2025: भारत का लक्ष्य, 5 ट्रिलियन डॉलर?

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2025: भारत का लक्ष्य, 5 ट्रिलियन डॉलर?
18 Aug 2021
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भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आर्थिक सुधार की जरूरत है। इसके लिए भारत को अपनी मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों के जरिए डिमांड को बढ़ाना होगा। हालांकि इससे सिर्फ छोटी अवधि के लिए ही अर्थव्यवस्था में तेजी लाई जा सकेगी।

भारत विश्व की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। भारत की मौजूदा अर्थव्यवस्था 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की है। भारत का लक्ष्य अपनी अर्थव्यवस्था को 2025 के अंत तक पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का है। कोरोना के कारण सभी देशों की अर्थव्यवस्था का काफी नकारात्मक असर रहा, भारतीय अर्थव्यवस्था भी कोरोना की मार से बच नहीं सकी। हालांकि कोरोना काल के पहले से ही भारत की अर्थव्यवस्था में सुस्ती छाई हुई थी। इसके बाद 2019 से 2021 के बीच का पूरा समय लॉकडाउन में गुजरा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था ने अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए एक साल से ज्यादा का सुनहरा समय खो दिया। इससे पहले वर्ष 2019 में ही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खुशखबरी आई थी जब भारत ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना था। भारत की पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के ऐसे में 2025 के अंत पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करना काफी मुश्किल नजर आ रहा है। भारत अब भी अपने पांच ट्रिलियन डोलार के लक्ष्य से लगभग दो ट्रिलियन डॉलर पीछे है। यदि आंकड़ों के हिसाद से देखा जाए तो एक ट्रिलियन डॉलर से तीन ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने में भारत को भारत को लगभग एक दशक का समय लगा। इस हिसाब से यदि भारत भारत को 2025 तक अपने लक्ष्य तक पहुंचना है तो उसे अपनी अर्थव्यवस्था को दोगुनी रफ्तार से बढ़ाना होगा। 


भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए आर्थिक सुधार की जरूरत है। इसके लिए भारत को अपनी मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों के जरिए डिमांड को बढ़ाना होगा। हालांकि इससे सिर्फ छोटी अवधि के लिए ही अर्थव्यवस्था में तेजी लाई जा सकेगी। भारत को अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए महंगाई पर लगाम लगाना होगा, जिससे जनता को महंगाई की मार से बचाया जा सके। लंबी अवधि के लिए अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए भारत को वैश्विक व्यापार में सुधार करना होगा और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने के लिए भारत को देश में बड़ी संख्या में रोजगार के नए माध्यम पैदा करने होंगे। वित्तीय वर्ष 2021-2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ आठ से दस फीसदी के बीच रहने का अनुमान का है। लेकिन यदि भारत को अपना लक्ष्य हासिल करना है तो उसके लिए 12 फीसदी की ग्रोथ रेट से आगे बढ़ना होगा। मौजूदा स्थिति के अनुसार भारत 2030 के बाद में ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हो पाएगा। 


कोरोना काल में रिकॉर्ड स्तर पर लोगों का बेरोजगार होना सबसे बड़ी चिंता का विषय है। सरकार के प्लान के अनुसार 2022 तक मिसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके लिए सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत साल में तीन बार किसानों के खाते में दो-दो हजार रुपये डालने का ऐलान किया। इस योजना के तहत किसानों को प्रातवर्ष छह हजार रुपये दिए जाने थे। सरकार को उम्मीद थी कि किसानों की आय दोगुनी होने के बाद अर्थव्यवस्था में इजाफा होगा। सरकार किसानों के खाते में अब तक दो हजार रुपये की नौ किश्त डाल चुकी है। हालांकि इससे अभी तक ना किसानों की आय दोगुनी होती दिख रही है, ना अर्थव्यवस्था ही पटरी पर लौटती हुई दिखाई दे रही है। वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था को देखते हुए 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य के करीब आना भी असंभव दिखाई दे रहा है। अब समय है जब भारत को अपनी मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों का दोबारा अध्ययन करके उनमें आवश्यक बदलाव करने चाहिए। कुछ बड़े और आवश्यक बदलावों के जरिए ही भारत जल्द से जल्द अपने पांच ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंच सकता है।