दुनिया भर में अनगिनत लोग डिप्रेशन से पीड़ित हैं लेकिन फिर भी कई लोग इसके लक्षण को अनदेखा करते हैं। डिप्रेशन से पीड़ित कई लोगों को तो यह पता भी नहीं होता है कि वे डिप्रेशन depression के शिकार हो चुके हैं। जब कोई व्यक्ति इस सिचुएशन में लंबे समय तक रहता है और डिप्रेशन और भयानक रूप ले लेता है।
डिप्रेशन आज एक बेहद चिंताजनक विषय बन गया है। डिप्रेशन से पीड़ित कई लोगों को यह पता भी नहीं होता है कि उन्हें डिप्रेशन है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आज इस समस्या से दुनिया भर में अनगिनत लोग पीड़ित हैं लेकिन फिर भी कई लोग इसके लक्षण को अनदेखा करते हैं। डिप्रेशन से पीड़ित कई लोगों को तो यह पता भी नहीं होता है कि वे डिप्रेशन depression के शिकार हो चुके हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन अधिक आम है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज Global Burden of Disease की रिपोर्ट का अनुमान है कि एकध्रुवीय अवसादग्रस्तता प्रकरणों की व्यापकता पुरुषों के लिए 1.9% और महिलाओं के लिए 3.2% है, यह अनुमान है कि वर्ष 2020 तक यदि जनसांख्यिकीय और महामारी विज्ञान संक्रमण के लिए मौजूदा रुझान जारी रहे, तो अवसाद का बोझ रोग के कुल बोझ का 5.7% तक बढ़ जाएगा और यह विकलांगता-समायोजित जीवन वर्षों (डीएएलवाई) का दूसरा प्रमुख कारण होगा। , इस्केमिक हृदय रोग के बाद दूसरे स्थान पर है।रुग्णता को देखते हुए, एक विकार के रूप में अवसाद भारत में हमेशा से शोधकर्ताओं के ध्यान का केंद्र रहा है।
आज कई ऐसे लोग हैं जो इसके बारे में खुलकर बात करते हैं और इसके लक्षण के बारे में भी बताते हैं। डिप्रेशन की समस्या अपने आप नहीं ठीक हो जाती है इसीलिए बात करना ज़रूरी है। आज हम आपको डिप्रेशन के कुछ लक्षण symptoms of depression के बारे में बताएंगे, जिनको आपको बिलकुल भी अनदेखा नहीं करना चाहिए-
नींद से जुड़ी दिक्कतें डिप्रेशन का लक्षण हैं। नींद आने में दिक्कत होना, रात में देर से नींद आना, सुबह देर से उठना, अचानक से स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव होना, सुबह उठने की इच्छा ना होना, कम नींद लेना insomnia, जरूरत से ज्यादा नींद लेना, ये सभी डिप्रेशन के लक्षण हैं। कुछ लोगों को डिप्रेशन के वक्त बिलकुल भी नींद नहीं आती है वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों को इतनी नींद आती है कि उनका किसी दूसरे काम में मन ही नहीं लगता है। अगर आप भी अपने स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव change in sleep patterns देख रहे हैं तो ये जानने की कोशिश करें कि ऐसा क्यों हो रहा है।
सोच समझकर निर्णय लेना एक अच्छी बात है लेकिन डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में यह पाया गया है कि उन्हें निर्णय लेने में असमर्थता होती है। इसके अलावा छोटी-छोटी बातों पर रो देना, गुस्सा करना, बहुत निराश हो जाना भी डिप्रेशन के लक्षण हैं।
जब आप हर चीज़ के बारे में जरूरत से ज़्यादा सोचने लगते हैं तो आपका किसी अन्य काम में मन नहीं लगता है और आप एक भी काम फोकस्ड तरीके से नहीं कर पाते हैं। अपने आप से प्रश्न करना कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा, मैं ही क्यों, मुझसे ये काम नहीं हो रहा, मैं बेहतर नहीं बन पा रहा आदि चीज़ें आपको और सोचने पर मजबूर कर देती हैं और आप चाह कर भी कुछ प्रोडक्टिव productive नहीं कर पाते हैं। ऐसे में तनाव stress का होना बहुत आम बात है।
अगर आपको हमेशा से अकेले रहना अच्छा लगता है और आप ज्यादा सामाजिक नहीं रहे हैं तो कोई चिंता का विषय नहीं है लेकिन जो लोग एक समय पर अत्यधिक सामाजिक रहे हैं और अचानक से वे सबसे बात करना बंद कर देते हैं और हमेशा उदास रहने लगते हैं, ऐसे लोगों को डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
डिप्रेशन में कुछ लोगों को बहुत भूख लगती है और कुछ लोगों को बिलकुल भी भूख नहीं लगती है। इसके अलावा कई लोगों का वजन तेजी से घटने लगता है वहीं कई लोगों का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। वजन और भूख का बढ़ना या घटना भी डिप्रेशन के लक्षणों में शामिल है।
दिन प्रतिदिन की गतिविधियों में कोई इंट्रेस्ट ना रखना और लोगों को इग्नोर करना भी डिप्रेशन का एक लक्षण है। जब कोई व्यक्ति इस सिचुएशन में लंबे समय तक रहता है और डिप्रेशन और भयानक रूप ले लेता है।
इसके अलावा गुस्सा करना, ज़रूरत से ज्यादा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना, हर चीज़ के लिए मोबाइल फोन पर निर्भर रहना, छोटी-छोटी बातों पर रो देना, आदि डिप्रेशन के लक्षण हैं लेकिन सही समय पर इसके लक्षण को पहचान कर और सही इलाज़ की मदद से कोई भी व्यक्ति डिप्रेशन को मात दे सकता है। मेजर डिप्रेशन Major Depression, बाइपोलर डिसऑर्डर Bipolar disorder, सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर Seasonal affective disorder, मेलानकॉलिक डिप्रेशन Melancholic Depression, पर्सिस्टेंट डिप्रेसिव डिसऑर्डर Persistent depressive disorder, पोस्टपार्टम डिप्रेशन या पोस्ट डिलीवरी डिप्रेशन Postpartum Depression, और साइकोटिक डिप्रेशन Psychotic Depression, डिप्रेशन के प्रकार हैं।
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