मन का दीपक दे जग उजियारा

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01 Nov 2021
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हमारे मन का प्रत्येक कोना एक दीपक की राह तकता है, जिसके सहारे वह पूरी दुनिया में रौशनी का ज्ञान बांट सके। हमारे मन में ज्ञान, आशा, दया और सहजता का दीपक अगर जले तो वह हमारे आस-पास मौजूद लोगों को, संपूर्ण संसार को और स्वयं हमारे जहान को भी रौशन करेगा। हम स्वयं के मन को यदि इतना सहज बना पाएं कि वह दूसरों की दुविधाओं का हल बन पाए और अन्य लोगों की परेशानियों में खड़ा होने में सक्षम बनाएगा। दुनिया में ऐसे कई पहलू हैं, जिन्हें मन से समर्थ लोगों के साथ की आवश्यकता होती है। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि हम अपने मन के भीतर दीपक जलाकर जग को उजियारा दे सकते हैं।

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रौशनी से किसे प्यार नहीं होता। अंधेरे संसार में जब सूरज की एक किरण अपनी छंटा बिखेरती है, तो दुनिया का प्रत्येक कोना उमंग की चहचहाहट से नृत्य करने लगता है। हम यदि एक अंधेरे कमरे को भी देखें तो एक छोटा सा दीपक उस कमरे के हर कोने के अंधियारे को रौशनी से भर देता है। यह उजियारा आखिरकार महत्वपूर्ण हो भी क्यों न, इसी उजियारे से तो हम हर एक वस्तु को स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। हम यह समझ पाते हैं कि कैसे एक छोटा दीपक समग्र विश्व में उजाला करने के लिए काफी है। हमारे मन का प्रत्येक कोना भी इसी दीपक की राह तकता है, जिसके सहारे वह पूरी दुनिया में रौशनी का ज्ञान बांट सके। हमारे मन में ज्ञान, आशा, दया और सहजता का दीपक अगर जले तो वह हमारे आस-पास मौजूद लोगों को, संपूर्ण संसार को और स्वयं हमारे जहान को भी रौशन करेगा। हम स्वयं के मन को यदि इतना सहज बना पाएं कि वह दूसरों की दुविधाओं का हल बन पाए और अन्य लोगों की परेशानियों में खड़ा होने में सक्षम बनाएगा। दुनिया में ऐसे कई पहलू हैं, जिन्हें मन से समर्थ लोगों के साथ की आवश्यकता होती है। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि हम अपने मन के भीतर दीपक जलाकर जग को उजियारा दे सकते हैं।

मनुष्य के द्वारा की जाने वाली सारी क्रियाएं, उसके मन में अंकुरित हुए विचार के बीज का ही फल होते हैं। वैसे तो अच्छे-बुरे, सही-गलत और नुकसान-फायदे की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति की नज़र में उसकी सोच और ज़रूरत के आधार पर अलग-अलग होती हैं, परन्तु दुनिया की नज़रों में जो सही और ग़लत के मायने हैं, उसके आधार पर मनुष्य कार्य मन की समझ से ही करता है। 

औरों के हित में सोचना और उनके लिए कुछ बेहतर करने के लिए मनुष्य को अपना मन साफ़ रखना आवश्यक है। यदि व्यक्ति दूसरों के प्रति चाहे वह मानव प्रजाति हो, कोई अन्य जीव हो या फिर स्वयं हमारी प्रकृति ही क्यों ना हो, सबके लिए उदार भाव रखकर ही हम सबका भला कर सकते हैं। 

दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें सक्षम लोगों के मदद की आवश्यकता होती है, परन्तु स्वयं की मानसिकता को हम इतना विकसित नहीं कर पाते हैं कि हम यह समझ सकें। हम यह संज्ञान में नहीं ले पाते कि पूर्ण रूप से ना सही, थोड़ा ही परन्तु हम दूसरों के जीवन में रौशनी करने में सक्षम होते हैं। 

किसी के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान लाना, थोड़े समय के लिए किसी के मन को उमंग से भर देना, यह कर पाने में हम सदैव सक्षम रहते हैं, परन्तु हमें यही लगता है कि यह हमारे समय और मेहनत की बर्बादी होगी।  

हम स्वयं की उलझनों में इतना उलझे रहते हैं कि, हम अपने लिए ही उम्मीद का दिया नहीं जला पाते तो भला दूसरों को क्या ही उजियारे से रूबरू कराएंगे।

हम दूसरों को खुशियां तभी दे सकते हैं, जब इस क्षण में हम स्वयं के लिए भी प्रफुल्लित महसूस करें। जग में उजियारा केवल अपने मन के दीपक से ही किया जा सकता है।
 

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