पुरुषों पर जितनी जिम्मेदारी होती है शायद यह बात वह पूरी तरह किसी को नहीं बताते और अपने चेहरे पर हमेशा मुस्कान रखते हैं। आज हम अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के अवसर पर एक कड़वे सच की बात करने वाले हैं।
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस International Men's Day, हर साल 19 नवंबर को मनाया जाने वाला खास दिन है। पुरुषों को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस, के जश्न को मनाने के पीछे कई कारण हैं, सबसे बड़ा कारण है सभी पुरुषों का हर क्षेत्र में बड़ा योगदान, इसके साथ ही अपने परिवारों और समुदायों में सकारात्मक बदलाव लाकर देश और दुनिया को सही दिशा में ले जाने का निरंतर प्रयास। यह प्रयास सदियों से चला आ रहा है और जब तक यह दुनिया कायम है चलता ही रहेगा।
पुरुषों ने एक अच्छी दुनिया बनाने के प्रति प्रयास तो किया ही है, इसमें बड़ी सफलता भी अर्जित की है। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस बताता है कि किस तरह हर पुरुष ने सभी क्षेत्रों में बड़े योगदान दिए हैं। इस दिन को सारी दुनिया में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, सभी जगह पुरुषों के खुशहाल और स्वस्थ जीवन के मुद्दों पर चर्चा होती है। इस मुद्दे पर वाकई बातचीत होना जरूरी भी है, सभी पुरुष अच्छे जीवन के हकदार हैं। पुरुषों पर जितनी जिम्मेदारी होती है शायद यह बात वह पूरी तरह किसी को नहीं बताते और अपने चेहरे पर हमेशा मुस्कान रखते हैं। यहां यह तो बात हो गई कि यह दिवस क्यों मनाया जाता है, लेकिन आज हम अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के अवसर पर एक कड़वे सच की बात करने वाले हैं, आइए जानते हैं, क्या है वह कड़वा सच?
अधिक कमाने की अपेक्षा
आजकल कि इस प्रतियोगी दुनिया में जहां पुरुष और महिला को समान दर्जा देने की बात होती है। वहां यह मुद्दा बड़ा अछूता है कि पुरुषों से आज भी समाज में ज्यादा कमाने जैसी अपेक्षा की जाती है। जिसका सीधा मतलब यह होता है कि उन पर एक अतिरिक्त बोझ होता है, जो महिलाओं की तुलना में काफी ज्यादा होता है, अगर इस सिरे से बात को देखा जाए तो यह एक कड़वा सच है, जिस पर कोई बात नहीं करता।
उदाहरण के रूप में समझे तो, अगर कोई महिला अपने पेशे में अच्छा नहीं कर पाती तो उस पर इतना बोझ नहीं होता, साथ ही महिला के पास एक अतिरिक्त विकल्प यह भी होता है कि वह शादी करके अपनी इस चिंता से निकल सकती है, लेकिन पुरुषों की बात की जाए तो, अगर वे किसी क्षेत्र में असफल होते हैं, तो उन्हें असफल व्यक्ति का मेडल दे दिया जाता है।
इस कारण जोखिम लेने से भी डरते हैं पुरुष
इस तरह के मुद्दे को लेकर पुरुष अपने जीवन में किसी भी क्षेत्र में जोखिम Risk लेने से डरते हैं, जिससे कई बार मानसिक स्वास्थ्य Mental Health के शिकार भी हो जाते हैं। Society समाज भी इस समय उनका साथ नहीं देता, क्योंकि हमारे समाज में पुरुषों को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बात करने का हक नहीं बनता, समाज इस मुद्दों पर पुरुषों का मजाक तक बना देते हैं।
दहेज के खिलाफ समाज और माता-पिता को क्यों चाहिए बड़ा वेतन पैकेज
देश में कई समाज और माता-पिता दहेज Dowry के खिलाफ होते हैं, यह बड़ी अच्छी बात है, लेकिन उन्हें पुरुषों के वेतन का पैकेज काफी बड़ा चाहिए, ताकि उनकी बेटी हमेशा खुश रहे। इस बात में बड़ी सच्चाई है कि माता-पिता हमेशा अपनी बेटी का भला चाहते हैं, इसलिए ऐसा सोचते हैं, लेकिन इस तरह का बोझ डालना कि पुरुषों का पैकेज बड़ा होगा तभी आप उन्हें बेटी देंगे, यह भी लालच नहीं तो क्या है? अगर आप अच्छे समाज और अच्छे माता-पिता हैं तो अच्छे व्यक्ति की तलाश करें।
बिना काम के पुरुष को बेकार समझ लिया जाता है
अगर कोई पुरुष अपने काम को लेकर सफल नहीं होता और चाहता है कि वह कुछ समय लेकर आगे बढ़े तो यह भी उसके लिए संभव नहीं हो पाता, क्योंकि बिना काम के पुरुषों को लोग बेकार समझने लगते हैं। अगर कोई पुरुष कुछ समय का अंतराल लेकर कुछ सीखना चाहता है, आगे बढ़ना चाहता है, तो उसे काफी जोखिम नजर आता है। कई बड़ी चिंताओं के बीच पुरुष फस कर रह जाता है।
हमने आज अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस International Men's Day 2021 के मौके पर एक कड़वे सच को सामने लाने की कोशिश की है। यहां हम किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते। बस इतना चाहते हैं कि पुरुषों की कीमत को समझा जाए, उनके द्वारा की गई अभिव्यक्ति को भी समाज समझे, उन्हें सहयोग दिया जाए, ताकि वह जीवन में बड़े जोखिम ले सकें और जीवन में आने वाले किसी भी बोझ को झेल कर आगे बढ़ सके।