सबकी जुबां पर एक ही नाम, हल्दीराम

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08 Oct 2021
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समय के साथ कुछ न कुछ अलग करते रहे जैसे अलग अलग तरीके, अलग अलग विचार और अलग अलग प्रयोग और कुछ बदलाव तो वो स्टार्टअप जरूर सफल होता है और इस बात को हल्दीराम ने किया भी और समझा भी और इसे लागू भी किया।

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ज़िंदगी में आगे बढ़ते रहो तो कामयाबी जरूर मिलती है। हल्दीराम आज इंटरनेशनल ब्रांड है। सफलता कभी भी एक दिन में हासिल नहीं होती है और न ही एक दिन में कोई बड़ा बदलाव आता है। छोटी-छोटी कोशिश एक दिन राष्ट्रीय से अंतर्राष्ट्रीय नाम में बदल जाती है। छोटा सा बदलाव ही बड़ी कामयाबी का रास्ता खोलता है। इस ब्रांड से ये प्रेरणा भी मिलती है कि कैसे सिर्फ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में नंबर-1 के मुकाम पर पहुँच सकते हैं। कई लोग ज़िंदगी में थोड़ा बहुत करने के बाद ही हार मान कर बैठ जाते हैं। उन्हें एक दिन के मेहनत में ही सफलता की उम्मीद होती है।

हम सब जानते हैं कि सफलता एक दिन की मोहताज़ नहीं होती है उसके लिए दिन-रात एक करके मेहनत करना पड़ता है, तभी जाकर सफलता हांसिल होती है। हल्दीराम आज भारत के फूड इंडस्ट्री में नंबर-1 ब्रांड बन चुका है। हल्दीराम भारत ही नहीं विदेशों में भी अपने स्वाद के लिए बेहद लोकप्रिय है। हल्दीराम नमकीन और स्वीट्स ब्रांड की शुरुआत 1937 में राजस्थान के जिले बीकानेर से हुई थी। एक छोटी सी दुकान से शुरुआत कर इस मुकाम पर पहुंचना सबके लिए एक प्रेरणा है। कहते हैं कि सपने अगर बड़े हों और उनको पूरा करने की इच्छाशक्ति हो तो वह एक दिन जरूर सच होते हैं, जैसे हल्दीराम ने किया। सबसे पहले उन्होंने नमकीन से शुरुआत की। लोगों को उसका स्वाद अच्छा लगा। उन्होंने इसको और अच्छा स्वादिष्ट और नए तरीके से बनाने की कोशिश की। उन्होंने उस नमकीन को थोड़ा नए स्वाद के साथ बिल्कुल नया रूप दे दिया। हल्दीराम ने पहले उसको बारीक किया फिर उसमें कुछ मसाले मिलाये फिर ऐसे जायके का प्रयोग किया कि खाने वाला उसका कायल हो जाये। 

हम ये समझ सकते हैं कि किसी भी चीज़ को थोड़ा बदलकर उसको नया रूप दे सकते हैं जिससे लोगों को वह पसंद आये। इस तरह से उसका नाम या उसका स्वाद हर किसी की जुबां पर हो। बदलाव हर चीज़ में जरूरी होता है। समय के साथ बदलाव हर कोई मांगता है। मतलब अपडेट करना जरूरी है चाहे वह कोई भी व्यवसाय हो। तब लोग हल्दीराम भुजिया के इतने कायल हो गए थे कि उनकी दुकान में लम्बी लाइन में लगने के लिए भी लोग तैयार थे। इस छोटी सी दुकान से हल्दीराम नाम का एक ब्रांड बन गया। 

आज शायद ही कोई ऐसा हो जो हल्दीराम का नाम न जानता हो और इससे कई लोगों को रोजगार भी मिलता है। इसलिए कहते हैं कि अगर सही रास्ते का पता चल जाता है तो फिर मंजिल को पाना आसान हो जाता है। हल्दीराम इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। हल्दीराम की ब्रांड आज भारत के कई बड़े शहरों में स्थापित है। बिज़नेस को कैसे आगे बढ़ाना है वह हम इनसे सीख सकते हैं और कैसे हम छोटी सी शुरुआत से अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भी छा सकते हैं। आज हल्दीराम भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों तक अपने ब्रांड को ले जा चुका है। आज अमेरिका, श्रीलंका, UAE , ऑस्ट्रिलिया, कनाडा, जापान, थाईलैंड और दुनिया के करीब 50 से ज्यादा शहरों में हल्दीराम के प्रोडक्ट बेचे जाते हैं।

अपने नए विचारों और नए बदलावों से हल्दीराम अपने बिज़नेस को आगे बढ़ा रहे हैं। नमकीन के साथ हल्दीराम प्रसिद्ध हो गया तो उसने मिठाई भी बनानी शुरू कर दी। हल्दीराम नमकीन के साथ और भी उत्पाद बनाने लगा। उनकी मिठाई भी बाज़ार में आ गयी। यह भी लोगों की जुबां पर चढ़ गया। इसका स्वाद भी लोगों को अच्छा लगने लगा। इस तरह से हल्दीराम का बिज़नेस बस बढ़ता ही चला गया। आज हल्दीराम के और भी कई उत्पाद बाज़ार में छाए हुए हैं। इनके मिठाई की भी बहुत सारी विविधता बाज़ार में हैं। हल्दीराम सिर्फ नमकीन और मिठाई तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बाज़ार में हल्दीराम के लगभग 100 फूड प्रोडक्ट चल रहे हैं। इनमें जैसे कुकीज़, आइसक्रीम, डेरी प्रोडक्ट आदि हैं। आज भारत के कई बड़े शहरों में हल्दीराम ने अपने रेस्टोरेंट खोले हैं कोलकता, दिल्ली जैसे आदि शहरों में। आज हल्दीराम को स्वाद और परम्परा के लिए जाना जाता है।

समय के साथ कुछ न कुछ अलग करते रहें जैसे अलग अलग तरीके, अलग-अलग विचार और अलग-अलग प्रयोग तो वह स्टार्टअप जरूर सफल होता है और इस बात को हल्दीराम ने किया भी, समझा भी। हल्दीराम ने इसे लागू भी किया। हल्दीराम का ब्रांड प्रत्येक व्यक्ति को इतना पसंद आता है चाहे वह मध्यम वर्ग के लोग हों या उच्च वर्ग के सब इसके स्वाद के मुरीद हैं। यहाँ तक पहुंचना हल्दीराम के लिए इतना आसान नहीं था। बस परेशानियों को नज़रअंदाज करके आगे बढ़ते रहें तो कामयाबी ज़रूर मिलती है।

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