अनेकता को बनाएं एकता की पहचान

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अनेकता को बनाएं एकता की पहचान
21 Dec 2021
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अनेकता में एकता को लेकर चलना मानवता की सबसे बड़ी मिसाल है, परन्तु इस महानता को प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यवहार में शामिल कर पाए, इतनी क्षमता सबके भीतर नहीं होती है। वह यह नहीं समझ पाते कि उन्नति करते रहने का यह एकमात्र साधन भी है और रास्ता भी।

दुनिया विविधताओं के भण्डार से भरी हुई है। पृथ्वी पर मानव जीवन से लेकर अन्य जीवों तक हमें अनेक भिन्नता देखने को मिलती है‌। इसके साथ ही मौसम में भिन्नता, दिन-रात में भिन्नता, वातावरण में भिन्नता जैसे रूप प्रकृति दिखाती है। मानव जीवन में भी अनेक भिन्नताएं मौजूद हैं और यह अनंतकाल तक चलती रहेंगी। सभ्यता से लेकर भाषा तक रहन-सहन से लेकर मानसिकता तक यहां तक। यह विभिन्नताएं अनिश्चित समय से चली आ रही हैं, हम कह सकते हैं कि जब से पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई तब से। हम हमेशा से कहते आ रहे हैं कि भिन्न चीज़ें एक-दूसरे के साथ सामंजस्य नहीं बना पाते हैं, परन्तु इसे मिथ्या साबित करने के लिए इतना ही तथ्य काफ़ी है कि इतनी विभिन्नताओं के बावजूद भी हम लम्बे समय से एक-दूसरे के साथ तालमेल बनाकर चल रहे हैं। हम यह जानते हैं कि प्रत्येक देश की अपनी भाषा, अपनी सभ्यता language, civilization होती है तथा वहां का रहन-सहन दूसरे देशों से भिन्न होता है। शायद देश को उनकी भिन्नता के आधार पर ही विभाजित किया गया है। हम इस सच्चाई को भी ख़ारिज नहीं कर सकते कि आज भी दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है, जो इन विभिन्नताओं के स्वीकार करके उनके साथ नहीं चल पा रहे हैं।

अनेकता में एकता unity in diversity को लेकर चलना मानवता की सबसे बड़ी मिसाल है, परन्तु इस महानता को प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यवहार में शामिल कर पाए, इतनी क्षमता सबके भीतर नहीं होती है। वह यह नहीं समझ पाते कि उन्नति करते रहने का यह एकमात्र साधन भी है और रास्ता भी।

एक देश में ही अलग-अलग सभ्यता के लोग रहते हैं तो फ़िर दुनिया तो बहुत बड़ी है। जिस प्रकार एक लकड़ी का गट्ठर कठिन हालातों का मजबूती से सामना करता है, जिस प्रकार चींटियों का झुंड बड़े से टीले को मिट्टी पर समतल करने की क्षमता रखता है ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी यदि एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए एक साथ आगे बढ़ें तो वे हर एक परेशानी, हर एक प्रश्न का आसानी से हल निकाल लेंगे।

इस दुनिया में अनेक सभ्यताएं हैं तथा अनेक भाषाएं हैं। हमें हमारी सभ्यता, हमारी भाषा बहुत प्रिय होती है। हम उसे सहजने के लिए और सम्मान की दृष्टि देने के लिए सदैव सज्ज रहते हैं। ठीक इसी प्रकार अन्य व्यक्ति भी अपनी भावनाओं का सम्मान करते हैं और चाहते हैं कि अन्य लोग भी करें। तो क्या इन दो भिन्न व्यवहारों को एक दूसरे की भावना का सम्मान नहीं करना चाहिए? अवश्य करना चाहिए क्योंकि इसी से वह अपने ख़्याल तथा इच्छाओं का ध्यान रखने के साथ विश्व को शांत और विकासशील आवरण देंगे।

दुनिया अब इस दिशा की ओर तेजी से अग्रसर है। अब विभिन्नताएं लोगों के दिलों तथा भावनाओं को मिलने से बहुत ही कम रोक पाती हैं। अब दुनिया केवल विकास के रास्ते पर चलने के लिए क़दम आगे बढ़ाती है, इसके लिए वह अपनी विचारधारा में निरंतर बदलाव कर रही तथा अनेकता को पूरे प्यार और सम्मान से स्वीकार कर रही है।