रक्षाबंधन एक सुंदर और पवित्र हिंदू त्योहार है, जो भाई-बहन के प्यार और विश्वास के रिश्ते को समर्पित होता है। यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो सुरक्षा, स्नेह और विश्वास का प्रतीक होती है।
लेकिन रक्षाबंधन केवल मिठाई या उपहार देने का ही दिन नहीं है। इसके पीछे एक गहरी धार्मिक और पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है। इस दिन व्रत (उपवास) रखने और पूजा करने की भी परंपरा है, जिसे श्रद्धा और नियम से किया जाता है।
इस लेख में हम आपको रक्षाबंधन की व्रत कथा और पूजा विधि सरल भाषा में बता रहे हैं, ताकि बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इसे आसानी से समझ सकें और सही तरीके से पूजा कर सकें।
अगर आप घर पर रक्षाबंधन मना रहे हैं या छोटे बच्चों को इसकी जानकारी देना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी रहेगा। आइए इस परंपरा को श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाएं।
रक्षाबंधन का पर्व Festival of Rakshabandhan न केवल एक पारिवारिक परंपरा है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों को भी उजागर करता है।
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं।
रक्षाबंधन का पवित्र बंधन The Sacred Bond of Raksha Bandhan
रक्षाबंधन, जिसे रक्षी पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सबसे प्रिय और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई और बहन के अटूट रिश्ते को मनाने के लिए मनाया जाता है। यह हर साल श्रावण महीने की पूर्णिमा को आता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो सुरक्षा, प्यार और आशीर्वाद का प्रतीक होती है।
रक्षाबंधन केवल राखी बांधने तक सीमित नहीं है, बल्कि इस दिन व्रत (उपवास) रखने और पूजा विधि (धार्मिक अनुष्ठान) करने की भी परंपरा है। यह पूजा आत्मिक शुद्धि और भाई-बहन के रिश्ते की मजबूती के लिए की जाती है।
इस लेख में हम आपको रक्षाबंधन की पूरी व्रत कथा और पूजा विधि के बारे में बताएंगे। ये जानकारियाँ आपको इस पवित्र पर्व का गहरा अर्थ समझने में मदद करेंगी और आपको इसे सही ढंग से मनाने की दिशा दिखाएंगी।
रक्षाबंधन की पूजा विधि सरल होती है, जिसे घर पर आसानी से किया जा सकता है। साथ ही, व्रत कथा सुनना इस दिन के धार्मिक महत्व को और अधिक बढ़ाता है।
'रक्षाबंधन' शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है – 'रक्षा' का मतलब है सुरक्षा और 'बंधन' का अर्थ है बंधन या संबंध। यह त्योहार भाई-बहन के बीच एक पवित्र डोरी के माध्यम से सुरक्षा, प्यार और विश्वास के रिश्ते को दर्शाता है। परंपरा के अनुसार, बहन अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है और भाई जीवन भर उसकी रक्षा करने का वादा करता है।
रक्षाबंधन भाई-बहन के बीच के खास भावनात्मक रिश्ते को मनाने का दिन है। यह केवल तोहफे और रस्मों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह उन मीठी यादों, जिम्मेदारियों और प्यार की भावना को दोहराने का अवसर है जो भाई-बहन जीवन भर साझा करते हैं।
हालांकि यह एक पारिवारिक त्योहार है, लेकिन इसका आध्यात्मिक पक्ष भी महत्वपूर्ण है। माना जाता है कि राखी बांधने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, शुभ आशीर्वाद मिलते हैं और अच्छे कर्मों का बंधन मजबूत होता है। यह पर्व हमें कर्तव्य, करुणा और निःस्वार्थता जैसे जीवन-मूल्यों की याद दिलाता है।
रक्षाबंधन कई पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा हुआ है। महाभारत, भविष्य पुराण और रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं की कहानी जैसी कथाओं से इस पर्व को एक गहरी सांस्कृतिक पहचान मिली है। ये कहानियाँ इस बात का प्रतीक हैं कि राखी का संबंध केवल भाई-बहन तक सीमित नहीं, बल्कि यह विश्वास और सुरक्षा के व्यापक संदेश को दर्शाता है।
आज के समय में रक्षाबंधन केवल खून के रिश्तों तक सीमित नहीं रह गया है। यह पर्व दोस्तों, पड़ोसियों और सैनिकों के बीच भी मनाया जाता है। यह सामाजिक एकता, भाईचारे और आपसी सम्मान का प्रतीक बन चुका है, जो हमें एक-दूसरे के साथ जुड़ने और समाज को मजबूत करने की प्रेरणा देता है।
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रक्षाबंधन से जुड़ी सबसे भावनात्मक कहानियों में से एक है भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी की।
महाभारत के अनुसार, एक बार श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध करते समय अपनी ऊंगली काट ली थी। यह देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी ऊंगली पर बांध दिया। इस स्नेहपूर्ण gesture से भावुक होकर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया।
बाद में जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब श्रीकृष्ण ने चमत्कारिक रूप से उसकी रक्षा की।
यह कथा दिखाती है कि रक्षाबंधन का बंधन केवल खून के रिश्तों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह आत्मिक और भावनात्मक संबंध को भी दर्शाता है।
भविष्य पुराण के अनुसार, एक बार देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध हो रहा था। इंद्र देव इस युद्ध में हार रहे थे। तब उनकी पत्नी इंद्राणी (शचि) ने एक पवित्र धागा तैयार किया और विशेष पूजा कर मंत्रों के साथ इंद्र की कलाई पर बांधा।
उस राखी (रक्षा सूत्र) की शक्ति से इंद्र को विजय प्राप्त हुई।
यह कथा दर्शाती है कि राखी केवल भाई-बहन के लिए नहीं, बल्कि किसी को भी बुराई से बचाने वाला पवित्र धागा हो सकता है।
देवी लक्ष्मी अपने पति विष्णु को याद कर रही थीं। श्रावण पूर्णिमा के दिन उन्होंने एक ब्राह्मण स्त्री का रूप धारण किया और राजा बलि के पास गईं। उन्होंने उसकी कलाई पर राखी बांधी और एक वरदान मांगा।
जब बलि ने वरदान देने का वचन दिया, तो देवी लक्ष्मी ने अपनी असली पहचान बताई और विष्णु को वापस बैकुंठ भेजने को कहा। बलि ने उन्हें अपनी बहन मानते हुए विष्णु को जाने की अनुमति दी।
यह कथा दर्शाती है कि राखी का बंधन प्रेम, त्याग और विश्वास का प्रतीक होता है।
रक्षाबंधन की ये पौराणिक कथाएं हमें सिखाती हैं कि यह त्योहार केवल एक रस्म नहीं, बल्कि भावनात्मक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत गहरा अर्थ रखता है।
राखी (पवित्र धागा)
रोली (कुमकुम) और हल्दी
अक्षत (अखंड चावल)
दीपक (तेल का दीया)
मिठाइयाँ (जैसे लड्डू या बर्फी)
कलश (जल पात्र)
फूल और अगरबत्ती
नारियल (वैकल्पिक)
एक साफ लाल कपड़ा या पूजा की थाल
रक्षाबंधन की शुरुआत सुबह जल्दी स्नान से होती है। इसके बाद बहनें व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। कुछ बहनें राखी बांधने तक उपवास भी रखती हैं, ताकि उनका प्रेम और आशीर्वाद शुद्ध मन से दिया जाए।
एक सुंदर पूजा थाली सजाई जाती है, जिसमें रोली, चावल, दीपक, राखी, मिठाई और फूल रखे जाते हैं। कुछ लोग थाली में रक्षा सूत्र का मंत्र भी लिखकर रखते हैं या उसका उच्चारण करते हैं।
बहन अपने भाई की आरती उतारती है। दीये को भाई के चेहरे के चारों ओर घड़ी की दिशा में घुमाती है। फिर भाई के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक लगाती है।
फिर बहन भाई की दाईं कलाई पर राखी बांधती है और यह मंत्र बोलती है:
"येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥"
भावार्थ:
"जिस रक्षा सूत्र से महान बलशाली राक्षसराज बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधती हूँ। यह रक्षा सूत्र तुम्हारी रक्षा करे और तुम्हें स्थिर बनाए रखे।"
राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाती है और उसके अच्छे स्वास्थ्य, खुशियों और लंबी उम्र की प्रार्थना करती है। भाई भी बहन को आशीर्वाद देता है और उपहार या पैसे देता है।
कुछ परिवार पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं या दान देते हैं। इसके बाद पूरे परिवार के साथ मिलकर खास भोजन (त्योहार की थाली) किया जाता है।
इस तरह रक्षाबंधन की पूजा विधि न केवल धार्मिक रस्मों को पूरा करती है, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाती है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई भी बहनों को उपहार देते हैं और जीवनभर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 8 अगस्त 2025 को दोपहर 2:12 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 9 अगस्त 2025 को दोपहर 1:24 बजे
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: 9 अगस्त को सुबह 5:47 बजे से दोपहर 1:24 बजे त
भद्रा प्रारंभ: 8 अगस्त को दोपहर 2:12 बजे
भद्रा समाप्त: 9 अगस्त को सुबह 1:52 बजे
रक्षाबंधन की पूजा और राखी बांधने की रस्म भद्रा काल में नहीं करनी चाहिए। अच्छी बात यह है कि 9 अगस्त को सूर्योदय से पहले ही भद्रा समाप्त हो जाएगी। इसलिए पूरा दिन राखी बांधने और पूजा के लिए शुभ रहेगा।
वे भाई को तिलक लगाकर राखी बांधती हैं और उसकी सुरक्षा और खुशहाली की कामना करती हैं।
भाई बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
परिवार एक साथ मिलकर त्योहार का स्वादिष्ट भोजन करते हैं और समय साथ बिताते हैं
रक्षाबंधन 2025 का दिन पूरी तरह शुभ है, इसलिए इसे पूरे उत्साह और प्रेम के साथ मनाएं।
रक्षाबंधन भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग तरीकों से मनाया जाता है:
महाराष्ट्र में, यह नारळी पूर्णिमा के साथ मनाया जाता है, जहाँ मछुआरे समुद्र को नारियल अर्पित करते हैं।
दक्षिण भारत में, इसे अवनि अवित्तम कहा जाता है, जिसे खासकर ब्राह्मण समुदाय मनाता है।
राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में महिलाएं राजाओं या पुजारियों को भी राखी बांधती हैं ताकि परिवार की रक्षा हो।
नेपाल में, इसे जनै पूर्णिमा कहा जाता है, जहाँ पुरुष पवित्र धागा (जनै) बदलते हैं
हालाँकि रक्षाबंधन एक पारंपरिक त्योहार है, लेकिन आज के समय में इसका रूप और भी सुंदर हो गया है।
अब बहनें केवल अपने भाई को ही नहीं, बल्कि कजिन, भाभी (लुंबा राखी), दोस्तों और सैनिकों को भी राखी बांधती हैं।
यह भाईचारे, प्रेम और एकता का प्रतीक बन गया है।
रक्षा, विश्वास और भावनात्मक जुड़ाव का संदेश आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
भारत के बाहर भी जहाँ भारतीय समुदाय रहता है, वहाँ रक्षाबंधन बड़े उत्साह से मनाया जाता है, जैसे:
नेपाल
मॉरीशस
फिजी
यूनाइटेड किंगडम (UK)
अमेरिका (USA)
कनाडा
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और अन्य खाड़ी देश
यहाँ राखी मेलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामूहिक उत्सवों के ज़रिए परंपराएं जीवित रखी जाती हैं।
रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं है, यह प्रेम, कर्तव्य और सुरक्षा की भावना का प्रतीक है जो पीढ़ियों से चलता आ रहा है।
चाहे कृष्ण और द्रौपदी की भावुक कथा हो या पूजा विधि में राखी बांधने की परंपरा — हर पहलू हमें विश्वास और रिश्तों की गहराई का एहसास कराता है।
जब हम व्रत कथा सुनते हैं और पूजा विधि करते हैं, तब हम न केवल परंपरा को निभाते हैं, बल्कि इसके आध्यात्मिक महत्व को भी सम्मान देते हैं।
आज की भागती-दौड़ती दुनिया में रक्षाबंधन हमें ठहरने, सोचने और अपनों से जुड़ने का मौका देता है।
इस साल जब आप राखी बांधें या बंधवाएं, तो यह पवित्र धागा आपको आपके रिश्तों की गहराई, परस्पर सम्मान और स्नेह की याद दिलाए।
रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं!