सप्लाई चेन चुनौतियों से निपटते हैं और इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) ट्रांजिशन को सफलतापूर्वक संभालते हैं। डॉ. पवन मुंजाल की कमाई इस बात को दर्शाती है कि उन्होंने हीरो मोटोकॉर्प को इस प्रतिस्पर्धी माहौल में भी नंबर वन बनाए रखा है।
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राजीव जैन, बजाज फाइनेंस के एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन, ने वित्त वर्ष 2025 में ₹102.10 करोड़ की कमाई की। यह लगातार दूसरा साल है जब उनकी सैलरी ₹100 करोड़ से ऊपर पहुंची। उन्होंने मैनेजिंग डायरेक्टर से एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन की भूमिका में बदलाव किया, लेकिन फिर भी वे भारत के सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले वित्तीय सेवा क्षेत्र के अधिकारियों में शामिल रहे।
उनके वेतन पैकेज में परफॉर्मेंस-लिंक्ड बोनस शामिल है, जो बजाज फाइनेंस की मजबूत क्रेडिट ग्रोथ, नए लेंडिंग सेगमेंट में विस्तार और लगातार ऊंचे रिटर्न ऑन इक्विटी को दर्शाता है। उनकी रणनीतिक सोच ने बजाज फाइनेंस को मजबूत मार्केट पोजीशन दिलाई, भले ही इस सेक्टर को रेगुलेटरी चुनौतियों और आर्थिक उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा हो।
भारत की नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां (NBFCs) सीईओ को लोन ग्रोथ, एसेट क्वालिटी और प्रॉफिटेबिलिटी के आधार पर रिवार्ड देती हैं। जो लीडर्स रिस्क को संभालते हुए पोर्टफोलियो का विस्तार कर पाते हैं, उन्हें लंबे समय के इंसेंटिव और बड़ी सैलरी से नवाज़ा जाता है।
भारत के आईटी सेक्टर में एचसीएलटेक के सीईओ सी विजयकुमार ने वित्त वर्ष 2025 में लगभग ₹94.6 करोड़ (10.85 मिलियन डॉलर) की कमाई की। उनकी सैलरी टीसीएस और इंफोसिस जैसे बड़े प्रतिद्वंद्वियों के सीईओ से भी ज्यादा रही, जो एचसीएलटेक की प्रतिस्पर्धी सैलरी रणनीति को दर्शाता है।
विजयकुमार की कमाई में सैलरी, बोनस और स्टॉक-लिंक्ड इंसेंटिव का बड़ा हिस्सा शामिल है। उनकी लीडरशिप ने एचसीएलटेक को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट्स, ग्लोबल क्लाइंट डील्स और रणनीतिक अधिग्रहण (acquisitions) में सफलता दिलाई है।
आईटी कंपनियों में सीईओ की सैलरी अब ज़्यादातर कंपनी के मार्केट कैप और स्टॉक प्रदर्शन पर निर्भर करती है। जो सीईओ डिजिटल इनोवेशन को आगे बढ़ाते हैं और कंपनी की ग्लोबल मौजूदगी को मजबूत करते हैं, उन्हें प्रीमियम सैलरी पैकेज दिए जाते हैं।
डॉ. मुरली के. दिवी, दिवीज़ लेबोरेट्रीज़ के मैनेजिंग डायरेक्टर, ने वित्त वर्ष 2025 में ₹88.15 करोड़ की कमाई की। इससे वे भारत के फार्मा सेक्टर के सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले अधिकारी बन गए। उनकी सैलरी में FY24 की तुलना में 37.6% की बढ़ोतरी हुई, जिसका मुख्य कारण प्रॉफिट-लिंक्ड इंसेंटिव और स्टॉक ऑप्शंस रहे।
हैदराबाद स्थित दिवीज़ लेबोरेट्रीज़ लगातार बेहतर मुनाफा और मजबूत ग्रोथ देती आ रही है, चाहे घरेलू बाजार हो या अंतरराष्ट्रीय। डॉ. दिवी की लीडरशिप का फोकस जेनेरिक दवाओं और एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (APIs) में इनोवेशन पर रहा है, जिससे कंपनी ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनी हुई है।
फार्मा सेक्टर में सीईओ की सैलरी अक्सर R&D की सफलता, एक्सपोर्ट प्रदर्शन और इंटरनेशनल रेगुलेटरी स्टैंडर्ड्स को पूरा करने से जुड़ी होती है। जो लीडर्स इनोवेशन और प्रॉफिटेबिलिटी लाते हैं, उन्हें बड़े पैमाने पर रिवार्ड पैकेज दिए जाते हैं।
सलील पारेख, जो इंफोसिस के सबसे लंबे समय तक काम करने वाले गैर-संस्थापक सीईओ हैं, ने वित्तीय वर्ष 2025 में ₹80.62 करोड़ कमाए। यह पिछले साल की तुलना में लगभग 21.7% ज्यादा है। इसमें से लगभग ₹50 करोड़ का हिस्सा उन्हें शेयर विकल्प (स्टॉक ऑप्शन) के रूप में मिला।
पारेख के नेतृत्व में इंफोसिस ने डिजिटल सेवाओं को मजबूत किया है, नए वैश्विक ग्राहकों को जोड़ा है और लगातार अच्छा वित्तीय प्रदर्शन किया है। उनका वेतन पैकेज तय वेतन, प्रदर्शन आधारित बोनस और इक्विटी रिवॉर्ड्स का मिश्रण है। इससे यह साफ होता है कि आईटी सेक्टर में नेतृत्व का असली फोकस लंबे समय तक कंपनी और शेयरधारकों के लिए मूल्य निर्माण पर है।
सेक्टर इनसाइट (Sector Insight): आईटी कंपनियों में सीईओ के वेतन का बड़ा हिस्सा अब स्टॉक ऑप्शन से आता है। इससे कंपनी और सीईओ, दोनों का फायदा लंबे समय में जुड़ा रहता है।
एस. एन. सुब्रह्मण्यन, जो एलएंडटी (L&T) के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, ने FY25 में ₹76.25 करोड़ कमाए। यह पिछले साल की तुलना में करीब 50% ज्यादा है। उनकी सैलरी में यह बड़ा इजाफा मुख्य रूप से स्टॉक ऑप्शन के इस्तेमाल से हुआ है। यह दर्शाता है कि इंडस्ट्रियल कंपनियों में इक्विटी आधारित इनाम की भूमिका तेजी से बढ़ रही है।
सुब्रह्मण्यन के नेतृत्व में एलएंडटी ने इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी जैसी कई अलग-अलग क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन किया है। इतनी बड़ी और जटिल कंपनी को संभालने के लिए रणनीतिक सोच, ऑपरेशनल स्किल्स और कई बिज़नेस यूनिट्स को एक साथ मैनेज करने की क्षमता जरूरी होती है। एलएंडटी की लगातार मुनाफाखोरी और बड़े प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा करना उनकी लीडरशिप का नतीजा है।
इस साल की शुरुआत में सुब्रह्मण्यन ने 90 घंटे के वर्क वीक की वकालत की थी। इस बयान ने बहस छेड़ दी, लेकिन यह भी दिखाया कि वे काम की गुणवत्ता और डिलीवरी को लेकर कितने गंभीर हैं। उनकी लीडरशिप ने कंपनी को बेहतर प्रदर्शन, नवाचार और वित्तीय मजबूती हासिल करने में मदद की है।
इंडस्ट्रियल सेक्टर इनसाइट (Industrial Sector Insight): बड़ी इंडस्ट्रियल कंपनियों में सीईओ की कमाई आम तौर पर बेसिक सैलरी, परफॉर्मेंस बोनस और लॉन्ग-टर्म इंसेंटिव्स का संतुलित मेल होती है। सुब्रह्मण्यन जैसे नेता, जो कई बिजनेस क्षेत्रों में शानदार प्रदर्शन सुनिश्चित करते हैं, उन्हें उसी अनुपात में उच्च वेतन और इनाम दिया जाता है।
विनय प्रकाश, जो अडानी नेचुरल रिसोर्सेज के सीईओ और अडानी एंटरप्राइजेज के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं, ने वित्त वर्ष 2025 (FY25) में कुल ₹69.34 करोड़ का पारिश्रमिक (remuneration) प्राप्त किया।
यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 54.3% की बढ़ोतरी है। उनकी सैलरी में खास बात यह है कि इसमें से लगभग ₹65.34 करोड़ उन्हें परक्विज़िट्स (perquisites), अलाउंसेज़ और अन्य सुविधाओं के रूप में मिले।
यह दिखाता है कि बड़े कॉरपोरेट समूह अब टॉप एग्जीक्यूटिव्स को केवल बेसिक सैलरी ही नहीं, बल्कि अन्य फायदे देकर भी पुरस्कृत कर रहे हैं।
प्रकाश अडानी ग्रुप की कई अहम वर्टिकल्स जैसे ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर की जिम्मेदारी संभालते हैं। उनकी रणनीतिक लीडरशिप में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स का संचालन, कई सब्सिडियरी कंपनियों का समन्वय और विविध बिजनेस पोर्टफोलियो में कार्यकुशलता बनाए रखना शामिल है। उनकी आय में हुई तेज़ बढ़ोतरी इस बात को दर्शाती है कि इन क्षेत्रों का प्रदर्शन मजबूत रहा है और लंबे समय तक कंपनी को दिशा देने में उनकी भूमिका बेहद अहम है।
कॉरपोरेट स्तर पर देखा जाए तो प्रकाश का पैकेज यह दिखाता है कि भारत के बड़े समूह अब टॉप एग्जीक्यूटिव्स को सैलरी और स्टॉक ऑप्शंस से आगे जाकर विशेष सुविधाएं और अलाउंसेज़ दे रहे हैं। यह तरीका न सिर्फ प्रतिभाशाली लीडरशिप को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए है, बल्कि उनकी जिम्मेदारियों और प्रदर्शन को मान्यता देने का भी एक तरीका है।
वित्त वर्ष 2025 (FY25) ने भारत में टॉप एग्जीक्यूटिव्स की सैलरी में बढ़ती खाई और महत्वाकांक्षा को उजागर किया है। चाहे वह IT कंपनियां हों जैसे Persistent Systems और HCLTech, या बड़े औद्योगिक समूह जैसे L&T – भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर अब उन नेताओं को रिकॉर्डतोड़ पैकेज देने को तैयार है, जो ग्रोथ, नवाचार और मार्केट लीडरशिप सुनिश्चित कर सकते हैं।
आजकल सैलरी स्ट्रक्चर में स्टॉक-लिंक्ड इंसेंटिव्स, प्रॉफिट-शेयरिंग और परफॉर्मेंस बोनस तेजी से शामिल किए जा रहे हैं। यह इस ओर इशारा करता है कि अब कंपनियां केवल अल्पकालिक परिणाम नहीं, बल्कि लंबी अवधि के रणनीतिक प्रभाव को भी पुरस्कृत कर रही हैं।
यह CEOs की सूची केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं दर्शाती, बल्कि यह भी दिखाती है कि अलग-अलग सेक्टर जैसे IT, ऑटोमोबाइल, वित्त, फार्मा या इंडस्ट्रियल सेवाओं की स्थिति एग्जीक्यूटिव्स की सैलरी तय करने में अहम भूमिका निभाती है। जैसे-जैसे भारतीय कंपनियां वैश्विक स्तर पर विस्तार कर रही हैं, टॉप लीडर्स के पैकेज आगे भी आकर्षक और चर्चा का विषय बने रहेंगे।