2025 में भारत दुनिया भर के निवेशकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में तेजी से उभर रहा है। इसके पीछे मुख्य वजह है लगातार मजबूत होती अर्थव्यवस्था, तेजी से बढ़ता मध्यम वर्ग और सरकार की व्यवसाय के अनुकूल नीतियाँ।
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अब तक का सबसे ज़्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) हासिल किया, जो कि $81.04 बिलियन (अनंतिम) रहा। यह पिछले साल की तुलना में 14% की बढ़ोतरी दर्शाता है। यह आंकड़े भारत की आर्थिक स्थिरता और वैश्विक निवेशकों के विश्वास को साफ़ दर्शाते हैं।
सेवा क्षेत्र (Services Sector) सबसे ज़्यादा आकर्षण का केंद्र रहा, जहाँ कुल एफडीआई का लगभग 19% निवेश हुआ। वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की 2025 में जीडीपी वृद्धि दर 6.2% और 2026 में 6.3% रहने का अनुमान जताया है, जिससे यह दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया है।
भारत का बढ़ता मध्यम वर्ग, जो 2030 तक कुल जनसंख्या का 50% पार कर जाएगा, और 2025 के केंद्रीय बजट में व्यापार में आसानी व प्रमुख क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढ़ाने जैसे सुधार इस माहौल को और भी आकर्षक बनाते हैं।
इन मजबूत आर्थिक संकेतकों को देखते हुए, कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में न केवल निवेश कर रही हैं, बल्कि यहाँ अपने दीर्घकालिक ऑपरेशन्स की योजना भी बना रही हैं। वे भारत को अपनी वैश्विक रणनीति का अहम हिस्सा बना रही हैं।
यह लेख उन दस बड़ी विदेशी कंपनियों top ten foreign companies की बात करता है, जो 2025 में भारत में अपना विस्तार कर रही हैं और विभिन्न क्षेत्रों में देश की तेज़ आर्थिक वृद्धि में योगदान दे रही हैं।
भारत 2025 में वैश्विक निवेशकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभर रहा है। देश में विदेशी निवेश लगातार बढ़ रहा है, जो केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की मजबूत आर्थिक प्रगति, तेजी से बढ़ती मिडिल क्लास और व्यापार को बढ़ावा देने वाली सरकारी नीतियों का नतीजा है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत ने ऐतिहासिक रूप से $81.04 बिलियन का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है। यह भारत की वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में बढ़ती साख को दर्शाता है।
सिर्फ निवेश ही नहीं, बल्कि वैश्विक कंपनियां भारत में अपनी उपस्थिति को मजबूत कर रही हैं। वे यहां दीर्घकालिक विस्तार की योजना बना रही हैं और भारत को अपनी वैश्विक रणनीति का केंद्र बना रही हैं।
यूरोपीय विमानन कंपनी एयरबस भारत में अपने काम को तेजी से बढ़ा रही है। यह विस्तार भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना के अनुरूप है। एयरबस का विस्तार सिर्फ उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह इंजीनियरिंग, ट्रेनिंग और सप्लाई चेन विकास को भी शामिल करता है।
भारत में नागरिक उड्डयन और रक्षा क्षेत्र में विमानों और उनके पुर्जों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए एयरबस का लक्ष्य है कि वह 2030 तक भारत से लगभग 2 अरब डॉलर के पुर्जे और सेवाएं खरीदे।
रक्षा क्षेत्र में भी एयरबस भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही है। हाल ही में उसने टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) Tata Advanced Systems Limited (TASL) के साथ मिलकर भारतीय वायुसेना के लिए C295 सैन्य विमान के निर्माण की योजना बनाई है। यह साझेदारी सिर्फ आपूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें भारत में निर्माण और क्षमताएं विकसित करने पर जोर है।
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Microsoft का भारत में सफर 1990 में शुरू हुआ था और तब से यह कंपनी देश के टेक्नोलॉजी विकास का अहम हिस्सा बन गई है। अब Microsoft भारत में आने वाले दो वर्षों में लगभग $3 बिलियन (करीब ₹25,000 करोड़) का निवेश कर रही है। यह निवेश मुख्य रूप से क्लाउड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है।
जैसे-जैसे भारत में डिजिटल तकनीक को अपनाने की रफ्तार बढ़ रही है, वैसे-वैसे क्लाउड सेवाओं की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि साल 2030 तक भारत का डेटा सेंटर कैपेसिटी 4,500 मेगावॉट से भी ज्यादा हो जाएगी, जिसमें $20 से $25 बिलियन तक का निवेश आ सकता है।
इसी को ध्यान में रखते हुए Microsoft देश के अलग-अलग हिस्सों में नए डेटा सेंटर्स बना रही है ताकि बढ़ती जरूरतों को पूरा किया जा सके और भारत के डिजिटल मिशन में एक अहम भूमिका निभाई जा सके। कंपनी भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में एक वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
Apple ने भारत में अपने iPhone उत्पादन को काफी तेजी से बढ़ाया है। इस कदम का मुख्य कारण यह है कि कंपनी अब चीन जैसे पारंपरिक मैन्युफैक्चरिंग केंद्रों पर निर्भरता कम करना चाहती है और भारत को एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में देख रही है।
अप्रैल 2025 तक, भारत में बने iPhones की कुल कीमत $22 बिलियन (करीब ₹1.83 लाख करोड़) तक पहुंच गई, जो पिछले साल की तुलना में 60% ज्यादा है। यह दिखाता है कि Apple अब भारत को केवल एक मार्केट नहीं, बल्कि एक बड़े मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में देख रहा है।
भारत में अब 300 से ज्यादा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं जो iPhones सहित अलग-अलग तरह के मोबाइल्स बना रही हैं। सरकार की Production Linked Incentive (PLI) योजना के तहत Apple और अन्य कंपनियों को बड़ा फायदा मिल रहा है।
मई 2025 तक, Apple के वेंडर्स ने भारत में ₹15,000 करोड़ (लगभग $1.8 बिलियन) के iPhones बनाए, और साल 2025 के पहले 5 महीनों में कुल उत्पादन ₹84,000 करोड़ (लगभग $10.06 बिलियन) को पार कर गया है। यह साफ दिखाता है कि भारत अब Apple के लिए एक मजबूत और तेजी से बढ़ता मैन्युफैक्चरिंग बेस बन गया है।
Apple के सबसे बड़े कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर Foxconn भारत में तेजी से अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। कंपनी दक्षिण भारत में तीन नए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स बना रही है, जो चेन्नई, बेंगलुरु और हैदराबाद के पास स्थित होंगे।
Apple की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए Foxconn ने भारत में लगभग 1.48 अरब डॉलर का निवेश किया है। यह निवेश मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम है।
Foxconn अब मोबाइल के अलावा सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में भी कदम रख रहा है। कंपनी को उत्तर प्रदेश में भारत की पहली सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने की अनुमति मिल गई है। यह प्रोजेक्ट HCL के साथ मिलकर किया जा रहा है और यह देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। यह कदम देश में एक मजबूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम तैयार करने की दिशा में है, जो कई उद्योगों के लिए जरूरी है।
Amazon पिछले एक दशक में भारत में अपने विभिन्न बिजनेस में लगभग 11 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है। यह कंपनी न केवल पूंजी निवेश कर रही है, बल्कि यह देश की सबसे बड़ी निजी नौकरी देने वाली कंपनियों में से एक है, जो 1 लाख से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देती है। आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है।
हाल ही में Amazon Web Services (AWS), ने महाराष्ट्र में अगले कुछ वर्षों में 8.2 अरब डॉलर का अतिरिक्त निवेश करने की घोषणा की है। यह निवेश भारत में लोकल डेटा स्टोरेज और AI आधारित तकनीकों की बढ़ती मांग को देखते हुए किया जा रहा है।
साथ ही, Amazon साल 2025 में भारत में ₹2,000 करोड़ (लगभग $233 मिलियन) से ज्यादा का निवेश करेगी, जिससे उसके ऑपरेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा। इसमें कर्मचारियों की सुरक्षा और भलाई से जुड़े कार्यक्रमों को बेहतर बनाना और नई टेक्नोलॉजी और टूल्स विकसित करना शामिल है। यह सब Amazon की भारत में लंबे समय तक टिके रहने की योजना और यहां के ई-कॉमर्स सेक्टर में विश्वास को दर्शाता है।
सैमसंग, जो दुनिया की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों में से एक है, भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग नेटवर्क को लगातार बढ़ा रहा है। भारत के गतिशील इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में कंपनी की गहरी भागीदारी है।
सैमसंग ने भारत में दो दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित की हैं—एक नोएडा (उत्तर प्रदेश) में और दूसरी चेन्नई (तमिलनाडु) में। ये अत्याधुनिक प्लांट्स कंपनी के फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स का निर्माण करते हैं।
अमेरिका द्वारा वियतनाम से आयात पर बढ़ाए जा रहे टैरिफ से बचने के लिए, सैमसंग अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को भारत में और बढ़ाने की योजना बना रहा है।
इस रणनीति के तहत, भारत अब सैमसंग की ग्लोबल सप्लाई चेन में एक अहम केंद्र बनता जा रहा है। यह सिर्फ भारत के घरेलू बाज़ार के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका जैसे बड़े निर्यात बाज़ारों के लिए भी उत्पादन करेगा।
एनटीटी डेटा, एक वैश्विक क्लाउड सेवा प्रदाता और तकनीकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी, भारत में तेजी से अपना विस्तार कर रही है। इसके विस्तार का सबसे बड़ा उदाहरण IOWN (इनोवेटिव ऑप्टिकल एंड वायरलेस नेटवर्क) परियोजना है।
इस आधुनिक ऑल-फोटॉनिक्स नेटवर्क तकनीक (APN) को मुंबई क्षेत्र के डेटा सेंटर्स को जोड़ने के लिए सफलतापूर्वक लागू किया गया है। इससे डाटा ट्रांसमिशन की स्पीड बढ़ेगी और लागत में भारी कमी आएगी।
यह तकनीकी ढांचा भारत के महत्वाकांक्षी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मिशन को गति देगा, जिसमें देशीय डेटा पर आधारित AI मॉडल विकसित किए जाएंगे।
इसके अलावा, एनटीटी डेटा ने यह भी घोषणा की है कि वह जून 2025 तक अपना समुद्री केबल सिस्टम—Malaysia, India, Singapore Transit (MIST)—पूरा कर लेगा। यह 8,100 किलोमीटर लंबा केबल नेटवर्क 200 टेराबिट प्रति सेकंड से अधिक डेटा ले जाने में सक्षम होगा और मलेशिया, भारत, सिंगापुर और थाईलैंड को जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।
इसी कड़ी में, कंपनी ने भारत में अपना अब तक का सबसे बड़ा डेटा सेंटर कैंपस शुरू किया है, जो भविष्य में 500 मेगावॉट से अधिक पावर क्षमता वाला होगा। यह भारत के डिजिटल भविष्य को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वियतनामी ऑटोमोटिव कंपनी VinFast LLC भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के क्षेत्र में तेजी से प्रवेश कर रही है। कंपनी ने तमिलनाडु के तूत्तुकुड़ी में एक अत्याधुनिक EV निर्माण संयंत्र (मैन्युफैक्चरिंग प्लांट) स्थापित करने के लिए हाल के वर्षों में $2 अरब से अधिक का निवेश किया है। यह संयंत्र देर से 2025 तक चालू होने की उम्मीद है। इसका निर्माण फरवरी 2024 में शुरू किया गया था, जो कंपनी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
VinFast अब अतिरिक्त प्लांट के लिए आंध्र प्रदेश की संभावनाओं का भी पता लगा रही है, ताकि स्थानीय रूप से इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन किया जा सके।
निर्माण के अलावा, VinFast की योजना टियर‑2 और टियर‑3 शहरों में अपने बिक्री नेटवर्क (सेल्स नेटवर्क) को मजबूत करने की है, जहाँ किफायती EVs की मांग तेज़ी से बढ़ रही है।
कंपनी ने जनवरी 2025 में भारत में आधिकारिक शुरुआत की और अपने VF7 और VF6 इलेक्ट्रिक प्रीमियम एसयूवी को Bharat Mobility Global Expo 2025 में पेश किया। इसके साथ ही VinFast 27 शहरों में डीलरशिप नेटवर्क भी बना रहा है, और 2025 के अंत तक 35 डीलरशिप्स स्थापित करने की योजना बना रहा है।
वैश्विक ऑटोमोबाइल उद्योग में प्रमुख भूमिका निभाने वाली Nissan‑Renault अलायंस भारत में भी भारी निवेश कर रही है। उन्होंने FY27 तक ₹5,300 करोड़ (लगभग $635 मिलियन) के निवेश की योजना बनाई है।
यह निवेश कंपनियों द्वारा भारतीय बाजार के लिए नई कार मॉडलों (प्रोडक्ट डेवलपमेंट) को विकसित और स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
साथ ही, इन कंपनियों का फोकस भारत से निर्यात बढ़ाने (exports) पर भी है। वे भारत को वैश्विक उत्पादन केंद्र के रूप में उपयोग करना चाहते हैं और घरेलू बाजार में भी अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।
उनका लक्ष्य है FY27 तक उत्पादन को दोगुना करना और लगभग आधा उत्पादन यानी 2 लाख इकाइयाँ (units) होने की उम्मीद है, जिनमें से आधे का निर्यात होगा।
निसान भारत में Q1 CY2026 में एक नया B-सेगमेंट MPV और 2027 की शुरुआत तक एक C-सेगमेंट 5-सीटर SUV लॉन्च करने की योजना बना रही है, जो संभवतः नई जनरेशन रेनो डस्टर पर आधारित होगी।
स्विट्ज़रलैंड की जानी-मानी फूड और बेवरेज कंपनी नेस्ले (Nestlé) भारत में लंबे समय से निवेश कर रही है और अब अपनी मौजूदगी को और मज़बूत बना रही है। यह दुनिया की सबसे बड़ी एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) कंपनियों में से एक है और भारत में भी अपने प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए कई बड़े कदम उठा रही है।
नेस्ले ने ओडिशा में एक नया मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाने के लिए ₹4,200 करोड़ (करीब 500 मिलियन डॉलर) का निवेश किया है। इसका उद्देश्य भारत में अपनी सप्लाई चेन को और मजबूत करना और प्रोडक्शन क्षमता को बढ़ाना है। यह प्लांट 2025 के अंत तक चालू होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, हाल ही में Nestlé SA ने भारत की पॉपुलर पेट फूड कंपनी Drools में एक माइनॉरिटी हिस्सेदारी खरीदी है। इस डील के बाद Drools भारत की नई यूनिकॉर्न कंपनी बन गई है। इस निवेश से Nestlé को अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को और बढ़ाने में मदद मिलेगी और यह दिखाता है कि कंपनी भारत के कंज्यूमर मार्केट में कितना भरोसा रखती है – चाहे वह मुख्यधारा का बाजार हो या कोई खास सेगमेंट।
दुनिया की बड़ी कंपनियों द्वारा भारत में किए जा रहे भारी निवेश और उनके तेज़ी से विस्तार के प्रयास यह साबित करते हैं कि भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक रणनीतिक रूप से अहम देश बन चुका है।
भारत की मज़बूत और स्थिर होती अर्थव्यवस्था, बढ़ती हुई कंज्यूमर डिमांड और सरकार द्वारा व्यापार को आसान बनाने के लिए की जा रही नीतियों – जैसे कि 2025 के बजट में कुछ क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा बढ़ाना और राज्यों के लिए निवेश-अनुकूलता सूचकांक (Investment Friendliness Index) शुरू करना – ने देश को विकास के लिए एक आदर्श जगह बना दिया है।
अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए यह समय भारत में कदम रखने और अपने व्यापार को बढ़ाने का एक सुनहरा मौका है। भारत सिर्फ एक बड़ा बाज़ार नहीं रह गया है, बल्कि यह अब एक वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब, डिजिटल इनोवेशन सेंटर और ग्लोबल सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बनता जा रहा है।