हम किसी से कम नहीं 

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26 Aug 2021
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क्या आप जानते हैं भारत की पहली महिला डॉक्टर या पहली महिला वैज्ञानिक कौन थी ? क्या आपने पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी के बारे में पढ़ा है ? क्या आपने रानी लक्ष्मीबाई और रानी पद्मावती जैसी बहादुर वीरांगनाओं के अदम्य साहस की कहानी सुनी है? आधुनिक भारत में, महिलाओं ने राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री सहित उच्च पदों पर कार्य किया है। यह लेख उन सभी लोगों के लिए है, जिन्हें लगता है कि महिलायें, पुरुष के साथ कदमताल मिलाने में असमर्थ हैं या महिलाओं का जीवन बस घर के अंदर तक ही सीमित है। 

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इस माटी की आज़ादी में नारी का भी बलिदान रहा,

नारी की कार्य कुशलता को अब पूरा भारत मान रहा...

भारत को हमेशा से ही पुरुष प्रधान देश माना जाता रहा है। मगर महिला और पुरुष, समाज के दो अंग हैं। अगर दोनों अंग समान रूप से विकसित नहीं होंगे तो यह समाज एक दिन अपाहिज हो जाएगा। समाज में महिलाओं की स्थिति काफी विचारणीय रही है। महिला समानता दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज में महिलाओं के प्रति जागरूकता और उनके साथ हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाना है। अगर अतीत में झांककर देखें, तो स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद, राजा राम मोहनराय जैसे अनेकों महापुरुषों ने समाज में नारी के उत्थान के लिए कार्य किया तथा नारी पर हो रहे शोषण और उनको समानता का अधिकार दिलाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद की। महिलाओं की प्राथमिकता का यह उदाहरण समाज की मानसिकता को बदलने का महत्वपूर्ण कारक हो सकता है, जहाँ सीताराम और राधाकृष्ण जैसे इन ईश्वरीय नामों के संबोधन में नारी के नाम को प्रथम रख कर याद किया जाता है। 

आप आज की बात तो छोड़िये हम आपको उन महिलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने न केवल इतिहास में बल्कि आज के समाज में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। क्या आप जानते हैं भारत की पहली महिला डॉक्टर या पहली महिला वैज्ञानिक कौन थी ? क्या आपने पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी के बारे में पढ़ा है ? क्या आपने रानी लक्ष्मीबाई और रानी पद्मावती जैसी बहादुर वीरांगनाओं के अदम्य साहस की कहानी सुनी है? आधुनिक भारत में, महिलाओं ने राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री सहित उच्च पदों पर कार्य किया है। यह लेख उन सभी लोगों के लिए है, जिन्हें लगता है कि महिलायें, पुरुष के साथ कदमताल मिलाने में असमर्थ हैं या महिलाओं का जीवन बस घर के अंदर तक ही सीमित है। 

लक्ष्मीबाई (झांसी की रानी) :  भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए अंग्रेजो से लोहा लेने वाली वीरांगनाओं में से एक थीं। उनके बलिदान ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक बना दिया।

रानी पद्मावती (चित्तौड़ की रानी) : जब अलाउद्दीन खिलजी ने उन्हें पकड़ना चाहा, तो आत्मदाह कर राजपूत गौरव की रक्षा करने वाली रानी पद्मावती का नाम आज भी इतिहास के पन्नों में शोभायमान है।  

रजिया सुल्तान (दिल्ली सल्तनत की रानी) : भारत की पहली और एकमात्र महिला शासक 1236 से 1240। 

चांद बीबी (बीजापुर की योद्धा सम्राट) : अपने समय की सबसे बहादुर महिलाओं में से एक, जब अकबर की सेना ने आक्रमण किया तो उन्होंने सफलतापूर्वक अपने सिंहासन की रक्षा की।

अरुणा आसफ अली (स्वतंत्रता सेनानी) : देश को आज़ादी दिलाने में विशेष भूमिका निभाने वाली व भारत छोड़ो आंदोलन की महिला नेता और भारत रत्न प्राप्तकर्ता।

मदर टेरेसा (मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक) : भारत के गरीबों के लिए अपने व्यापक कार्य के लिए जानी जाती हैं। मदर टेरेसा भारत रत्न प्राप्त करने तथा 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला थीं। 

कल्पना चावला (अंतरिक्ष यात्री): कल्पना चावला, अपनी काबिलियत के बलबूते आसमान को चीरते हुए कल्पना से परे अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं। 

 आनंदी गोपाल जोशी (डॉक्टर): वह भारत की पहली महिला डॉक्टर थीं और संयुक्त राज्य अमेरिका में मेडिकल डिग्री प्राप्त करने वाली भी पहली भारतीय महिला थीं।

अबला बोस (सामाजिक कार्यकर्ता) : महिलाओं की शिक्षा की उन्नति में नारी शिक्षा समिति की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संस्था थी जिसका मिशन लड़कियों और महिलाओं को शिक्षित करना था।

असीमा चटर्जी (वैज्ञानिक) : भारत में पहली महिला वैज्ञानिक, इन्होंने कार्बनिक रसायन और औषधीय पौधों में अनुसंधान किया। 

बेगम अख्तर (भारतीय शास्त्रीय गायिका): मल्लिका-ए-ग़ज़ल के नाम से जानी जाने वाली बेगम अख्तर जिन्हें पद्म भूषण से भी नवाज़ा गया है। 

कॉर्नेलिया सोराबजी (अधिवक्ता) : भारत में पहली महिला अधिवक्ता, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई करने वाली पहली महिला। 

इंदिरा गांधी (प्रधान मंत्री) : भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधान मंत्री। जिन्हें भारत की आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है और भारत रत्न पुरस्कार की पहली महिला प्राप्तकर्ता भी हैं।  

सरोजिनी नायडू (स्वतंत्रता सेनानी और कवि) : इन्हें "भारत की कोकिला" के रूप में जाना जाता है। वे भारतीय राज्य की राज्यपाल नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं। 

न्यायमूर्ति अन्ना चांडी (न्यायाधीश) : भारत में पहली महिला न्यायाधीश बनीं। उन्होंने "श्रीमती" नामक पत्रिका की स्थापना की, जिसका उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना था।

रीता फारिया पॉवेल (मिस वर्ल्ड) : एक भारतीय मॉडल, डॉक्टर और ब्यूटी क्वीन थीं, जिन्होंने मिस वर्ल्ड 1966 जीता और खिताब जीतने वाली पहली एशियाई महिला बनीं।

लता मंगेशकर (वॉयस ऑफ द मिलेनियम) :  भारतीय गायक, भारत रत्न प्राप्तकर्ता, लीजन ऑफ ऑनर प्राप्तकर्ता। वह अपनी सुरीली आवाज के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती हैं। उनके जैसा सिंगर न कभी हुआ और न कभी होगा।

शीला डावरे (ऑटो रिक्शा चालक) : शीला डावरे देश की पहली महिला ऑटो रिक्शा चालक बनीं जब उन्होंने पहली बार वर्ष 1988 में 'पुरुष-प्रधान' क्षेत्र में कदम रखा। 

अरुणिमा सिन्हा : एक दुर्घटना में अपने पैर खोने के वावजूद माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली विकलांग महिला हैं। वह एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली भारतीय विकलांग भी हैं। 

मिताली राज : टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक बनाने वाली पहली महिला हैं। वह दुनिया में यह मुकाम हासिल करने वाली पहली महिला हैं।

रोशनी शर्मा : हाल ही में कन्याकुमारी से कश्मीर तक मोटरबाइक चलाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।

इन सभी महिलाओं ने न केवल भारत पर प्रभाव डाला, बल्कि इतिहास की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से हैं। आज की महिलाएं पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं, इसलिए उन्हें पुरुषों से कम आंकने की गलती बिलकुल भी न करें। आज की महिला सशक्त होने के साथ ही आत्मनिर्भर भी है। हमारा कर्त्तव्य है कि हम महिलाओं का सम्मान करें। उन्हें आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहें।

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