Mahashivratri 2022 शिव भगतों और शैव धर्मावलंबियों के लिए दिन एक बहुत बड़ा पर्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। लेकिन आज हम इस विषय पर विशेष चर्चा करेंगे और आपको इससे जुड़ी पूजा-पाठ से लेकर शास्त्रों के हिसाब से क्या अर्थ है महाशिवरात्रि का के बारे में सबकुछ बताएंगे।
महाशिवरात्रि के पावन दिवस को हर साल बहुत हर्षोउल्लास (celebration of Mahashivratri) और भक्ति से मनाया जाता है। वैसे तो हर महीने शिवरात्रि (Shivratri) को मनाया जाता है, लेकिन महाशिवरात्रि का ये त्यौहार हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में सालभर में एक ही बार मनाया जाता है। मान्यता है की इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) जी और माता पार्वती (Mata Parvati) का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव जी का पूजन किया जाता है। इसे मनाने के तीन स्तंभ हैं। इसमें शामिल उपवास, रात्रि जागरण व भगवान शिव का पूजन एवं अभिषेक है। कहा जाता है कि इस पर्व को ऐसे मनाने वाले व्यक्ति को पुण्य की प्रप्ति होती है। अगर आप सिर्फ व्रत करते है तो बिना पूजन और अभिषेक के महाशिवरात्रि का व्रत (mahashivratri fast) पूरा नहीं होता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस दिन चार पहर की पूजा जरूर करें यह पूजा 1 मार्च से 2 मार्च के सूर्योदय तक होगी। इस दिन भगतों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
ये बात तो हम सब जानतें है कि इस दिन भगवान शिव का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था लेकिन शास्त्रों की मान्यताओं की बात करें तो ये बिल्कुल अलग है उनका कहना है कि इस दिन महाशिव रात्रि की रात भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग (Jyotirling) के रूप में प्रकट हुए थे। जिसकी वजह से इस पर्व को हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन बड़े अवसर के रूप में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि का अर्थ है जिसका शिव तत्व से घनिष्ठ संबंध है। यह त्यौहार शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि को ही महाशिवरात्रि बोला जाता है। इनकी भक्ति से ये क्रोध, लोभ, मोह विकारों से मुक्ति प्रदान करके परम सुख, संपत्ति एवं ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।
हम ये तो जानते है कि महाशिवरात्रि के शिव और माँ पार्वती का विवाह हुआ लेकिन कैसे और क्यों हुआ ये शायद आप में से बहुत कम लोग जानते हैं। आपको बता दें, एक कथा के अनुसार बताया गया है कि माता पार्वती सती का पुनर्जन्म है। माता पार्वती भगवान शिव जी को इतना पसंद करती थी कि वो उन्हें अपने जीवन में पती के रूप में पाना चाहती थी और उन्हें पाना कई ज़्यादा मुश्किल था। फिर भी माता पार्वती ने शिवजी को पाने के लिए कई प्रयास किये। लेकिन शिवजी प्रशन्न नहीं हुए। माता पार्वती जी ने हार नहीं मानी और शिव प्राप्ति के लिए वो त्रियुगी नारायण से 5 किलोमीटर दूर गौरीकुंड (Gauri Kund में कठोर साधना करने लगी। भोलेनाथ माँ पार्वती की इतनी भगति और आराधना को देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर शिवजी ने माँ पार्वती की वर्षों की कठोर तपस्या को देखकर उनसे विवाह कर लिया।
महाशिवरात्रि के पर्व पर शिवजी का पूजन पूरी विधि विधान से पूरा करना चाहिए। शिव भगतों को सबसे पहले सुबह-सुबह स्नान करके शिवजी के मंदिर को साफ करना चाहिए उसके बाद शिवलिंग (shivling) पर चंदन का लेप लगाकर गंगाजल, पंचामृत या दूध से शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए। पूजा करते समय आप ‘ऊं नमः शिवाय’ (om namah shivay) मंत्र का उच्चारण करते रहें और बार-बार दोहराते रहें। इस दिन शिवलिंग पर फल, बेल पत्र और फूल अर्पित करें। शिव पूजा (Shiv pujan) के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें एवं ये सब होने के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें। श्रद्धालु भक्तों को महाशिवरात्रि की पूजा के बाद व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए। अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए।
अंत में #थिंक विथ निश Think With Niche की तरफ से आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं,भगवान शिव आप सभी की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करें। ॐ नमः शिवाय