चाय नाश्ता बेचने से अरबपति बनने की कहानी

6327
23 Sep 2021
9 min read

Post Highlight

यदि आज हर युवा अंबानी की तरह दृढ़ संकल्प और पूरे लगन के साथ कार्य करें तो सफलता जरूर मिलेगी। धीरू भाई अंबानी ने अपनी विवेकशीलता और बुद्धिमता से छोटी सी कंपनी को दुनिया की बड़ी कंपनियों में शामिल कर दिया। अगर हम उनके विचारों का अनुसरण करें तो मार्ग में आने वाली हर कठिनाई को आसानी से जीत सकते हैं ।

Podcast

Continue Reading..

धीरजलाल हीरालाल अंबानी जिन्हे धीरू भाई अंबानी भी कहा जाता है। भारत के प्रसिद्ध उद्योगपतियों में से एक। धीरूभाई अंबानी ने 1966 में रिलायंस टैक्सटाइल की नींव रखी। धीरू भाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के छोटे से गांव चोरवाड़ में हुआ था। पिता का नाम हीरालाल अंबानी और माता का नाम जमनाबेन था। हीरालाल अंबानी एक शिक्षक थे। धीरू भाई का बचपन कठिनाईयों से भरा था। आर्थिक परेशानी के कारण उन्हें स्कूली शिक्षा बीच में ही छोड़नी पड़ी। वह अपने पिताजी के साथ छोटे-मोटे काम करके उनकी मदद भी करते थे।

धीरूभाई ने पढ़ाई छोड़ने के बाद फल, नाश्ता-पकौड़े बेचने का काम शुरू किया पर धीरूभाई को लगा कि ये काम अच्छा नहीं चल रहा है तो उन्होंने इसको भी बंद कर दिया। उसके बाद वह यमन गए जहाँ उनके भाई रहते थे। वहां उन्होंने पेट्रोल पंप पर काम किया। वहां पर उन्हें मासिक वेतन मात्र 300 रूपये मिलता था। उनका मन उस काम में भी नहीं लगा। उनकी इच्छा व्यापार करने की थी। इसलिए उनका ध्यान नौकरी से ज्यादा व्यापार करने में था। उन पर बस व्यवसाय करने का जुनून सवार था। धीरू भाई बिजनेस की बारीकियों को सुनने और समझने की कोशिश करते थे। उनको मालूम था कि कुछ कमाने के लिए जोखिम तो उठाना ही पड़ेगा।

कुछ समय बाद धीरू भाई यमन से वापस भारत आ गए। उसके बाद उन्होंने मसालों का आयत-निर्यात का काम किया। उसके बाद उन्होंने रिलायंस कमर्शियल कॉर्पोरेशन की शुरुआत की और यहीं से जन्म हुआ रिलायंस कंपनी का। वह कहते थे जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं, वे पूरी दुनिया को जीत सकते हैं।

अंबानी साहब गुणवत्ता पर अधिक और मुनाफे पर कम ध्यान देते थे। उन्होंने विमल ब्रांड के नाम से अहमदाबाद में कपडा मिल की स्थापना की। धीरू भाई अंबानी ने इक्विटी कल्ट को भी भारत में प्रारंभ किया। धीरू भाई ने पेट्रो रसायन, दूरसंचार, सूचना प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, बिजली, कपड़ा कई अलग-अलग व्यवसायिक क्षेत्र में अपने बिजनेस का विस्तार किया। उनके पुत्र भी रिलायंस को अच्छे तरीके से आगे चला रहे हैं। धीरू भाई के मुताबिक रिलायंस की सफलता भारत की क्षमता, यहाँ के लोगों की योग्यता और नए उद्यमियों के सामर्थ्य, मैनेजर और मजदूरों पर निर्भर करती है। उनको मालूम था कि कुछ कमाने के लिए जोखिम उठाना पड़ता है। वह दुनिया के सबसे अमीर शख्स, महान उद्योगपति एवं रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक बने। धीरू भाई अंबानी के प्रत्येक विचार से हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।

2012 में संपत्ति के हिसाब से विश्व की 500 सबसे अमीर और बड़ी कंपनियों में रिलायंस को भी शामिल किया गया था। न सिर्फ भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारमें भी रिलायंस एक सफल कंपनी के तौर पर उभरी है। उन्हें एशिया वीक पत्रिका द्वारा 50 मोस्ट पावरफुल पीपल इन एशिया सूची में शामिल किया गया। 1999 में बिजनेस मैन ऑफ़ द ईयर का ख़िताब धीरू भाई अंबानी को मिला। लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, फिक्की द्वारा मैन ऑफ़ 20वीं शताब्दी घोषित किया गया। धीरू भाई जी ने कभी अपने जीवन में हार नहीं मानी और बड़े बिजनेसमैन बनने का ख्बाव पूरा करने में वे ईमानदारी से लगे रहे।

TWN In-Focus