दुनियाभर के व्यवसाय आज एक ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहाँ हालात पहले से कहीं ज़्यादा अस्थिर और जुड़े हुए हैं। ऐसे माहौल में आने वाले खतरों को पहचानना और उनसे पहले से तैयारी करना बहुत ज़रूरी हो गया है।
Aon की ग्लोबल रिस्क मैनेजमेंट सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, अब कंपनियाँ ऐसे जटिल जोखिमों का सामना कर रही हैं जहाँ एक परेशानी कई क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती है — जैसे तकनीक, नियम-कानून, सप्लाई चेन और भू-राजनीतिक हालात।
साल 2025 में साइबर रिस्क को सबसे बड़ा खतरा माना गया है, लेकिन यह अकेला जोखिम नहीं है। आर्थिक दबाव, बदलते नियम, सप्लाई चेन की कमजोरियाँ, वैश्विक अस्थिरता, ब्रांड की साख को नुकसान और नकदी की कमी जैसे कई अन्य जोखिम भी कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं।
अब ज़्यादातर अग्रणी कंपनियाँ केवल संकट आने पर प्रतिक्रिया देने के बजाय, डेटा-आधारित और अग्रिम सोच पर आधारित रणनीतियाँ अपना रही हैं ताकि वे अनिश्चितता को अपने पक्ष में बदल सकें और प्रतिस्पर्धा में आगे रह सकें।
आगे हम 2025 के टॉप 10 ग्लोबल बिज़नेस रिस्क Top 10 Global Business Risks of 2025 पर विस्तार से बात करेंगे, ताज़ा आँकड़ों और रुझानों के साथ यह भी जानेंगे कि कैसे सही रणनीति अपनाकर कंपनियाँ जोखिमों को अवसरों में बदल सकती हैं।
साइबर जोखिम अब दुनिया भर के व्यवसायों के लिए सबसे बड़ी चिंता बन चुका है। 2024 में एक डेटा लीक (Data Breach) की औसत लागत 4.88 मिलियन अमेरिकी डॉलर रही, जो 2023 की तुलना में 10% ज्यादा थी। इसका मुख्य कारण था अधिक जटिल हमले, लंबे समय तक सिस्टम बंद रहना, और महंगी रिकवरी प्रक्रिया।
हालांकि IBM की 2025 रिपोर्ट के अनुसार, औसत लागत घटकर 4.44 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 9% की कमी) हो गई है, लेकिन हमलों की जटिलता और खतरनाक स्तर लगातार बढ़ रहा है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2025 तक साइबर अपराध की वैश्विक लागत हर साल 10.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकती है।
अब साइबर अपराधी जनरेटिव एआई का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी वाले ईमेल, ऑडियो और वीडियो तैयार कर रहे हैं ताकि लोगों और कंपनियों को भ्रमित किया जा सके।
हर तीन में से एक व्यवसायिक नेता ने बताया कि पिछले महीनों में सप्लाई चेन पर साइबर हमले बढ़े हैं।
Aon की 2025 साइबर जोखिम रिपोर्ट के अनुसार, जिन कंपनियों पर साइबर हमला प्रतिष्ठा संकट में बदल गया, उनके शेयर मूल्य में औसतन 27% की गिरावट आई।
जिन साइबर घटनाओं को 200 दिनों से ज्यादा समय तक पहचाना नहीं गया, उनकी लागत लगभग 5.46 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक रही।
साइबर सुरक्षा को केवल आईटी नहीं, बल्कि बोर्ड और टॉप मैनेजमेंट का विषय बनाएं।
एआई और एडवांस एनालिटिक्स का उपयोग रक्षात्मक रूप से करें ताकि खतरों की पहचान और प्रतिक्रिया तेजी से हो सके।
साइबर हमले की स्थिति में कंपनी की प्रतिक्रिया योजना (Incident Response Plan) का नियमित परीक्षण करें।
साइबर बीमा में निवेश करें, लेकिन यह याद रखें कि यह प्रतिष्ठा को हुए नुकसान को पूरी तरह नहीं कवर कर सकता।
अपने सभी सप्लायर और थर्ड पार्टी विक्रेताओं की सुरक्षा पर लगातार निगरानी रखें।
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व्यवसाय में व्यवधान एक ऐसा प्रणालीगत जोखिम बन गया है जो साइबर हमलों, प्राकृतिक आपदाओं, सप्लाई चेन टूटने और भू-राजनीतिक तनावों के कारण बढ़ रहा है।
2024 में प्राकृतिक आपदाओं से 368 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ, जिसमें से 60% नुकसान बीमा रहित था।
हालांकि 77% कंपनियों के पास व्यापार निरंतरता (Business Continuity) की योजना थी, फिर भी 31% ने नुकसान की रिपोर्ट की — यह दिखाता है कि पारंपरिक योजनाएं अब पर्याप्त नहीं हैं।
आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में, किसी एक सप्लायर या क्षेत्र में रुकावट पूरी सप्लाई चेन पर असर डाल सकती है।
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चरम मौसम घटनाएं।
बिजली, परिवहन और लॉजिस्टिक्स जैसी संरचनाओं में विफलता।
साइबर हमलों के कारण सिस्टम डाउन होना।
युद्ध या व्यापार मार्गों में भू-राजनीतिक तनाव।
सप्लाई चेन में विविधता और भौगोलिक संतुलन बनाए रखें।
संभावित संकटों (जैसे युद्ध, बाढ़, या आपूर्ति अवरोध) के लिए सिमुलेशन और योजना बनाएं।
लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन पर रियल-टाइम निगरानी रखें।
अप्रत्यक्ष नुकसान को कवर करने के लिए पैरामीट्रिक और आकस्मिक बीमा (Parametric & Contingent Insurance) का उपयोग करें।
मुद्रास्फीति, ऊंची ब्याज दरें और व्यापार में रुकावटों के कारण आर्थिक अस्थिरता (Economic Volatility) दुनिया भर के व्यवसायों पर लगातार दबाव डाल रही है।
2025 के सर्वेक्षण में “आर्थिक मंदी” को तीसरा सबसे बड़ा वैश्विक जोखिम बताया गया है, जो 2028 तक दूसरे स्थान पर पहुंच सकता है।
पिछले एक साल में 54% कंपनियों को इस जोखिम से नुकसान हुआ, लेकिन केवल 37% के पास इससे निपटने की कोई औपचारिक योजना थी और मात्र 15% कंपनियों ने अपने जोखिम का आकलन किया था।
कर्ज की सख्त शर्तें, उपभोक्ता मांग में गिरावट और क्षेत्रीय मंदी ने स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए “स्ट्रेस टेस्ट” करें, जैसे GDP में 5% की गिरावट या वैश्विक ऋण संकट की स्थिति।
नकदी भंडार बनाए रखें और क्रेडिट लाइनों तक पहुंच सुनिश्चित करें ताकि मुश्किल समय में तरलता बनी रहे।
लागत ढांचे, हेजिंग रणनीतियों और मूल्य निर्धारण में लचीलापन लाएं।
किसी एक क्षेत्र या बाजार पर अधिक निर्भरता से बचने के लिए बाजारों में विविधता लाएं।
वर्तमान स्थिति (Current Landscape)
दुनियाभर की सरकारें डेटा गोपनीयता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), स्थिरता, कराधान और व्यापार जैसे क्षेत्रों में तेजी से नए नियम लागू कर रही हैं।
2025 में “नियामक जोखिम” चौथे सबसे बड़े वैश्विक जोखिम के रूप में उभरा है।
पिछले साल लगभग 29% कंपनियों को नियमों में बदलाव से नुकसान हुआ, लेकिन आधे से भी कम के पास कोई औपचारिक योजना थी और केवल 12% ने अपने जोखिम का सटीक मूल्यांकन किया था।
मुख्य कानूनों में यूरोपीय संघ का AI एक्ट, वेतन पारदर्शिता नियम, कड़े डेटा गोपनीयता कानून और स्थिरता (Sustainability) से जुड़ी अनिवार्य शर्तें शामिल हैं।
मुख्य चुनौतियाँ (Challenges)
विभिन्न देशों में अलग-अलग नियम — जैसे यूरोपीय संघ, चीन, अमेरिका और उभरते बाजारों के बीच असंगति।
तेज गति से बदलते नियम, जिनके साथ कंपनियों की आंतरिक अनुपालन (Compliance) प्रणाली तालमेल नहीं बिठा पा रही।
ESG, डेटा सुरक्षा और AI जैसे overlapping नियमों से बढ़ती जटिलता।
सुझाव और समाधान (Recommendations)
नियामक इंटेलिजेंस (Regulatory Intelligence) में निवेश करें ताकि आने वाले कानूनों और नीतियों की जानकारी समय पर मिले।
उत्पाद डिजाइन चरण में ही अनुपालन सुनिश्चित करें, जैसे “प्राइवेसी बाय डिजाइन” या “सस्टेनेबल डिफॉल्ट्स” अपनाएं।
नियामकों से सक्रिय संवाद बनाए रखें और नीति निर्माण में अपनी राय रखें।
कर्मचारियों को, खासकर R&D, लीगल और कंप्लायंस टीमों को, नए नियमों और रुझानों पर नियमित प्रशिक्षण दें।
आज के दौर में व्यापारिक प्रतिस्पर्धा अब कभी-कभी आने वाली चुनौती नहीं रही — यह अब लगातार चलने वाली हकीकत बन गई है। नई कंपनियाँ, चुस्त स्टार्टअप्स, तेज़ तकनीकी प्रगति और बदलते वैश्विक व्यापार परिदृश्य के कारण व्यवसायों पर दबाव बढ़ता जा रहा है।
2025 की जोखिम सूची में “बढ़ती प्रतिस्पर्धा” पाँचवें स्थान पर है, लेकिन अनुमान है कि यह 2028 तक तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी।
हालाँकि 44% कंपनियों ने इससे निपटने के लिए रणनीतियाँ बनाई हैं, फिर भी 43% ने नुकसान की रिपोर्ट की — यह दिखाता है कि मौजूदा योजनाएँ तेज़ी से बदलते बाज़ार के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहीं।
AI, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म्स और फास्ट-स्केलिंग बिज़नेस मॉडल्स का उदय इस प्रतिस्पर्धा को और तीव्र बना रहा है।
निरंतर नवाचार और रूपांतरण में निवेश करें, जैसे उत्पाद में बदलाव या नए प्लेटफ़ॉर्म मॉडल अपनाना।
लचीला और तेज़ निर्णय लेने वाला संगठनात्मक ढांचा बनाएं ताकि बाज़ार परिवर्तनों पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाएं और प्रतिस्पर्धियों से अलग पहचान बनाने पर ध्यान दें।
कर्मचारियों को प्रशिक्षित और पुनः कौशलयुक्त करें (Reskilling) ताकि वे बदलती ज़रूरतों के अनुरूप काम कर सकें।
बढ़ती लागत और आपूर्ति की चुनौतियाँ (Rising Costs & Supply Disruptions)
कच्चे माल, ऊर्जा और अन्य वस्तुओं की कीमतों में तेज़ उतार-चढ़ाव से कंपनियों के मुनाफ़े पर असर पड़ रहा है और उत्पादन प्रक्रिया में रुकावटें आ रही हैं।
2025 में “कमोडिटी प्राइस वोलैटिलिटी” छठे सबसे बड़े वैश्विक जोखिम के रूप में सामने आई है और 2028 तक इसके चौथे स्थान पर पहुँचने की संभावना है।
लगभग 60% कंपनियाँ दावा करती हैं कि वे तैयार हैं, लेकिन 47% ने नुकसान झेला और केवल 17% कंपनियों ने इस जोखिम का सटीक आकलन किया है।
ऊर्जा, सेमीकंडक्टर और खाद्य उद्योग जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति सीमाएँ और भू-राजनीतिक बाधाएँ कीमतों की अस्थिरता को और बढ़ा रही हैं।
हेजिंग टूल्स, फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स और ऑप्शंस का उपयोग करें ताकि लागत में स्थिरता बनी रहे।
सप्लाई चेन को मज़बूत करने के लिए साझेदारी या वर्टिकल इंटीग्रेशन जैसे विकल्प तलाशें।
कच्चे माल के स्रोतों में विविधता लाएँ और वैकल्पिक इनपुट्स का उपयोग कर लचीलापन बनाए रखें।
कीमतों में अचानक वृद्धि की स्थिति के लिए मॉडल तैयार रखें, जैसे दुर्लभ धातुएँ या ऊर्जा संसाधन।
आज की वैश्विक सप्लाई चेन कई तरह के आपस में जुड़े खतरों से जूझ रही है — जिनमें जलवायु परिवर्तन से जुड़ी घटनाएँ, हड़तालें, साइबर हमले, बुनियादी ढांचे की विफलता और सीमा बंद होना शामिल हैं। इन सभी कारणों से सामान की आवाजाही और उत्पादन दोनों पर असर पड़ता है।
2025 में यह जोखिम वैश्विक स्तर पर सातवें स्थान पर है, हालांकि 2028 तक इसके बारहवें स्थान पर आने की संभावना है।
लगभग 61% कंपनियों ने बताया कि उनके पास इस जोखिम से निपटने की योजना है, लेकिन फिर भी 28% संगठनों को नुकसान उठाना पड़ा।
क्योंकि सप्लाई चेन अब कई देशों और भागीदारों तक फैली होती है, किसी भी एक हिस्से में रुकावट का असर पूरी प्रणाली पर बहुत तेज़ी से पड़ता है।
जहाँ ज़रूरी हो, “जस्ट-इन-केस” मॉडल अपनाएँ ताकि ज़रूरी वस्तुओं का स्टॉक पहले से मौजूद रहे।
ब्लॉकचेन, IoT और डिजिटल ट्विन तकनीक का उपयोग करके सप्लाई चेन में पारदर्शिता और ट्रैकिंग क्षमता बढ़ाएँ।
राजनीतिक, जलवायु और लॉजिस्टिक संकेतकों की निगरानी करें ताकि जोखिमों की पहले से पहचान हो सके।
स्थानीय या क्षेत्रीय वैकल्पिक सप्लायर और ट्रांसपोर्ट रूट तैयार रखें ताकि किसी भी आपात स्थिति में सप्लाई बाधित न हो।
डिजिटल युग में बढ़ता प्रतिष्ठा जोखिम (Rising Reputational Risk in the Digital Era)
आज के डिजिटल और मीडिया-प्रधान समय में, किसी भी घटना या गलती का असर तुरंत ब्रांड की साख पर पड़ सकता है। एक छोटी चूक भी सोशल मीडिया पर बड़े विवाद में बदल सकती है।
जानकारी और जोखिम (Insights & Risks)
2025 में यह जोखिम आठवें स्थान पर है और अनुमान है कि 2028 तक यह उन्नीसवें स्थान पर चला जाएगा, लेकिन यह फिर भी एक गंभीर और संवेदनशील खतरा बना रहेगा।
लगभग 53% कंपनियों के पास इससे निपटने की योजना है, लेकिन केवल 12% कंपनियाँ ही अपने प्रतिष्ठा जोखिम का आकलन कर पाई हैं।
साइबर घटनाएँ, ESG (पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस) में चूक, सोशल मीडिया पर आलोचना और रेगुलेटरी जुर्माने — ये सभी मिलकर किसी भी कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा सकते हैं।
रणनीतिक सुझाव (Strategic Recommendations)
प्रतिष्ठा जोखिम को कंपनी की समग्र जोखिम प्रबंधन योजना (ERM) का हिस्सा बनाएं।
सोशल लिसनिंग टूल्स और एनालिटिक्स का उपयोग करके शुरुआती संकेतों की पहचान करें।
क्राइसिस कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल तैयार रखें, जिसमें पीआर, लीगल और लीडरशिप टीमें शामिल हों।
पारदर्शिता बनाए रखें, हितधारकों से संवाद करें, और समस्या आने पर समय पर सुधारात्मक कदम उठाएँ।
बढ़ता वैश्विक तनाव (Rising Global Tensions)
क्षेत्रीय संघर्ष, व्यापार विवाद, आर्थिक प्रतिबंध और बदलते अंतरराष्ट्रीय गठबंधन — ये सभी भू-राजनीतिक जोखिमों को और गंभीर बना रहे हैं। इन स्थितियों से न केवल व्यापारिक माहौल अस्थिर होता है बल्कि सप्लाई चेन, निवेश और बाज़ार की स्थिरता पर भी गहरा असर पड़ता है।
2025 में यह जोखिम वैश्विक स्तर पर 9वें स्थान पर है, लेकिन अनुमान है कि 2028 तक यह 5वें स्थान पर पहुँच जाएगा।
सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 33% संगठन खुद को इस जोखिम के लिए तैयार मानते हैं, जबकि 37% कंपनियों को पिछले साल इससे नुकसान हुआ।
मुख्य चिंता के क्षेत्र हैं — अमेरिका–चीन तनाव, मध्य पूर्व की अस्थिरता, रूस–यूक्रेन संघर्ष, सप्लाई चेन का विभाजन, और कई देशों में महत्वपूर्ण चुनाव।
रियल-टाइम भू-राजनीतिक इंटेलिजेंस और परिदृश्य विश्लेषण (Scenario Modeling) अपनाएँ ताकि संभावित खतरों की पहले पहचान की जा सके।
सप्लाई चेन और संचालन में लचीलापन बनाए रखें, ताकि संघर्ष वाले क्षेत्रों पर निर्भरता कम हो।
पॉलिटिकल रिस्क इंश्योरेंस और मज़बूत अनुबंधिक सुरक्षा का उपयोग करें।
तेज़ निर्णय लेने की प्रक्रिया (Rapid Decision Frameworks) विकसित करें ताकि अचानक आने वाले भू-राजनीतिक झटकों का तुरंत सामना किया जा सके।
जैसे-जैसे वैश्विक आर्थिक माहौल कठिन हो रहा है, कंपनियों के लिए नकदी प्रबंधन और तरलता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण बन गया है। बढ़ती ब्याज दरें, बैंकों का सख्त ऋण माहौल और अनिश्चित क्रेडिट बाज़ार कई व्यवसायों के लिए खतरा बन रहे हैं।
मुख्य अवलोकन (Observations)
यह जोखिम 2025 में टॉप 10 जोखिमों में दोबारा शामिल हुआ है और 2028 तक इसके बने रहने की संभावना है।
हालाँकि 81% कंपनियों के पास इससे निपटने की योजनाएँ हैं, फिर भी 29% कंपनियों को नुकसान हुआ — जो दर्शाता है कि योजनाएँ पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं।
सामान्य परिस्थितियों में नकदी आरक्षित निधि (Liquidity Reserves) और अनउपयोगित क्रेडिट लाइनें बनाए रखें।
कैश फ्लो स्ट्रेस टेस्ट नियमित रूप से करें — जैसे मांग में अचानक गिरावट या भुगतान में देरी की स्थिति।
रेसीवेबल्स और पेएबल्स मैनेजमेंट को सुधारें ताकि नकदी प्रवाह बेहतर हो सके।
वर्किंग कैपिटल ऑप्टिमाइजेशन टूल्स, सप्लाई चेन फाइनेंसिंग, और वैकल्पिक फंडिंग स्रोतों का उपयोग करें।
ऐसी प्रणाली बनाएँ जो लगातार तकनीक, बाज़ार, भू-राजनीति, नियमन और प्रतिष्ठा से जुड़े संकेतों की निगरानी करे।
डेटा एनालिटिक्स, सिमुलेशन और स्ट्रेस टेस्टिंग का उपयोग करें ताकि संभावित श्रृंखलाबद्ध प्रभावों का पूर्वानुमान लगाया जा सके।
अब जोखिम प्रबंधन केवल एक विभाग की ज़िम्मेदारी नहीं रह गई है।
साइबरसिक्योरिटी, संचालन, वित्त, कानूनी और संचार — सभी टीमों को मिलकर रणनीति बनानी होगी और साझा रूप से प्रतिक्रिया देनी होगी।
संकट के समय “वार रूम” और तेज़ निर्णय प्रणाली बनाएं ताकि अनिश्चित परिस्थितियों में तुरंत कार्रवाई की जा सके।
ऐसे अभ्यास करें जिनमें एक साथ साइबर हमला, सप्लाई चेन बाधा, नियामक दवाब और वित्तीय तनाव जैसी स्थितियों का अनुकरण किया जाए।
जोखिम जागरूकता को नेतृत्व के प्रदर्शन संकेतकों (KPIs) का हिस्सा बनाएं।
रिपोर्टिंग, नियर-मिस ट्रैकिंग और सीखने की संस्कृति को प्रोत्साहित करें ताकि हर संकट से संगठन मजबूत बन सके।
2025 में कंपनियाँ कई दिशाओं से आने वाले जोखिमों का सामना कर रही हैं — साइबर खतरे, आर्थिक अस्थिरता, बदलते नियम, सप्लाई चेन में रुकावटें और भू-राजनीतिक तनाव। अब केवल संकट आने पर प्रतिक्रिया देना पर्याप्त नहीं है।
जो कंपनियाँ डेटा-आधारित, अग्रिम सोच वाली और सहयोगी रणनीतियाँ अपनाएँगी, वही अनिश्चितता को एक अवसर में बदल पाएँगी।
रिस्क इंटेलिजेंस, सीनारियो प्लानिंग और प्रॉएक्टिव गवर्नेंस को अपनाकर व्यवसाय न केवल संकट से बच सकते हैं — बल्कि और अधिक मज़बूत होकर उभर सकते हैं।