पटाखों के कारण होने वाला प्रदूषण

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09 Nov 2021
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अभी कई शहरों में सरकार ने पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगाया था पर इसके बावजूद भी लोग पटाखे जलाते हैं और सरकार द्वारा बनाये नियमों को भी अनदेखा कर देते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि पटाखे द्वारा उत्पन्न होने वाला प्रदूषण अधिक दिन तक नहीं रहता है लेकिन शायद वे यह भूल जाते हैं कि उस दौरान हवा इतनी प्रदूषित रहती है कि लोगो के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। खासतौर पर छोटे बच्चे और बुजर्गों पर इसका खतरनाक असर पड़ता है। इसके द्वारा पेड़-पौधों को भी कितना नुकसान झेलना पड़ता है आप सोच भी नहीं सकते हैं। सरकार को इनका उपयोग कम करने के लिए जरुरी कदम उठाने होंगे। इनको जलाने से हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ-साथ वायुमंडल पर भी बुरा असर पड़ता है। हम सब लोगों को मिलकर इस दिवाली के त्योहार को ख़ूबसूरत बनाये रखना होगा और क्षणिक आनंद के दुष्परिणाम के बारे में सोचना होगा।

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दिवाली का त्योहार festival हमारे देश में उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिवाली का नाम आते ही सबसे पहले जो नाम ज़ेहन में आता है वो है पटाखों का। हर कोई पटाखों fireworks के द्वारा उत्पन्न होने वाले शानदार रंगो और आकृतियों को पसंद करता है, इसलिए दिवाली के अलावा हमारे देश में शादी, पार्टी और अन्य कई कार्यक्रमों में पटाखे जलाये जाते हैं। हम सब लोग इससे होने वाले नुकसान से अनभिज्ञ रहते हैं। सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी लोग बाज नहीं आते हैं। क्या आप जानते हैं कि इन पटाखों के कारण प्रदूषण में कितनी वृद्धि होती है और ये प्रदूषण हमारी सेहत के लिए कितने हानिकारक होते हैं। क्योंकि यह कई प्रकार के रसायनों का मिश्रण होते हैं, जिनके जलने के कारण कई प्रकार के प्रदूषण उत्पन्न होते है। चलिये जानते हैं पटाखों और आतिशबाजी के कारण होने वाले नुकसान के बारे में। 

पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण और इसके द्वारा पड़ने वाला प्रभाव

वैसे दिवाली प्रकाश का पर्व है और बुराई पर अच्छाई के जीत को दर्शाता है। यह त्योहार दीपक जलाकर मनाया जाता था, इसी कारण इसको हम दीपावली के नाम से जानते हैं लेकिन अब यह त्योहार केवल कपड़ों, पटाखे, शोर-शराबे, खरीददारी, घरों की सजावट और दिखावे का त्योहार बन गया है। लोग इसमें कई सारे पटाखे जलाते हैं जिसके काफी भीषण परिणाम हैं। 

जब हम पटाखों को जलाते हैं तो उनसे काफी मात्रा में धुंआ निकलता है और वो धुआं वायु में मिल जाता है जो कि काफी नुकसानदेह हो जाता है। अभी दिवाली के बाद कई शहरों में सांस लेना मुश्किल हो गया है, खासकर दिल्ली जैसे शहरों में जहाँ हवा पहले से प्रदूषित थी। पटाखों के धुएँ से हवा की गुणवत्ता पर अत्यधिक असर पड़ा है। पटाखे जलाने से यह छोटे-छोटे कण धुंध में मिल जाते हैं और हमारे फेफड़ो तक पहुंच जाते हैं। जिस वजह से लोगों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और कई बीमारियाँ भी हो रही हैं। 

पटाखों से निकलने वाले रसायन सभी के लिए खतरनाक होते हैं। बच्चे और बुजर्गों पर इसका बुरा असर पड़ता है। इनसे फेफड़ों का कैंसर तक हो जाता है और बहुत सारे रसायनों के मिले होने के कारण ये हमारे लिए बहुत ही खतरनाक होता है। एंटीमोनी सल्फाइड और एल्यूमीनियम जैसे तत्व अल्जाइमर रोग का कारण बनते है। पटाखों में बेरियम नाइट्रेट, स्ट्रोंटियम, लिथियम, एंटीमोनी, सल्फर, पोटेशियम आदि रसायन मौजूद होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचाते हैं। दिवाली का त्योहार अक्टूबर या नवंबर में आता है जिस समय अधिकतर शहरों में कोहरे का मौसम रहता है और यह पटाखों से निकलने वाले धुएँ के साथ मिलकर प्रदूषण के स्तर को और भी ज्यादा बढ़ा देता है। पटाखों में सल्फर के साथ ऑक्सीडाइज़र, रिड्यूसिंग एजेंट और रंग भी होते हैं। जिनसे रंग-बिरंगी रोशनी पैदा होती है। 

पटाखों की धूम-धड़ाम की आवाज से हमारे कानों को नुकसान पहुँचता है, पटाखे ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने का कार्य भी करते हैं। पटाखों की औसत ध्वनि स्तर लगभग 125 डेसीबल होती है। ये हमारे कानों के लिए अत्यधिक खतरनाक है, क्योंकि मनुष्य के कान 5 डेसीबल तक की आवाज को बिना किसी के नुकसान के सह सकते हैं। इसके अलावा छोटे बच्चों को भी इसकी आवाज से बहुत परेशानी होती है। दिवाली भले ही हम लोगों के लिए खुशियों का समय होता है पर पशु-पक्षियों के लिए यह काफी मुश्किल समय होता है। तेज आवाजें सुनकर जंतु-जानवर, पशु-पक्षी काफी डर जाते हैं। कुत्ते और बिल्ली जैसे जानवरों की श्रवणशक्ति काफी संवेदनशील होती है, जिस कारण पटाखों की तेज आवाज के कारण वे काफ़ी डरे और सहमे से रहते हैं। कुल मिलाकर हम ये कह सकते हैं कि पटाखों के कारण अन्य प्राणियों पर काफी हानिकारक प्रभाव पड़ता है। 

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