बवाल हो गई है ज़िन्दगी

8475
31 Jul 2021
3 min read

Post Highlight

कोरोना महामारी के चलते ज़िन्दगी थम सी गयी है। इस कविता के ज़रिये कवि ने कोरोना काल में गुज़रते हुए ज़िन्दगी के हाल को बयां करने की कोशिश की है।

Podcast

Continue Reading..

कोरोना के चक्कर में, बवाल हो गई है ज़िन्दगी,
जवाबों के कटघरे में सवाल हो गई है ज़िन्दगी...

धड़कता  दिल, तो  यहां खैरियत  का पैमाना है,
दौर-ए-वक़्त में जैसे इंतकाल हो गई है ज़िन्दगी...

कल तक, चेहरे की खूबसूरती का बोलबाला था,
आज मुंह पर बंधी बस रूमाल हो गई है ज़िन्दगी....

चारदीवारी में अब घर की पल - पल कैसे कटता है,
आज अधूरा लगता कल पर काल हो गई है ज़िन्दगी...

आज़ादी, चैन -ओ- सुकूं का नामोनिशां तक नहीं बचा,
रोज़मर्रा की तकलीफों से मालामाल हो गई है ज़िन्दगी...

 

TWN Reviews